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N S Yadav GoldMine
कैकेयी के द्वारा राम को वचन मुक्त करने के पश्चात भी वे वन में क्यों गए जरूर पढ़िए !! 📜📜 {Bolo Ji Radhey Radhey} {जय श्री सीताराम जी} कैकेयी द्वारा वचन मुक्त :- 🌄 भगवान श्रीराम को माता कैकेयी ने मंथरा की चालों में फंसकर उनके राज्याभिषेक से एक दिन पहले उन्हें 14 वर्षों का वनवाद दिलवा दिया था। इसी कारण भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता सहित वन में चले गए थे। अपने पुत्र के वन जाने के दुःख में राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए थे। इसके बाद जब भरत कैकेय से अयोध्या वापस आये तब उन्हें सब षड़यंत्र का ज्ञात हुआ। जय श्री राधे कृष्ण जी..... भरत गये चित्रकूट :- 🌄 भगवान राम के चित्रकूट में होने का समाचार सुनकर भरत अपनी तीनों माताओं, अन्य राज परिवार के सदस्यों समेत वहां पहुँच गए व प्रभु श्रीराम से अपनी माता के किये कर्मों के लिए क्षमा मांगी। उन्होंने अयोध्या का राज सिंहासन पुनः भगवान श्रीराम को सौंप दिया व अयोध्या वापस चलने को कहा। इस पर श्रीराम ने स्वयं के पिता के वचन से बंधे होने के कारण वापस अयोध्या लौटने को मना कर दिया। कैकेयी ने वापस लिए दोनों वचन :- 🌄 उस सभा में कैकेयी भी उपस्थित थी व प्रभु श्रीराम के वचनों से बंधे होने की बात सुनकर उन्होंने उसी समय राजा दशरथ से मांगे अपने दोनों वचन वापस ले लिए। उन्होंने राम से अपने किये के लिए क्षमा मांगी व कहा कि वे राजा दशरथ से मांगें अपने दोनों वचनों को अभी वापस लेती हैं ताकि राम पुनः अयोध्या लौट सके। केवल राजा दशरथ को था अधिकार :- 🌄 जब माता कैकेयी ने अपने दोनों वचन वापस ले लिए तब श्रीराम ने उन्हें कहा कि वचन वापस लेने का अधिकार केवल उसी का होता है जिसने वचन दिया हो। चूँकि महाराज दशरथ ने रानी कैकेयी को दो वचन दिए थे जिसमे कैकेयी ने राम को 14 वर्षों का वनवास व भरत का राज्याभिषेक माँगा था। चूँकि रानी कैकेयी ने अपने वचन दशरथ की मृत्यु के बाद वापस लिए थे इसलिये उन्हें माना नही जा सकता था। राजा दशरथ की मृत्यु के पश्चात उनके वचन को पूरा करना श्रीराम का कर्तव्य था। यदि वे जीवित होते और उस समय रानी कैकेयी अपने वचन वापस लेती तब श्रीराम वन में जाने के लिए बाध्य नही होते। इसलिये प्रभु श्रीराम ने माता कैकेयी के द्वारा अपने दोनों वचनों को वापस लिए जाने के पश्चात भी वन में जाने का निर्णय लिया था। ©N S Yadav GoldMine #Pattiyan कैकेयी के द्वारा राम को वचन मुक्त करने के पश्चात भी वे वन में क्यों गए जरूर पढ़िए !! 📜📜 {Bolo Ji Radhey Radhey} {जय श्री सीताराम ज
Divyanshu Pathak
दिल राजी तो रव राजी, हैं कौन ये दुनियां वाले अब तोड़ दिए है हमने, पिजरें पे लगे सब ताले ! हम दोनों प्यार के पंछी, जीवनभर साथ उड़ेंगे हम दोनों साथ रहे हैं, हम दोनों साथ रहेंगे ! 💕💞🍨☕👨 ☕☕☕🍨💕💞🍫 तू फूल है चमन का मैं कली बहार की मेरे लवों पे लिखदे तू दास्तांन प्यार की ! :🍨💕🙏🍨🍓😊💕😋 मेरी ये तस्वीर राजस्थान के राजसमंद जिले म
Manasi Ghatge
पवित्र हा सोहळा आनंदाचा वंदन आणि नमन करिते माझ्या प्रेरणा स्थानाला आणि छत्रपती शिवाजी महाराजांना जे आहेत राजे अवघ्या रयतेच्या मानांचे आणि स्वाभिमान मराठी मुलुखाचा..... नमस्कार लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आताचा विषय आहे राज्याभिषेक शिवरायांचा... #राज्याभिषेक_सोहळा #राज्याभिषेक यशवंत, किर्तीवंत, वरदवंत, पुण्य
नेहा उदय भान गुप्ता
कैसे एक माता अपने त्याग को स्वार्थ का नाम दे जाती है। कैसे एक माता, अपने त्याग को, स्वार्थ का नाम दे जाती है।। वो है जगत जननी वो महामाई, भगवन से ऊँचा उसका स्थान। पुत्र का बलिदान दिया जिसने, हर
नेहा उदय भान गुप्ता
भरत मिलाप पर लिखने चली, जो रामायण का है प्रसंग प्यारा। हर आँखों में आ जाता है अश्रु, देख अद्भुत दृश्य सबसे न्यारा।। मन हो जाता जब मेरा व्यथित, तब कलम चल पड़ती है मेरी। लिख देती तब मन की व्यथा, नही होती एक पल की देरी।। भरत मिलाप पर लिखने चली, जो रामायण का
vaishali
झाला रायगडावर कोरली पराक्रमाची गाथा इतिहासाच्या प्रत्येक पानावर नमस्कार लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आताचा विषय आहे राज्याभिषेक शिवरायांचा... #राज्याभिषेक_सोहळा #राज्याभिषेक यशवंत, किर्तीवंत, वरदवंत, पुण्य
vaishali
६ जून राज्याभिषेक सोहळा सुरू रायगडावर जल्लोष छत्रपती शिवाजी महाराज सुरू एकच जय घोष राज्याभिषेक सोहळा
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
कैसे एक माता अपने त्याग को स्वार्थ का नाम दे जाती है। कैसे एक माता, अपने त्याग को, स्वार्थ का नाम दे जाती है।। वो है जगत जननी वो महामाई, भगवन से ऊँचा उसका स्थान। पुत्र का बलिदान दिया जिसने, हर
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
भरत मिलाप पर लिखने चली, जो रामायण का है प्रसंग प्यारा। हर आँखों में आ जाता है अश्रु, देख अद्भुत दृश्य सबसे न्यारा।। मन हो जाता जब मेरा व्यथित, तब कलम चल पड़ती है मेरी। लिख देती तब मन की व्यथा, नही होती एक पल की देरी।। भरत मिलाप पर लिखने चली, जो रामायण का
vishnu prabhakar singh
माँ दुर्गे एकाकी शक्ति आदि शक्ति ,गुणवती धर्म रक्षिका ,भवानी प्रधान प्रकृति, साध्वी जन शाक्त पूजें जया शीशनमित,मांगे दया नमूद कर, तार माते बुद्धि तत्व,कुल सजा माँ दुर्गे विकार रहित सती, साध्वी, आध्या भवमोचनी, भवप्रीता केवल देवी आराध्या जय मातादी जयकार ख्याति देवी अपरंपार देवी कवच,सूक्त दात्री माँ पूरंजनी मोक्ष द्वार माँ दुर्गे गुणवती माया आर्या पाटला,बलप्रदा सत्यास्वरूपी अनन्ता ब्राह्मी ही भजो सर्वदा ॐ दुर्गा देव्यै नमः। माँ दुर्गे एकाकी शक्ति आदि शक्ति ,गुणवती धर्म रक्षिका ,भवानी प्रधान प्रकृति, साध्वी जन शाक्त पूजें जया शीशनमित,मांगे