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Shivkumar
White बुराई दूर करने को यहाँ भगवान आते हैं । अधर्मी राक्षसों का नाश कर पृथ्वी बचाते हैं ।l पुराणों में कहा जाता धरा पर पाप बढ़ जाता l कभी श्री कृष्ण या श्री राम बन लीला रचाते हैं ।l धरा पावन बनाने को प्रभू सुत रूप में आए । लता- पत्ता सभी झूमें तथा नर- नार मुस्काए ।l घड़ी थी चैत्र की नवरात्रि नवमी मात कौशिल्या l अयोध्या राम की नगरी पिता अवधेश कहलाए ।l ll आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं ll ©Shivkumar #ramnavmi #ramnavmispecial #ramnavmi2024 #ramnavmi2025 #Nojoto #बुराई दूर करने को यहाँ #भगवान आते हैं । अधर्मी राक्षसों का #
Shaarang Deepak
Sushma
नये दौर कि नयी सी चाहते हैं, आसमां मे उड़ने कि ...... हम तो जीते उन्हीं पुराने जामाने में, लता मंगेशकर के गाने गुनगुनाते हैं, और रेलगाड़ी कि छुक छुक कहीं जाने कि असली खुशी महसूस कराती है..... ©Sushma #skylining नये दौर कि नयी सी चाहते हैं, आसमां मे उड़ने कि ...... हम तो जीते उन्हीं पुराने जामाने में, लता मंगेशकर के गाने गुनगुनाते हैं,
||स्वयं लेखन||
ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी। दूजे शोभित हैं भभूत,विषधर नीलकंठ मुंडमाल से भरा कंठ, धारण किए चंद्र चमक रहा मस्तक, जटाधारी केश,भाल त्रिनेत्र बर्फाच्छादित निवास क्षेत्र। पर्वतपुत्री शोभित न्यारी कनक बसन कंचुकी सजाए, स्वर्ण आभूषण शोभा भाए, हृदय में शिव को बसाए, एक ही हठ वर बने शिवशंकर जाती कैलाश शिखर निष्ठावान प्रेम संकल्प लिए शैल सुता पूजती शिवलिंग, अन्न जल त्याग प्रेमरस भींग, वैरागी शिव के हृदय में कर प्रेम जागृत, किया शक्ति ने स्वयं को समर्पित। ©||स्वयं लेखन|| ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी।
अदनासा-
मैंने अब तक तो कोई ग़ज़ल नही लिखी पर सुकून और इत्मीनान से बहुत सुनी है मैंने कल छत पे तुम्हारी एक झलक देखी मैंने ग़ज़ल देख लिया वो लगती हंसिनी है ©अदनासा- #हिंदी #प्रिती #लता #ग़ज़ल #छत #देखा #हंसिनी #Instagram #Facebook #अदनासा 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मैंने अब तक तो कोई ग़ज़ल नही लिखी पर सुकून और इत्मी
Madhav_Write #स्वामिनी
सुनो.... आपका स्नेह जैसे कोई सूरजमुखी का पौधा है जिसे आपने रोप दिया है आपने मेरे अंतस में ..... जैसे सूर्य किरण चमके सूर्यमुखी के शीर्ष पर वैसे ही में दमकू स्वर्ण लता बनकर आपके प्रेम शीर्ष पर.... ♥️💞 ©Madhav_Write #स्वामिनी सुनो.... आपका स्नेह जैसे कोई सूरजमुखी का पौधा है जिसे आपने रोप दिया है आपने मेरे अंतस में ..... जैसे सूर्य किरण चमके सूर्यमुखी के श
AJAY NAYAK
मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तराने होंगे। एक हाथ में कांच का गिलास होगा, एक हाथ में साथी का हाथ होगा, सामने खड़ा एक साकी होगा, जो गिलास को समय पर रंगता होगा। कुछ अच्छी बातें होंगी, तो थोड़ी बहुत नोकझोक होगी, निकलेंगे हम वहां से गरम मिजाज़ में, अगले दिन फिर एक टेबल पर होंगे । कुछ तो बात है इस मदिरा में, जो छलकते ही पूरा पूरा बिखर जाता है पर कभी अपना गुणधर्म नही है छोड़ता तीस मिली में भी कमाल दिखा जाता है । जो जो जाता है इसके साए में वह उसका होकर रह जाता है बस एक घूंट कंठ से उतरते ही दुश्मन भी दोस्त बन जाता है । मैं भी अब सोच रहा हूं थोड़ा लेकर इसे अंदाजू साकी से कहकर भर लूं अपना गिलास। चख लूं दोस्तों के साथ इसका स्वाद देख लूं क्यों है यह दुनिया में विशेष जो भी जाता है इसके आगोश में, वह कैसे? ऊंच नीच, अमीर गरीब का, भूल जाता है भेद । –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Wine #मदिरा मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तरा
Prakash writer05
सुनो तुम आओगी न देखने जब इस हृदय की धमनियां ठंढी पड़ जाएंगी, जब इस देह पर कफ़न की सफेद चादर डाल दी जाएंगी... आना जरूर मैं मिलूँगा तुम्हे चिता की ठंढी हुई राख में, जलते हुए शरीर से उठते हुए धुंए में...मैं इंतज़ार करूँगा दोस्त तुम्हारे आने का..वहां लोग बहुत होंगे मगर तुम आना चुपके से भीड़ के पीछे छुप कर खड़े हो जाना देखना जब मुझे मुखाग्नि पड़ रही होगी तो मेरे कंठ तुमसे कुछ कह रहे होंगे, वो शब्द जो किसी से न कहे गए.. ज़रा कठिन होगा पर तुम समझ जाओगी... हा थोड़ी सी राख जरूर अपने साथ लेते जाना और इक चुटकी अपने मांग में सजा लेना ।। ©Prakash writer05 #सुनो तुम आओगी न देखने जब इस हृदय की धमनियां ठंढी पड़ जाएंगी, जब इस देह पर कफ़न की सफेद चादर डाल दी जाएंगी... आना जरूर मैं मिलूँगा तुम्हे चि
Devesh Dixit
गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।। दुष्ट धरे जो भावना, वो बदले की राह। मर्म उसे सोहे नहीं, करे गरल की चाह।। गरल धरे जो कंठ में, वो हैं भोले नाथ। दुष्टों का संहार कर, भक्तों का दें साथ।। करे गरल का त्याग जो, सज्जन उसको मान। छोड़ सभी वह द्वेष को, करता सुख का पान।। गरल भरे आस्तीन में, छिप कर करता वार। अपमानित होता तभी, मन में रखता भार।। .............................................................. देवेश दीक्षित स्वरचित एवं मौलिक ©Devesh Dixit #गरल #दोहे #nojotohindipoetry गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।। दुष्ट धरे जो भावना, वो
KP EDUCATION HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©KP NEWS HD इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती ह