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कवि राहुल पाल 🔵

#नागपंचमी nojoto #nojotohindi #nojotonews #Rahul सावन शुक्ल पक्ष है छाया ,नाग पंचमी त्यौहार है आया ! बरखा के संग संग देखो ,खुशियां की हरिय #कविता #राहुल

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सावन शुक्ल पक्ष है छाया ,नाग पंचमी त्यौहार है आया !                           
बरखा के संग संग देखो ,खुशियां की हरियाली लाया !!                            
कावड़ियों की झूमे टोली देख देखकर मेरा मन हर्षाया !                             
नागपंचमी के शुभ अवसर पर राहुल छोटी कविता लाया !!                           
                   
                         नागवंश के तक्षक राजा ने ,धर बालक का था रूप लिया 
                         गुरु प्रभाव के कारण गरूड़राज ने उनको अभय दान दिया !!
                       घटना घटी थी यह काशी में धन्य यह पावन नगरी थी !
                        इसलिये इस स्थल को ऋषियो ने "नागकुआँ " नाम दिया !!

                चलों री सखियों उत्तम पकवान बना महादेव को भोग लगायें !
                दूध,दूर्वा,जल,कुशा,अक्षत,पुष्प से नागदेव को स्नान करायें !!
           घर को साफ सुथरा बना पुष्पों मालाओं से खूब सजायें !
            झूला पड़ा आज कदम की डाली चलो झूला झूलन जायें !!

उमंग और अरमान लिए बच्चे बूढ़े जमा हुए है मेले में !                 
टिकिया, फुल्की, चाट ,जलेबी सजी सजाई है ठेलो में !!                
कुछ बतियाये कुछ बतलाये कुछ व्यस्त है सर्कस खेलों में !                 
लगा है दंगल भीड़ बड़ी है ,उठा पटक की शोर लगी हुंकारों में !!                  

                ((( " राहुल " ))) #नागपंचमी 
#nojoto #nojotohindi #nojotonews #rahul
सावन शुक्ल पक्ष है छाया ,नाग पंचमी त्यौहार है आया !
बरखा के संग संग देखो ,खुशियां की हरिय

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- पहले जैसे अब नहीं ,  होते मयके मान । पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।। इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती । #कविता

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कुण्डलिया :-

पहले जैसे अब नहीं ,  होते मयके मान ।
पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।।
इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती ।
भाई-भाभी मातु , उसी के घर को डसती ।।
सौहर है चुपचाप  , बीवियाँ होती दहले ।
इसीलिए तो आज ,बीवियाँ बोले पहले ।।

बिटिया का घर द्वार वो , पाता नहीं उबार ।
देती रहती मातु जो , पग-पग नये विचार ।।
पग-पग नये विचार , कलह भर घर में होता ।
मिलता नहीं सकून , बैठकर सौहर रोता ।।
मिले नही उपचार , दर्द की खाता टिकिया ।
खुश होते वो लोग , वहम में रखकर बिटिया ।।

पहले कसकर बाँध ले , तू अपने हर छोर ।
छूट न पाये फिर कभी , जीवन की ये डोर ।।
जीवन की ये डोर , हाथ में अपने लेकर ।
देना सुख की छाँव , यहाँ जो भी हो बेघर ।।
लेकिन रख लो याद , नही बनना तुम नहले ।
ये जग भोलेनाथ , तभी सौपेंगे पहले ।।

नहले पे दहला बनो , तभी बनेगी बात ।
मानेगा संसार भी , तभी तुम्हें दिन रात ।।
तभी तुम्हें दिन रात , प्रेम सबसे तुम भरना ।
बदी करे जब लोग , अँगुलियाँ टेढ़ी करना ।
बनकर भोले नाथ , करो फिर तांडव पहले ।।
फिर मिले समाधान , बनोगे जब तुम दहले ।।

सरसों के वह फूल सी , नाजुक लगती आज ।
करना चाहे हम सदा , दिल में उसके राज ।।
दिल में उसके राज , यही हम अभी छुपाएँ ।
सोच रहा हूँ आज , उसे हम क्यों न बताएँ ।।
मन में इतनी चाह , छुपाए कैसे बरसों ।
आ जाए जो पास , लगे वह नाजुक सरसों ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-


पहले जैसे अब नहीं ,  होते मयके मान ।

पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।।

इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती ।

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तेरी तस्वीर और मेरा सपना (Exotic Poetry) 😊😉 तस्वीर में तेरी मैं ये सब देखता हूँ , मैं बालों की तेरे उलझन देखता हूँ , गर्मी में माथे पर चुभ

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तेरी तस्वीर और मेरा सपना (Exotic Poetry) 😊😉
तस्वीर में तेरी मैं ये सब देखता हूँ , 
मैं बालों की तेरे उलझन देखता हूँ , 
गर्मी में माथे पर चुभ
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