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kumaarkikalamse
एक दूजे के हम साथी एक दूजे के हम आदी गम में मेरे वो मेरी ताकत, उसको मेरी लत, मेरी आदत..!! अपने दर्द को उसकी रोशनाई में डुबो कर मन हल्का करता हूँ हाँ! जब तकलीफ़ में होता हूँ, सबसे पहले उसी से कहता हूँ..!! वो कभी मेरी माशूक़ा, कभी दोस्त कभी रूह, कभी आबरू, कभी करता उस से गुफ्तगू..!! कभी रातों को उसे जगाता हूँ कभी उसे अपने सीने पर सुलाता हूँ उसने दी मुझे दी शान - ओ - शोहरत, आज वो हम "कुमार की क़लम से" कहलाते हैं..!! #nazm #नज़्म #kumaarnazm #Kumaarsthought #क़लम #kumaar #dost #रोशनाई #माशूक़ा
Ahim
Himmat Singh
कोई तो ऐसी अदा दिखाओ जिसे देखकर मज़ा आता हो कोई ऐसा शेर सुनाओ जो हबीब की रूह को पास बुलाता हो। हबीब- माशूक़ ,हिम्मत सिंह writing# thinking #Punjabi poetry# Hindi poetry# Urdu poetry # कोई तो ऐसी अदा दिखाओ जिसे देखकर मज़ा आता हो कोई ऐसा शेर सुनाओ जो हबीब की र
entertainment intertenment&intertenment
ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ.. माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ! Our mothers taught us a lot of things which only we know. #Collab and share which part of you is a reflection of your mother. #mothertaughtm
Akshita Gupta
आज भी शहर की गलियों में उसका इंतज़ार है, आज भी मोहब्बत उससे बे-शुमार है। पहले यह शहर इतना सुनसान तो ना लगता था, उसके जाने से जैसे दिल पुर-इज़्तिरार है । यह शहर भी पुकारता है उस दिल-ए-माशूक़ को, रूह भी जैसे उसकी बेवफ़ाई से ना-चार है । रंज-ए-फ़ुर्क़त से 'अक्स', रूह-ओ-दिल ख़फ़ा तो है, पर आज भी मोहब्बत पर ऐतबार है। ©Akshita Gupta (Ghazal) #शहर 🏙️ ____________ बे-शुमार = countless /numberless दिल पुर-इज़्तिरार = heart full of restlessness दिल-ए-माशूक़ = heart of belo
Shubhro K
Dr.sanjay Yadav
Anant Nag Chandan
मिन्नतें करता था रुक जाओ मिरा कोई नहीं मेरे रोके से मगर कौन रुका कोई नहीं दोस्त माशूक़ सनम और ख़ुदा कोई नहीं मैं तो सब का हूँ पर अफ़्सोस मिरा कोई नहीं अब तो लाज़िम है कि वो शख़्स मिरा हो जाए अब तो दुनिया में मिरा उस के सिवा कोई नहीं उम्र भर साथ निभाने का ये वा'दा हाए उम्र भर साथ भला कोई रहा कोई नहीं मेरे मौला ये तिरे सात अरब लोगों में कोई भी मेरा नहीं है ब-ख़ुदा कोई नहीं बेवफ़ाई को बड़ा जुर्म बताने वाले याद है तू ने भी चल छोड़ हटा कोई नहीं मैं भी क़ाइल हूँ तिरी चारागरी का लेकिन इक मरज़ ऐसा भी है जिस की दवा कोई नहीं Khan Janbaz ©Anant Nag Chandan मिन्नतें करता था रुक जाओ मिरा कोई नहीं मेरे रोके से मगर कौन रुका कोई नहीं दोस्त माशूक़ सनम और ख़ुदा कोई नहीं मैं तो सब का हूँ पर अफ़्सोस मि
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़ मीर तक़ी मीर (पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में) #NojotoQuote Ghazal in Hindi On Love क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़ जान का रोग है बला है इश्क़ इश्क़ ही इश्क़ है जहाँ देखो सारे आलम में भर रहा
kumaarkikalamse
¦.. मैं इश्क़ उसका वो आशिक़ी है मेरी.. ¦ कभी ख्वाब है कभी हक़ीक़त कभी पीता मैं उसे कभी वो पीती है मैं जीता हूँ उसमें वो मुझमें जीती है... मैं इश्क़ उसका वो आशिक़ी है मेरी