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Pankaj Dubey
@prabhat....D कभी सोचता हूँ कि युद्ध का अनुभव करूँ मैं कभी सोचता हूँ कि मैं मृत्यु के आँचल से लिपटू फिर सोचता हूँ युद्ध तो आता नही तो सीखना मैं चाहता
Sumit Pandey
एक रोज़ का इंतज़ार है, खुशी के नगमे मैं लिखूं । गम गर साथ भी हो, खुशी से उसे पार करूँ । मुस्कुराहट का मुखोटा उतार, दिल से मैं हँस सकूँ । गम भी मुँह अपना छुपा ले, ऐसा औरा मैं रखूं । किसी के लिए खास बनूं, खास हूं ऐसी झूठी आस न रहे । साथ रहने की कसम न हो, जीवन भर पर साथ रहे । आने वाले जाते रहें, पर इस जहां में अपना नाम रहे । मैं रहूँ या ना रहूँ, मेरे कर्मो का गुणगान रहे । एक रोज़ का इंतज़ार है, खुशी के गीत में रंग जाऊं । दुनिया छोड़ू उससे पहले, प्रेम प्रसंग मैं गाउँ ओर मुस्कुराऊँ । हस्ते चेहरे से आखिरी अलविदा कह जाऊँ ।। एक रोज़ का इंतज़ार है, खुशी के नगमे मैं लिखूं । गम गर साथ भी हो, खुशी से उसे पार करूँ । मुस्कुराहट का मुखोटा उतार, दिल से मैं हँस सकूँ । गम भ
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ नित हरि नाम सुमिरन करूं, गाउँ प्रेम के गीत..... दो ही कारज का बोध मोहे, बस यही मोरी संप्रीत...... ‼️🙏🏵जय जय श्री हरि🏵🙏‼️ ✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ नित हरि नाम सुमिरन करूं, गाउँ प्रेम के गीत..... दो ही कारज का बोध मोहे, बस यही मोरी संप्रीत...... ‼️🙏🏵जय जय श्री हरि🏵🙏‼️ ✍️
Nisheeth pandey
शीर्षक -तुम बिन कैसे गाउँ मंगल गीत जीवन की तुम बिन.... अब सुर लगता नहीं मेरा तुम बिन.. लिखूं तो लिखूं क्या ??? कोड़ा कागज़ पर तुम बिन ..… अब शब्द मिलते नहीं तुम बिन.... जाने किधर छुपा कर चली गयी तुम ....... बन्द कमड़े में बंद हूँ पर .... वीरान जंगल मे भटकता सा दिखता हूँ तुम बिन ..... बीस बाई बीस का कमड़ा भी बीस मील सा .... बंज़ड़ ही बंज़ड दिखता है तुम बिन .... नज़ारे धुंधला धुंधला सा है ..... अब मन विचलित विचलित है तुम बिन... ख्याल थिडक रहीं ..... भाभनाये कैद है .... कदम बंधा बंधा सा है तुम बिन.... ये कैसी मायाजाल है ..... ये कैसी चक्रभ्यूं में फसा फसा सा हूँ तुम बिन... किसको दिखाऊँ ज़ख्म पर भिनभिनाती मखियाँ .... सुना है लोग मलहम कम ज़ख्म खडोचते ज्यादा हैं .... तड़प की पीड़ा अपनी चरम की सीमाएं लांघ रहीं ... तुम ही बताओ अब किसको सुनाऊं अपनी व्यथा तुम बिन... अपने ढूंढते नहीं अब गैर से मिलते हम नहीं ..... भविष्य डुबा है अंधियारे में अब कौन दिखाए रोशनी तुम बिन ....... ज़िशम जो बीमारियों में लिपट लिपट सा गया है..... जिंदगीं भी नसीब नहीं मरघट भी नसीब नहीं तुम बिन.. ये कैसा जीवन का पड़ाव है ...... कैसे गाउँ मंगल गीत जीवन की तुम बिन... अब सुर लगता नहीं मेरा....✍ 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey शीर्षक -तुम बिन कैसे गाउँ मंगल गीत जीवन की तुम बिन.... अब सुर लगता नहीं मेरा तुम बिन.. लिखूं तो लिखूं क्या ??? कोड़ा कागज़ पर तुम बिन ..…
@the soul of love and laughter