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Dr Manju Juneja
हाँ !मजदूर हूँ ,मैं मेहनत की खाता हूँ , किसी के आगे भी नही हाथ फैलाता हूँ । हाँ! रिक्शा चालक हूँ, मैं रिक्शा चलाता हूँ , हर सवारी का मैं बोझा उठता हूँ । हाँ !मैं ही कुली हूँ ,जो भारी भारी तुम्हारे बक्से कंधे पर उठाता हूँ, हाँ! मैं मजदुर हूँ मेहनत की खाता हूँ । हाँ !मैं ही हूँ ,जो ऊंची ऊँची बिल्डिंग और आलीशान बंगले बनाता हूँ , हाँ !मैं मजदूर हूँ, मेहनत की खाता हूँ । किसी के आगे भी नही मैं हाथ फैलता हूँ , हाँ! मैं ही गरीब किसान हूँ ,जो खेतो में तुम्हारे लिए अन्न उपजाता हूँ । हाँ ! मैं मजदूर हूँ मेहनत की खाता हूँ , किसी के आगे नही हाथ फैलाता हूँ । #मजदूर #मेहनत#किसान #कुली #रिक्शाचालक #कविता #हक़ #nojotohindi #nojotoneer #nojotopoetry
yogesh atmaram ambawale
विजय,(अमिताभ बच्चन) तुम्हें विजय होकर लौटना हैं विजय पाकर इस बीमारी पर, तुम ही सही मायने में विजय हो ए साबित करना हैं फिल्मो में तो तुमने अनगिनत विजय के किरदार निभाए हैं अब असल जिंदगी में भी तुम्हे विजय का किरदार निभाना हैं वैसे इससे पहले कुली के हादसे के वक्त भी तुमने विजय प्राप्त की थी आज फिर विजय प्राप्त करनी हैं. जल्द ठीक होकर लौटे. आपका इंतजार रहेगा. अमिताभ बच्चन #collabratingwithyourquoteandmine #yqdidi #yqhindi #अमिताभबच्चन #दुआएँ #विजय #yqtaai #महानायक विजय, तुम्हें विजय होकर लौटना है
Arpita Dharmadhikari Garud
अरे, वो लाल बैग में आपकी दवाई रख दी है , माँ ने कहा, और तुम्हारी बी. पी. की दवाई रखी या नहीं, पापा ने पूछा , मेरी दवाई ख़त्
@Devidkurre
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला शासन के घोड़े पर वह भी सवार है उसी की जनवरी छब्बीस उसीका पन्द्रह अगस्त है बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो मज़दूर की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है! देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है गऱीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है धत् तेरी, धत् तेरी, कुच्छों नहीं! कुच्छों नहीं ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है कुच्छों नहीं, कुच्छों नहीं ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है! कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है! सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है। #बाबा_नागार्जुन वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-क
Anil Siwach
Vijay Tyagi
अंजू, मंजू, विद्या, बाला लोटन, छोटन, मोटा लाला देखो "काका" ने बना डाली 108 नाम की माला... कविता नीचे अनुशीर्षक में पढ़ें👇 मेरे मित्र और छोटे भाई Palash Chouhan का आभार जो उन्होंने मुझसे काका की इतनी सुंदर और कलात्मकता से परिपूर्ण कविता को साझा किया... इसमें काका