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Jorwal
White निकला था कभी सुकून की तलाश मे, अरसा हो गयी चलते। नही बदला सुकून मे ये असंतोष, देखा सब कुछ बदलते।। ©Jorwal #GoodMorning #सफर Praveen Storyteller Anshu writer Rakesh Srivastava saloni toke alfazon ki khumari कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,4312
MUSAFIR............. ON THE WAY
White कर लो अपना इरादा दुरुस्त वोट दे कर अपना लोकतंत्र को करेंगें मजबूत 👆👆🇮🇳🇮🇳👆👆 ©MUSAFIR............. ON THE WAY #mountain Anshu writer Sudha Tripathi Rakesh Kumar Das GRHC~TECH~TRICKS Ajay Kumar Åãfrēēñ Jeevan gamerz writer Mohabbat aazmi narendra b
Self Made Shayar
White जिन्हे जीवन में प्रेम मिला, वे नदियां समंदर हो गयी और जिन्हे नहीं मिला प्रेम वह हुए पहाड़। त्रासदी ये है कि हमने पहाड़ो को सिर्फ कठोर समझा… जबकि उनको समझा जाना चाहिए था प्रेम से प्रतीक्षारत एक कोमल हृदय जिसने बह जाने दिया नदियों को चुपचाप। ©Self Made Shayar #mountain gaTTubaba narendra bhakuni प्रशांत की डायरी rasmi Anil Ray Sethi Ji KhaultiSyahi PФФJД ЦDΞSHI Yogenddra Nath Yogi Anudeep Anupr
Til vali ladki !
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच