Nojoto: Largest Storytelling Platform

New poetry for alone in urdu Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about poetry for alone in urdu from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, poetry for alone in urdu.

Stories related to poetry for alone in urdu

Anmol Diwakar

#sad_quotes deep poetry in urdu love poetry for her poetry lovers Entrance examination urdu poetry

read more
White 2025

सबसे हले मेरे भाइयों को

Happy New Year In Advance

©Anmol Diwakar #sad_quotes  deep poetry in urdu love poetry for her poetry lovers Entrance examination urdu poetry

Amazing Viral

#leafbook urdu poetry sad love poetry for her Entrance examination poetry for kids deep poetry in urdu

read more
Unsplash good morning

©Amazing Viral #leafbook  urdu poetry sad love poetry for her Entrance examination poetry for kids deep poetry in urdu

Nandu V

#Book Islam deep poetry in urdu urdu poetry urdu poetry sad love poetry for her

read more
Unsplash good morning 🌅

©Nandu V #Book  Islam deep poetry in urdu urdu poetry urdu poetry sad love poetry for her

Mona a

#sad_quotes deep poetry in urdu love poetry for her urdu poetry sad

read more
White vjfuxtyxfyxdxyfrxryzdzrtftctxtcgvhvh

©Mona a #sad_quotes  deep poetry in urdu love poetry for her urdu poetry sad

Khalil Siddiqui

##SadStorytelling urdu poetry love poetry for her deep poetry in urdu urdu poetry poetry lovers

read more

ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ

#बिना_देखे_खुदा_को_मानता_हूं... urdu poetry love poetry for her poetry in hindi

read more
जो नेकी कर के फिर दरिया में इस को डाल जाता है
वो जब दुनिया से जाता है तो माला-माल जाता है।

सँभल कर ही क़दम रखना बयाबान-ए-मोहब्बत में
यहाँ से जो भी जाता है बड़ा बेहाल जाता है।

कभी भूखे पड़ोसी की ख़बर तो ली नहीं उस ने
मगर करने वो उमरा और हज हर साल जाता है।

मनाऊँ हर बरस जश्न-ए-विलादत किस लिए आख़िर
यहाँ हर साल मेरी उम्र का इक साल जाता है।

है दुनिया तक ही अपनी दस्तरस में दौलत-ए-दुनिया
फ़क़त हमराह अपने नामा-ए-आमाल जाता है।

बिना देखे ख़ुदा को मानता हूँ इस लिए 'साहिल'
कोई तो है जो हम को रोज़ दाना डाल जाता है।

©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ #बिना_देखे_खुदा_को_मानता_हूं...
  urdu poetry
 love poetry for her
 poetry in hindi

Vk Virendra

#KhoyaMan punjabi poetry sad urdu poetry urdu poetry love poetry in hindi love poetry for her

read more
चलती फिरती आंखों से हमने अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी पर इक मां देखी है।!!

©Vk Virendra #KhoyaMan  punjabi poetry sad urdu poetry urdu poetry love poetry in hindi love poetry for her

Inshaadofficial

luv_ki_lines

#Sad_Status love poetry for her urdu poetry sad urdu poetry hindi poetry deep poetry in urdu

read more
White अब तो खुद से भी नफरत होने लगी है मुझे ,
के मैं तुमसे नफरत क्यू कर ना पाया ।

तुम घंटों खड़ी देखती रही मुझे ,
मैं इज़हार ए मोहब्बत क्यू कर ना पाया।

अब कहता हूं तो तुम सुनती नहीं हो ,
जब सुनती थी तो क्यू कह ना पाया।

इतनी भी क्या जिद्द थी आवारगी की ,
के अपने ही काबू में क्यू रह न पाया ।

आगाज़ से ही निभाया इस मरियल ताल्लुक को ,
किसी और मर्ज से अपने घाव , क्यू भर न पाया।

सालों बसर किए सहरा में तन्हा यूं ही ,
इतनी तिश्नगी के बाद भी क्यू मर न पाया।

©luv_ki_lines #Sad_Status   love poetry for her urdu poetry sad urdu poetry hindi poetry deep poetry in urdu

qais majaz,dark

#sad_dp love poetry for her sad urdu poetry deep poetry in urdu

read more
White तगाफुल ए मगरूर 

मैंने देखा तुम्हें पाने का ख़्वाब
लेकिन हमेशा मिले मुझे काले गुलाब 
दूर तेरी सोने के पानी चढ़ी महफ़िल से हम चले 
जब हसीन ख़्वाबों से आँखें खुली
कीचड़ में फ़िर थे फंसे 
जज़्बातो ने कि है ख़ुशी से ख़ुदकुशी 
चाहा जब तुमसे इकरार करना ,मिली सिर्फ बेरुखी 
मैं बदल गया हूँ इतना 
अब खुद को भी जनता नहीं 
अब ना तुम रखना राब्ता  कभी 
बेरुखी खामोशी अश्क़ मुफ़्लिसी 
जिंदगी में सबसे बड़ा हादसा यही
माना थी अजब दीवानगी 
लब सिले थे तुम्हारे थी तुम्हें तलब ए खामुशी 
हार गए हम हम सारी बाज़ी 
जला दिया है मैंने दफ़न कर दिया वो माज़ी 
अब उम्र भर के लिए तेरे मेरे दरमियाँ रह जाएगी बस ये ख़ामोशी 
समझा देना अपने चाहने वालों को,जो तंज़ कसते है मुझपे 
इस कलम में है अब वो कुव्वत 
ज़हर भरे तीर से तेज़ अल्फाज़ फेकूंगा सोचा भी नहीं होगा  
मिलेगा नहीं इलाज ज़ख्म होंगे ला इलाज आ रहा है इंकलाब 
तेरे लिए इस कलम में सिर्फ़ भरा है तेज़ाब
एक बार होता है इश्क़ दोबारा नहीं 
तेरे उस गुनाह का होगा कफ़्फ़ारा नहीं
मोहबत क्या तुम मेरी नफरत के क़ाबिल नहीं 
ऐसे के साथ जोड़ दूँ मुस्तकबिल मैं ऐसा पागल नहीं 
अब मोहबतो कि महफ़िल में हम बिल देके बैठे हैं 
तेरे जैसे जाने कितने मुझे दिल देके बैठे हैं

©qais majaz,dark #sad_dp  love poetry for her sad urdu poetry deep poetry in urdu
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile