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Adesh K Arjun
"मनुष्य ने चूहों से धन छुपाने की कला तो सीखी, परन्तु हाथी जैसे विशाल काय गणेश का भार उठा पाने की कला नहीं सीख सका. ©Adesh K Arjun कला
कला #Quotes
read moreSanjeev kumar
White न दिल होता न दिल रोता न दिल आप से जुड़ा होता न आप इतने हसीन होते न दिल आप पर फिदा होता ©Sanjeev kumar #Dosti शायरी की डायरी with Sanjeev Kumar
#Dosti शायरी की डायरी with Sanjeev Kumar
read moreSandeep Sagar
White आधा चांद आधा सूरज आधा मैं बंजारों सा आधी आधी दुनिया फिर भी पूरी तुम इन तारों सा।। ©Sandeep Sagar #Moon सागर की डायरी से
Sandeep Sagar
White गिरे आँखों से आँसू तो लगे बहने लगी नदियाँ कि जैसे बिन तुम्हारे कट गयी मेरी पूरी सदियाँ वो मेरी भूल थी जो तुमको मैंने प्यार था समझा नहीं तो यूँ गुजर जाती थी एक तूफ़ाँ भरी रतियाँ। मुझे अब ख़्वाब भी वो लगने लगे है यूँ परायों से की जैसे तितलियाँ उड़ने लगी है इन सरायों से तुम्हे मैं दूँ बना एक आदमी वो भी मुन्तशिर सा मगर ना दूँ तुम्हें वो दिल जो तुम भरते थे किरायों से। मुझे अब एक नदी सी घाट घाट दरिया में जानी है पहाड़ों,पेड़ पर जाना खुद ही पंछी सी ठानी है वो एक पर्वत के पीछे एक बड़ी सी शांत घाटी है वही जीना वही मरना यही बस जिंदगानी है।। ©Sandeep Sagar #Road सागर की डायरी से
Manish Raaj
कला ------ बहते आंसुओं को दरकिनार कर सब्र के साथ आगे बढ़ जाने की कला हर किसी को नहीं आती वाक़िफ-ए-तकलीफ़ से गुज़र क़ाबिल-ए-तारीफ़ से आगे निकल जाने की कला हर किसी को नहीं आती बंजर ज़मीं से हो कर लहलहाते खेतों बीच घरौंदा बनाने से ऊपर उठ जाने की कला हर किसी को नहीं आती मकां और मुक़ाम के सफ़र से हो कर किसी के दिल में पनाह पाने और रूह का सुकूं हो जाने की कला हर किसी को नहीं आती बेइमानों की बस्ती से हो कर ईमानदारों की महफ़िल से आगे बढ़ जाने की कला हर किसी को नहीं आती गरीबी से गुज़र अमीरों से आगे निकल जाने की कला हर किसी को नहीं आती जज़्बात की गिरफ्त से निकल जज़्बे को मिसाल बनाने की कला हर किसी को नहीं आती कल के सपनों को पिछे छोड़ अपने आज के आधार को आकार और धार देने की कला हर किसी को नहीं आती कविः मनीष राज ©Manish Raaj #कला
Sandeep Sagar
Night sms quotes messages in hindi नींद पकड़ के बैठा हूँ मैं,इन काली सी रातों में जाने क्यों एक टीस उठा है,ख्वाबों वाली बातों में ये ख़्वाब ख़्वाब ही होते है,ना होते है ये संजीदा फिर क्यूँ मेरी आँखें हुई लाल,इन ख़्वाबो की मुलाकातों में।। क्या मैं तुमको ढूँढ रहा था,या मैं खुद की परछाई या फिर खुद की देख हकीक़त आँख बंद से खुल आई मैंने बस एक डर देखा था,डर भी वो नादान सा था जाग के भागा था जिस डर से,फिर वही डर आँखों में आई।। ©Sandeep Sagar सागर की डायरी से
सागर की डायरी से #कविता
read moremalay_28
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. लुट गयी मेरे हिचक की जमापूँजी बस एक चुटकी रंग लगा गया कोई ! एक तरंग सी उठी तन मन में मेरे जब फ़ाग का राग सुना गया कोई ! लाल हरा पीला चेहरा रंगता गया मेरे अंदर ही होली जगा गया कोई ! हाथ सने कपड़े सने सना था चेहरा रंगों के सागर में डुबा गया कोई ! रंगों में दिल की ख़लिश धुल गयी जीने की कला सिखा गया कोई ! ©malay_28 #जीने की कला