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Suyash
लगता है इस राज्य ने प्रकृति का पूरा आशीर्वाद है पाया , जिधर देखो दूर दूर तक हरियाली इस राज्य में है छाया ! वन्य जीवों औऱ प्रकृतिक संसाधनों की धनी है ये राज्य असम , जहाँ भी होगा "चाय" का नाम वहां होगा इस राज्य का नाम , इस राज्य की चाय की है उच्च गुणवत्ता विश्व भर में सुप्रसिद्ध , विश्व प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर है इस राज्य की प्राचिन धरोहर , मांजुली इस राज्य का सबसे बड़े आकर्षक का है केंद्र जो है झील , प्राचीन असमीया कलाकृतियों - संस्कृति के लिए है प्रसिद्ध , मांजुली की खूबसूरती का राज है जीवनदायिनी नदी ब्रह्मपुत्र , कांजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पर है इस राज्य को गौरव क्योंकि यहाँ पाए जाते है विलुप्त प्राय वन्य जीव एक सिंघ वाला गैंडा !! दुनिया की सर्वश्रेष्ठ रेशम झरी औऱ मुगा है इस राज्य के नाम , दुनिया की सबसे तीखी मिर्च भूत झोलोकिआ भी है इसके नाम , देश के सबसे लंबे डबल डेकर रेल - रोड ब्रिज भी है इसके नाम , इस राज्य की जितनी भी करूँ मैं प्रशंसा उतनी लगती है मुझे कम !! लगता है इस राज्य ने प्रकृति का पूरा आशीर्वाद है पाया , जिधर देखो दूर दूर तक हरियाली इस राज्य में है छाया ! वन्य जीवों औऱ प्रकृतिक संसाधनों
Ganesh Din Pal
🌹🌴🌴🌴🌴🌴🌴 झंझा झकोर बहती हैं , नित भोली सी ए हवाएं, बाहों में खेलती हैं , राहों में खेलती हैं, चलती है संग- संग, लग आरजू के अंग अंग , जीवनदायिनी हैं , ये बहती हुई हवाएं। बंद पेड़ काटना कर, गर जीवन चाहता है, तू सींच स्व लहू से, गर जीना चाहता है! 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌹 ©Ganesh Din Pal #जीवनदायिनी हवाएं
Shravan Goud
मेहनती लोगों के चेहरे से नुर टपकता है। यही नुर मैं अपनो के चेहरों पर देखना चाहूंगा। सुरज की किरणे जीवनदायिनी होती है।
sarika
वो नादान नदी इश्क समुंदर से कर बैठी अपने अस्तित्व की परवाह किए "बगैर" वो "बावरी" समुंदर में मिल बैठी वो नादान नदी इश्क समुंदर से कर बैठी..।। -:sarika:- #नदी
Rajendra Kumar Ratnesh
नदी """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा है , हर्षित हैं सर्व प्राणी वहाँ, जहाँ-जहाँ तूने पाँव पसारा है ।। रोम- रोम धरा का पुलकित , प्राणी मिटाते प्यास जहाँ किनारा है, तू इर्ष्या-द्वेष ,न अभिमान की धारा है ।। नतमस्तक सर्व प्राणी आगे तुम्हारे, युगों-युगों तक चले तेरे सहारे। कृति तुम्हारी धरातल पर पाँव पसारा है । तू इर्ष्या -द्वेष,न अभिमान की धारा है ।। सीख मानवता को दे रही तू एक संदेश में, सर्व प्राणी हितकारी बढ़े चलो, सुख-दुःख दोनों तीरों के भेष में । निगलते जा रहे अब मानव तुझे, बने और सब प्राणी बेसहारा हैं । न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा ।। --------------------------------------------- रचनाकार-राजेन्द्र कुमार मंडल जन्म-10-02-1996 पता-ग्राम +पोस्ट-रामविशन पुर ,ward-06 थाना-राघोपुर,जिला-सुपौल बिहार-852111 Mob-9771199373 E-mail -rajendrakrmd97711@gmail.com नदी
अनुवाद
पर्वत का सीना चीर कर अवतरित हों दुर्गम रास्तों से प्रवाहित होना सदा बहते रहना मेरा चरित्र है अच्छे बुरे का भेद भुलाकर सबकी प्यास बुझाना मेरी आदत कोई मुझे माँ कह के पुकारता है कोई करता है अपनी प्रेयसी से तुलना कुछ करते हैं मुझे मलीन कुछ चाहते हैं मरकर मुझमें घुलना पर मैं नदी हूँ और मेरा उद्देश्य है बस अपने सागर से मिलना ©अनु उर्मिल"सर्वदा आशावादी" #नदी
Ombir Kajal
समंदर था खफा, तो नदी तालाब की ओर बहने लगी, तू ही तो है अब मेरा, नदी उससे कहने लगी, मगर जब तालाब पाया छोटा, तो फिर समंदर का रुख किया, अपनी ना समझी से उसने, तालाब को भी दुख दिया, फिर से एक बार नदी, समंदर की तरफ बहने लगी, मगर कुछ बूंद तो उसकी अब, तालाब में भी रहने लगी। ✍✍✍ Ombir Kajal ©Ombir Kajal नदी