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दिशांत नागराज
रात सोने में गुजर जायेगी सुबह की पहली किरण तेरी यादों का झोंका। लायेगी ©दिशांत नागराज शामली
Pagal
वक्त की तरह मगरुर नहीं है सुमित बुरे वक्त में आज भी साथ ही खड़े पाओगे। ©पागल सुमित कोरी #माही #लड्डू #शामली #kavisonitkumar #Janamashtmi2020
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मैं गर इश्क़ लिखूं तो तुम शामली समझ जाना। ©पागल सुमित कोरी #माही #लड्डू #शामली #लव #पोएट्री #पागल
Pagal
. चेहरे पर हंसी, दिल मे अरमां लिए . बहुत मुस्कुराया करती थी वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। उसकी एक बहन आंखे तो. छोटे वाली बहुत शर्माया करती थी। वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। . कभी पास्ता कभी परांठा, कभी मैगी बनाया करती थी। कभी तेज़ धूप मे खड़ी होकर अपनी सूरत दिखाया करती थी वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। मुझे बहार बुलाने के लिए. ये तरीका आजमाया करती थी। गली में खड़ी हो तेज चिल्लाया करती थी. वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। उसके काले कुर्ते वाली ड्रेस, मुझे बहुत भाया करती थी। पूछकर हाल अपनी ड्रेस का. खुद को रिझाया करती थी. वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। अपनी बड़ी बहन से भी कभी -2 बात कराया करती थी। मोहल्ले वालों से सावधान रहो वो ये समझाया करती थी। वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। #उसके हिस्से के सारे गम, उसकी खुशी में तब्दील हो जाए ऐ!खुदा ऐसी रहम कर मेरी उम्र भी लड्डू को लग जाए। ©Pagal 5#शायरी #कविता #गज़ल #पागल #माही #शामली
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त