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F M POETRY
Unsplash दर्द देने कि उनकी आदत है.. हाँ मगर बेपनाह मुहब्बत है.. रोते रहते हैं वो पश-ए-दीदार.. इस तरह उनको हमसे चाहत है.. यूसुफ़ आर खान.. ©F M POETRY #इस तरह उनको हमसे चाहत है...
#इस तरह उनको हमसे चाहत है...
read moreMohan Sardarshahari
यह दिल और इसमें चाहत के फूल भेजे जो तुमने सुबह करते हुए भूल किया है उन्होंने असर कुछ इस तरह जैसे जख्मों पर लग गई हो दवा माकूल।। ©Mohan Sardarshahari चाहत के फूल
चाहत के फूल
read morepuja udeshi
White जब तक अनभिज्ञ था अच्छा था जहाँ राज बता दिए बेगाना हो गया, क्या उससे छिन गया क्यो वो बदल गया फितरत मे इंसानों के ये कमी रही है कि चाह कभी खत्म नहीं होती किसी की ये रिलेशनशिप टूटने की वज़ह रही है.... 🤔 ©puja udeshi #sad_quotes #चाहत #pujaudeshi
Shubham Bhardwaj
White खुलकर जीना है तो महफिल सजा लो। तन्हाई में तो हर गम सिर चढ़कर बोलता है।। ©Shubham Bhardwaj #love_shayari #चाहत #मोहब्बत
Dalip Kumar 'Deep'
'दर्द भरी शायरी' शायरी दर्द शायरी किसी की जुदाई में जीने का दौर आया है📚✍🏿🍂🍂😔
read moreShubham Bhardwaj
White तेरी चाहत में हम,दर दर भटक रहे हैं। कैसा है यह जुनून, नजरों में खुद ही खटक रहे हैं।। ©Shubham Bhardwaj #sad_quotes #चाहत
Shashi Bhushan Mishra
बे-दखल चाहत हुई है, भावना आहत हुई है, प्रेम का मरहम लगाया, तब कहीं राहत हुई है, बेवज़ह बेचैन हो मन, समझ लो उल्फ़त हुई है, देखता हरबार मुड़कर, जब कोई आहट हुई है, ध्यान में बैठे हो जबसे, फिर कहां फ़ुर्सत हुई है, हो मनोरथ सिद्ध अपना, ऐसी कब किस्मत हुई है, मुस्कुराकर भूल जाना, अपनी तो आदत हुई है, याद तड़पाती है 'गुंजन', घर गये मुद्दत हुई है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #बे-दखल चाहत हुई है#
#बे-दखल चाहत हुई है#
read moreनवनीत ठाकुर
कभी जो अनुभव हुआ, वही आदत बन जाती है, सपनों के पीछे भागते, एक नयी राह बन जाती है। जो देखा या सुना, वही भविष्य का ख्वाब बन जाता है, इन्हीं ख्वाहिशों के साथ, हर कदम उलझ जाता है। भावनाओं से न तुम, अब कामनाओं से बह रहे हो, जिन्दगी के रास्ते में, बस ख्वाबों के ही साये में रह रहे हो। इन ख्वाहिशों के सागर में, खुद को डूबो रहे हो। समझो, जो तुम चाहो, वही तुम्हारी हकीकत बन जाती है, लेकिन कभी-कभी, यह चाहत ही दुःख की असली वजह बन जाती है। ©नवनीत ठाकुर #चाहत
Parasram Arora
White शबनमी ताज़ी सुबह उसे आज फिर से अच्छी लगने लगी हैँ लगता हैँ आज उसे शायद जीने की कोई नई वजह मिल गई हो ©Parasram Arora जीने की नई वजह
जीने की नई वजह
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