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कौशल ~
White कभी जो कोई पुरुष रोये तुम्हारे आगे तो भर लेना बांहो में और संभाल लेना उन्हें। क्योंकि... ये रोये है तो केवल माँ के आगे... दुसरा उस स्त्री के आगे जिस पर ये भरोसा था की वो समझेगी। बिना कुछ सवाल किये उन्हें थपकाते रहना... और आंचल से पूंछना उनके अश्रु ये जो बह रहा है वो लाचारी नही... ये तो दर्द है सफलता असफलता का, तानों का, अकेलेपन का, जोर से रोने का, कई बार...बिखरने का और अंततः वो रोना चाहते है दर्द को कहना चाहते है कि दर्द हुआ है सीने में। जो छुपाए रखा फिजूल में समाज के भय से कोई ये न कहे की मर्द को दर्द नही होता । शायद! ये परिभाषा उसे कभी ठीक नहीं लगी क्योंकि वो पत्थर नहीं है जो महसूस न हो उसे दर्द की बेहद!!! कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर ©कौशल ~ #Sad_Status रोता हुआ पुरुष
#Sad_Status रोता हुआ पुरुष
read moreLalit Saxena
हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena ग़ज़ल
ग़ज़ल
read morekevat pk
White उनसे दूर जाने पर दिल उदास है ,पर फिर सोचता हूं मैं वापस उनसे मिलने की खुशी से कम और सारी उदासी दूर।। ©kevat pk # उनसे दूर हुआ
# उनसे दूर हुआ
read moreF M POETRY
White ग़मगीन है ये क़ल्ब बेशुमार क्या हुआ.. है क़ल्ब बहुत ज्यादा बेकरार क्या हुआ.. घर बार है हयात है दुनियाँ में सब तो है.. पाया न मैंने सिर्फ तेरा प्यार क्या हुआ.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #क्या हुआ...
#क्या हुआ...
read moredharmendra kumar yadav
White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था मेरा अज़ीज़ मुझको गिफ्ट में आईना लाया था वो आसूं सिर्फ आसूं नहीं बाग़ी भी हो सकते थे पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था जिससे ज्यादातर नाराज़ ही रहता रहा ये दिल उसको ही अपने बुरे दिनों में अपने साथ पाया था वो मेरी जान से जिक्र की है कि वो मेरी होती जो मुझे उन दिनों बर्बाद ओ बेकार बताया था ©dharmendra kumar yadav ग़ज़ल
ग़ज़ल
read moreहिमांशु Kulshreshtha
जज़्बात जो लिखे तो मालूम ये हुआ, पढ़ें लिखे लोग भी अभी पढ़ना नहीं जानते.. ©हिमांशु Kulshreshtha मालूम ये हुआ
मालूम ये हुआ
read moreShishpal Chauhan
White उम्मीद लगाए खड़े हैं, इस दुनिया में बेदर्द लोग बड़े हैं। क्या होगा इस रात के अंधेरे में किसी को पता नहीं है, धक धक हो रही सीने में ऐसे लगता है जैसे जान शरीर में नहीं है। आंखें तक रही है इक रोशनी के लिए, जान शरीर से निकली जा रही है दीदार उनका बिना किए। वो अपनी जिद पर अड़े हैं, अरमान हजारों दिल में दबे पड़े हैं। आ जाओ अब और ना सताओ वरना हम दुनिया छोड़ कर चले हैं, झलक एक बार दिखाओ हम दिल तुम पर वार चुके हैं।। ©Shishpal Chauhan #हारा हुआ दिल
#हारा हुआ दिल
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