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Srinivas
White जीत के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए जीतो। ©Srinivas #love_shayari जीत के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए जीतो।
#love_shayari जीत के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए जीतो। #शायरी
read moreGhanshyam Ratre
White आषाढ़ के महिना है घन अमरिया गरज -गरज कर बरस रहें हैं पानी। किसानों के दिन आये है खेत खलिहानों को कर रहें हैं हरियाली।। ©Ghanshyam Ratre किसानों के लिए
किसानों के लिए #Life
read moreankit Yadav
White तेरी अदा गजब ढा रही है, तेरे रूठना की अदा दिल को जला रही है, मान जाओ अब न तड़पाओ, तेरी खामोशी मुझे तड़पा रही है। प्यार तुझसे बेपनाह है, मेरा दिल बेगुनाह है, मैंने तुझे नहीं सताया है, तेरा रूठना बेवजह है। ©ankit Yadav अपने प्यार के लिए
अपने प्यार के लिए #शायरी
read moreAkash
White सबसे खुशकिस्मत है वह इंसान, जिसके पास है पिता के प्यार की बेशुमार दौलत। पिता के लिए एक लाइक बनता है ©Akash #fathers_day पिता के लिए
#fathers_day पिता के लिए #शायरी
read moreRekha Singh
White कुछ ऐसे लोग जो नेटवर्क मार्केटिंग टीम के साथ काम करके अपनी और टीम की उन्नति कर सकें ऐसे लोग मैसेज करें forever living products joining के लिए मैसेज कर सकते हैं ©Rekha Singh #sad_shayari काम के लिए
#sad_shayari काम के लिए #विचार
read moreAnuj shakya
नए सफर में ख़ामोशी को चुना है मैंन क्योंकि बिना गलती के बहुत कुछ सुना है मैंने ©Anuj shakya #PhisaltaSamay नए सफर के लिए
#PhisaltaSamay नए सफर के लिए #शायरी
read moreVikram Alwar Rajasthan
मैं टूटा हुआ काँच हूँ, आइना बन सकता हूँ तू मुझे संभाल के देख, कितनी मोहब्बत लिए फिरता हूँ तुम्हारे लिए, आजमा ले मुझे चाहे दिल निकाल के देख। मेरी सांसों मे बसे हो मेरी जिंदगी बन कर, तन्हा बैठ कर तू बस मेरा ख्याल कर के देख। मैं दोनों तरफा सिक्का तेरा हूँ यारा, अब शर्त मे तु मुझे एक बार उछाल के देख। @Vikram , ©Vikram Alwar Rajasthan भाई साहब जी के लिए
भाई साहब जी के लिए #शायरी
read moreANOOP PANDEY
पत्र तुमको लिखा यह खता थी मेरी तुम जो समझे नहीँ वो वफा थी मेरी रात को जागकर मैंने उसको लिखा नीर- नयनों में भरकर उसको है रचा उसने अक्षर नहीँ मेरे अहसास थे जिन्हें समझे ना तुम वो ख्यालात थे तुमको सबही है यारा ओ झूठा लगा कौन कितना है टूटा ये भी ना दिखा आज आती हँसी तेरी हर सोच पर तूने जो भी किया उस हसीं खेल पर मैंने जैसा था सोचा तू वैसा ना मिला साथ रहकर मेरे ही तू दगा कर गया क्या कहूँ मैं सनम उस अजब खेल पे जिसमें खंजर अनौखा मुझी पे चला दर्द को सह गया मैंने उफ्फ भी न की ना ही आँसू बहाए ना मिन्नत ही की तू मेरी थी चाहत बस इतना हीं सुन ना मैं हर्गिज कहूँ कि मुझॆ ही तू चुन मैं वफा ,इश्क, यारा और अहसास हूँ जिस तलक तू न पहुंचे वो ख्वाब हूँ दिल यह अपना हवाले अब कान्हा के उनको चरणों में रहता मैं इक दास हूँ ©ANOOP PANDEY #पत्र💚
पत्र💚 #Love
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