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Lalit Saxena
हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena ग़ज़ल
ग़ज़ल
read moreDeependra Dubey
Unsplash रातों का नींद उड़ा ले गईं ये कैसा इश्क़ फरमा गई। ©Deependra Dubey #इश्क़ शायरी लव
#इश्क़ शायरी लव
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White शरारत करती है ये झील सी गहरी आँखें तुम्हारी… दिल लुभाती है बड़ी शिद्दत से ये बातें तुम्हारी बताएं भी तो बताएं कैसे हाल ए दिल अपना मोहलत ही कब और कहाँ देती हैं मासूम सी ये अदायें तुम्हारी ©हिमांशु Kulshreshtha इश्क़..
इश्क़..
read moreKavi Himanshu Pandey
White इश्क़ को पहचान कौन पाया है, इससे आख़िर बच कौन पाया है, ये निचोड़ डालता है पूरा जिस्म, ये कड़वा सच जान कौन पाया है! ...... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey इश्क़... #beingoriginal #NojotoHindi
इश्क़... #beingoriginal Hindi
read moresc_ki_sines
White जीना हैं अकेले फिर भी लोगों के पीछे दुख के मेले हैं किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों हम अब भी अकेले हैं जलते हैं अकेले ही यादों के दरिया में भी बुझती नहीं वो आग तफ़्दिशे जलन भी झेले हैं किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों मगर और भी अकेले हैं नसीब का लिखा वो ही जाने तक़दीर का दिया हुआ दर्द_ए _नसीब हम ने भी झेले है अब इस के बाद न जाने नसीब में क्या है ना आओ साथ हमारे जिंदगी में हमारे बहुत झमेले हैं ना याद आते अब वो लम्हे ना याद आते हो तुम कभी इस कदर मेरे सफ़र में ओ मुसाफ़िर कि अब तन्हाई इस कदर मेरी यादों में घुल गई कि ना अब कोई मिलता ना अब कभी बिछड़ता शायद अब हम अपने आप से भी नहीं मिलते कि अब हम अपने ध्यान से उतरे हुए से आसुओं के रेले हैं के ना अब कभी कहना मुझसे कि साथ चलने को तुम्हारे हम अपना सब कुछ छोड़ चलते हैं अब ना मिलेंगे हम ना वो हमारी मोहब्बत मिलेंगे तो सिर्फ हम और हमारी तन्हाई जिसको दिया तुमने और हमने वो जख्म सदियों से झेले है फिर ये खेल ना खेलो हमारे साथ समझ जरा ज़ख्मी हु और टूटे हुए इस कदर की फ़िर ना जुड़ सकू दोबारा जो खेल लोगों ने सदियों से खेले हैं मत आजमा ए ज़ालिम कि आवाज़ तक नहीं आएगी मेरे दर्द कि हम अब अकेले बहुत अकेले हैं ©Sonuzwrites #good_night ग़ज़ल ✍️
#good_night ग़ज़ल ✍️
read moreKavi Himanshu Pandey
White जो फँसेगा इश्क़ की झूठी माया में, वो कितना भी बचे, फ़िर भी टूट जायेगा! .... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey इश्क़.. #beingoriginal #NojotoHindi
इश्क़.. #beingoriginal Hindi
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