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Nitu Singh जज़्बातदिलके

आस्था मन में लिए मिले तब मोक्ष का द्वार जो पाप किए है गोते लगाए त्रिवेणी संगम में पुण्य तभी फले जब मन में रक्खे सबके प्रति नेक विचार मौका

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White आस्था मन में लिए
मिले तब मोक्ष का द्वार 
जो पाप किए है 
गोते लगाए त्रिवेणी संगम में
पुण्य तभी फले जब मन में रक्खे 
सबके प्रति नेक विचार
मौका जिसे मिला अमृत स्नान का
अब मिलेगा १४४ साल के बाद 
संत, गुरु, किन्नर और अघोरी
सब मग्न होकर शिवरात्रि मनाए   
महादेव की नगरी महादेव से मिलने 
सब चले काशी विश्वनाथ में
हर हर महादेव 🙏

©Nitu Singh जज़्बातदिलके आस्था मन में लिए
मिले तब मोक्ष का द्वार 
जो पाप किए है 
गोते लगाए त्रिवेणी संगम में
पुण्य तभी फले जब मन में रक्खे 
सबके प्रति नेक विचार
मौका

꧁༺Kǟjǟl༻꧂ارشد

🌹 .....मरहम यह नहीं कि तुम किसी ज़ख्मों पर फाहा रख दो, मरहम यह है कि तुम ज़ख्म से उठने वाली टीसों में शरीक हो जाओ कि दूसरों के दर्द में शरीक

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🌹 .....मरहम यह नहीं कि तुम किसी ज़ख्मों पर फाहा रख दो, मरहम यह है कि तुम ज़ख्म से उठने वाली टीसों में शरीक हो जाओ कि दूसरों के दर्द में शरीक होना नेक रुहों का क़ुर्ब हासिल करना है _






ज़बान से बोल कर लगाए हुए ज़ख्मों पर कोई मरहम कारगर नहीं होता, यह ऐसे ज़ख्म हैं जो नज़र नहीं आते मगर उनकी टीसें रुहों को घायल कर देतीं हैं







 क्या तुम दो मीठे बोल, बोल कर लोगों के दिलों के ज़ख्म ठीक नहीं कर सकते, दो मीठे बोल ऐसे जादूई मरहम की तरह हैं जो गहरे ज़ख्मों की शिफ़ा करने की सलाहियत से मालामाल हों .... 💞💞💞

©꧁༺ǟʀֆɦǟɖ༻꧂ 🌹 .....मरहम यह नहीं कि तुम किसी ज़ख्मों पर फाहा रख दो, मरहम यह है कि तुम ज़ख्म से उठने वाली टीसों में शरीक हो जाओ कि दूसरों के दर्द में शरीक

संजय जालिम " आज़मगढी"

# नेक#

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Unsplash  गुलशन में फूल खिलते अनेक
शान भरी जिंदगी मिले, इंसान बन नेक
"जालिम" भूल भेद भाव नफरतों को होले एक...

©संजय जालिम " आज़मगढी" # नेक#

vksrivastav

तुम हर किसी के लिए नेक इरादा रख्खो Shayari Love Poetry Quotes vksrivastav

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Nimisha Mishra HI

#teachers_day हम शिक्षक ही नही, बल्कि विशेष शिक्षक है हम सब से अलग शिक्षक है, हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते, हम अपने बच्चो को समा

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Ghumnam Gautam

White क्या पता अब क्या कहेगी उसको दुनिया दोस्तो!
रात  भर   वो नेक  लड़की  मेरी  आँखों  में  रही

©Ghumnam Gautam #Sad_Status #ghumnamgautam 
#नेक 
#रात 
#दुनिया 
#आँख

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

स्वामी विवेकानंद जयंती ******************** जागों-जागो उठो मेरे युवाओं आगे कदम मिलकर बढ़ाओ स्वामी जी के पद चिंन्हो फर जीवन अपना नेक बनाओं स

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White स्वामी विवेकानंद जयंती
********************
जागों-जागो उठो मेरे युवाओं
आगे कदम मिलकर बढ़ाओ
स्वामी जी के पद चिंन्हो फर
जीवन अपना नेक बनाओं

सेवा,समर्पण और लगन से
जीवन अपना ही सुधर जाए
स्वामी जी के मूल मंत्र को
जीवन में लाकर सफल बनाओ

स्वामी जी के ओजस्वी जीवन से
जीवन अपना स्वर्ग सा बना लो
नव ज्योति की किरण से अपना
सूरज का तेज मस्तिष्क सजाओ

एक ठोकर से तुम संभल जाओ
चरित्र अपना तुम हीरे सा बनाओ
सत्य कि डगर साहस से  बढ़ाओं
आजीवन सुख से समय बिताओ

कर्म से अपने तेजस्वी बन जाओ
माता-पिता का सम्मान बढ़ाओं
देश के खातिर मजबूत बनाओ
देशभक्ति के लिए फौलाद बनाओं

जो मार्ग से गिर जाते उसे उठाओ
गले लगाकर जीवन उसका बनाओं
विपदाओं के वक्त साहस दिखाओं
आजीवन  विजेयता सब कहलाओं

"उर" से संकल्पित हो जाओ युवाओं
मां भारतीय पुकारती है तुम सबको
विघा ज्योति जगाकर भविष्य बनाओं
सपनों को साकार कर पहचान बनाओं

परसेवा परहित से स्वयं जीवन बनाओं
निर्मल मन से ही पहचान तुम बनाओं
शिखरों कि चोंटी को तुमको है छूना
स्वामी जी की वाणी से जीवन सुधारों
#स्वामी विवेकानंद

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA स्वामी विवेकानंद जयंती
********************
जागों-जागो उठो मेरे युवाओं
आगे कदम मिलकर बढ़ाओ
स्वामी जी के पद चिंन्हो फर
जीवन अपना नेक बनाओं

स

Prashant Shakun "कातिब"

Writer म्हारी लाडो, शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂 छोटी सी परी के जैसी

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©Prashant Shakun "कातिब"  Writer 

म्हारी लाडो,
शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂

छोटी सी परी के जैसी

Sushma

#Ladki शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो इतनी आँखें गिरी जमीं पर कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ

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Unsplash शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ कॉलर में अटकी थी
कुछ उलझी थी बालों में
गर्दन के पीछे चिपकी मिली
कुछ उंगलियों में पोरों में, कुछ नशीली कुछ रसीली
कोई बेशर्मी से भरी हुई
ये आंखें ऐसी क्यों हैं? उनकी हमारी सी आंखें
पर इतना अंतर क्यों है?
मैं रोज़ प्रार्थना करती हूँ
कुछ न चिपका मिले मुझ पर
जैसी मैं सुबह जाती हूँ घर से ,
वैसे साफ सुथरी आऊं वापस
मगर ऐसा हो पाता नहीं
बोझ उठाये नजरों का हरदम
चलते रहना नियति है मेरी, शायद।

©Sushma #Ladki  शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ
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