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Stories related to परचा को अंग व्याख्या

Anjali Singhal

"शिव नाम की पावन ज्योति नैनों में समाई, अंग-अंग भस्म रमाकर सती प्रेम में डूबी जाई। मन इतना निश्चल तन को अपने अग्नि में भस्म कर जाई, पार्वती

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White "शिव नाम की पावन ज्योति नैनों में समाई,
अंग-अंग भस्म रमाकर सती प्रेम में डूबी जाई।

मन इतना निश्चल तन को अपने अग्नि में भस्म कर जाई,
पार्वती रूप में पुनर्जन्म लेकर शिव संग ब्याह रचाई।।"

#महाशिवरात्रि
#हर____हर___महादेव

©Anjali Singhal "शिव नाम की पावन ज्योति नैनों में समाई,
अंग-अंग भस्म रमाकर सती प्रेम में डूबी जाई।

मन इतना निश्चल तन को अपने अग्नि में भस्म कर जाई,
पार्वती

Keshav pratap Kannaujia

#Thinking हीरे को हीरे से और कीचड़ को,,,,,,,,

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White अगर हमें कोई गाली देता है या भला बुरा कहता है तो कहे,लेकिन हम उसे भला बुरा ना कहें।
क्योंकि हीरे को हीरे से तरासा जा सकता है किंतु कीचड़ से कीचड़ को साफ़ नहीं किया जा सकता।।

©Keshav pratap Kannaujia #Thinking हीरे को हीरे से और कीचड़ को,,,,,,,,

Health Is Wealth DK

अगर हम स्वाद को छोड़ दें तो शरीर को फायदा।

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Health is wealth dk

©Health Is Wealth DK अगर हम स्वाद को छोड़ दें तो शरीर को फायदा।

Shashi Bhushan Mishra

#श्रद्दावान एकलव्यों को#

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तुम्हें पता अधिकारों का है 
भुला   दिया  कर्तव्यों  को,
कैसे   कोई   भूल  पाएगा
दिये    हुए   वक्तव्यों   को,

तौर  तरीके  बदले  सबने 
अपने  उच्च  विचारों   से,
बदल  सकेगा  कोई कैसे 
लोगों   के   मंतव्यो   को,

मेले में  प्रवास  करने को 
संगम  हुआ  सितारों का,
कहां से आए  किसे पता 
लौटेंगे  फिर  गंतव्यों को,

कर्म प्रधान  धरा है इसमें
फल पर  कोई  जोर नहीं,
बदल  सकेगा  कौन यहां
जीवन के  भवतव्यों  को,

ज्ञान ध्यान आनन्द प्रेम है 
विषय हृदय का ही 'गुंजन',
द्रोणाचार्य मिले हर युग में 
श्रद्धावान  एकलव्यों  को, 
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
    प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #श्रद्दावान एकलव्यों को#

Ravi Srivastava

कभी पूस की ठिठुरन बनकर अंग अंग टीस रहा हूँ ! कभी शब्द का सावन बनकर, अंतर सींच रहा हूँ !! कभी समय के गलियारे में,मुट्ठी भींच रहा हूँ ! जिनसे

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Unsplash कभी पूस की ठिठुरन बनकर अंग अंग टीस रहा हूँ !
कभी शब्द का सावन बनकर, अंतर सींच रहा हूँ !!

कभी समय के गलियारे में,मुट्ठी भींच रहा हूँ !
जिनसे बिछड़ा उनकी यादें,पल पल खींच रहा हूँ !!

✍️✍️
रवि श्रीवास्तव

©Ravi Srivastava कभी पूस की ठिठुरन बनकर अंग अंग टीस रहा हूँ !
कभी शब्द का सावन बनकर, अंतर सींच रहा हूँ !!

कभी समय के गलियारे में,मुट्ठी भींच रहा हूँ !
जिनसे

Tripurari Pandey

#Newyear2025 सभी को

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New Year 2025 नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐🙏🙏✍️

©Tripurari Pandey #Newyear2025 सभी को

RAMLALIT NIRALA

जिवन को जिना है तो दूसोरो को रूलाना छोड दो

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F M POETRY

#थामा था एक पल को तेरे हाथ को हमने...

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Unsplash थामा था एक पल को तेरे हाथ को हमने..

आती है मुसलसल तुम्हारे हाथ कि खुश्बू..



यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #थामा था एक पल को तेरे हाथ को हमने...

Vinod Mishra

"जो जीवन के जंग को भी अंग समझकर सच्चे राह पर चलता हो वह सत जन (सज्जन) होता है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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ritesh Kumar

टेस्ट को बेस्ट बनाएं...!

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