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Kh_Nazim
मज़दूर...! यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं.. रूखी सूखी रोटियां चटनी से खाते पर हाथ नही फैलाते, पत्थर तोड़ पानी बहते जो मकान खड़ा है इनके पसीने से बना है यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं। दुनियाँ की चकाचोंध से भटकते नहीं अपनों के लिए मेहनत से डरते नहीं रोज़ कुआँ खोदते है,रोज़ प्यास भुझाते है यह ईंट ईंट जोड़ अपना आसियान सजाते है । यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं। जन को तो आरक्षण मिला साहब पर मझधार भूल गए. सत्ता में आ के वो इन के अधिकार भूल गए जो कुछ भी बना है... सड़क,मकान,बहुमंजिला इमारत इन में दबके तुम्हारी... यह सियासत खड़ी है यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं.. अब... बेग़री से जो तुमने जोड़ रखा था उन हालातों में जीना हुनर सीख रखा है यह मजबूर है साहब, मज़दूर नहीं..! मज़दूर...! यह मजदुर है साहब, पर मजबूर नहीं.. रूखी सूखी रोटियां चटनी से खाते पर हाथ नही फैलाते, पत्थर तोड़ पानी बहते जो मकान खड़ा है
Ajay p.bhartiya
चलो तुम बात करते हो आरक्षण की ,तो एक बात तुम्हें भी बताता हूं इस तरह कुछ समझ ना आएगा, थोड़ा पीछे तुमको ले जाता हूं क्यों भूल गए वो दिन जब तुम, दलितों पर आत्याचर करते थे कई बेगुनाह तुम्हारे जुल्मों तले, दबके मरते थे तुम्हारे साथ खेलना, पानी पीना, ये सब भी हमारे लिए पाप था क्योंकि भारत की मानवता को ड़स बैठा ,तुम्हारे जैसा सांप था चलो याद करो वो दिन भी ,जब तुम्हारी गंदगी तक हम उठाते थे राम नाम जप जप कर तुम ,लोगों को पागल बनाते थे ऊंचे लोगों एक बात बताओ, ये भेद भाव किसने तुमको बताया था ख़ुद को बहुत बड़े भक्त कहते हो ,क्या भगवान ने ये सब सिखाया था तुमसे देखा ये नहीं गया, जब हम तुम्हारी बराबरी करने लगे ख़ुद के साथ खड़ा देख हमें ,मन ही मन में तुम जलने लगे हमें मेहनत का पाठ पढ़ाने वाले , तुमने कब कब मेहनत की थी तुम्हारे मैला,गंदगी,पशु सहित, सबकी सेवा हमने की थी चलो ख़त्म करते है आरक्षण, पहले बराबरी का ऐलान करो घर से निकलो, बस्ती में रहो, नालियों में हमारे जैसा काम करो जिन शब्दों से हमारी जात को गाली देते हो, ऐसे शब्दों का बलिदान करो बिठाओ हमें अपने साथ, और हमारा भी सम्मान करो बन्दे हम भी है उस ईश्वर के, बस तुम ही उसकी शान नहीं नागरिक हम भी है इस देश के, किसी के बाप का हिंदुस्तान नहीं करो बराबरी आओ साथ, सब भेद भाव ख़त्म हो जायेगा पहले जातिवाद को ख़त्म करो , आरक्षण ख़ुद ब ख़ुद ख़त्म हो जायेगा ।। Ajay p.bhartiya #antichildlabourday चलो तुम बात करते हो आरक्षण की ,तो एक बात तुम्हें भी बताता हूं इस तरह कुछ समझ ना आएगा, थोड़ा पीछे तुमको ले जाता हूं क्यों
Ajay p.bhartiya
चलो तुम बात करते हो आरक्षण की ,तो एक बात तुम्हें भी बताता हूं इस तरह कुछ समझ ना आएगा, थोड़ा पीछे तुमको ले जाता हूं क्यों भूल गए वो दिन जब तुम, दलितों पर आत्याचर करते थे कई बेगुनाह तुम्हारे जुल्मों तले, दबके मरते थे तुम्हारे साथ खेलना, पानी पीना, ये सब भी हमारे लिए पाप था क्योंकि भारत की मानवता को ड़स बैठा ,तुम्हारे जैसा सांप था चलो याद करो वो दिन भी ,जब तुम्हारी गंदगी तक हम उठाते थे राम नाम जप जप कर तुम ,लोगों को पागल बनाते थे ऊंचे लोगों एक बात बताओ, ये भेद भाव किसने तुमको बताया था ख़ुद को बहुत बड़े भक्त कहते हो ,क्या भगवान ने ये सब सिखाया था तुमसे देखा ये नहीं गया, जब हम तुम्हारी बराबरी करने लगे ख़ुद के साथ खड़ा देख हमें ,मन ही मन में तुम जलने लगे हमें मेहनत का पाठ पढ़ाने वाले , तुमने कब कब मेहनत की थी तुम्हारे मैला,गंदगी,पशु सहित, सबकी सेवा हमने की थी चलो ख़त्म करते है आरक्षण, पहले बराबरी का ऐलान करो घर से निकलो, बस्ती में रहो, नालियों में हमारे जैसा काम करो जिन शब्दों से हमारी जात को गाली देते हो, ऐसे शब्दों का बलिदान करो बिठाओ हमें अपने साथ, और हमारा भी सम्मान करो बन्दे हम भी है उस ईश्वर के, बस तुम ही उसकी शान नहीं नागरिक हम भी है इस देश के, किसी के बाप का हिंदुस्तान नहीं करो बराबरी आओ साथ, सब भेद भाव ख़त्म हो जायेगा पहले जातिवाद को ख़त्म करो , आरक्षण ख़ुद ब ख़ुद ख़त्म हो जायेगा ।। Ajay p.bhartiya not a purpose to hurt any caste , religion or a person. its just an answer of a question. so just take it easy.... Ajay p.bhartiya चलो तुम
sandy
❤️💛❤️💛❤️💛❤️💛 पहिला स्पर्श असा का झाला? 💛❤️💛❤️💛❤️💛❤️ ७/८ खोल्यांचा मोठा वाडाच म्हणा. चौकोणी. त्यात रहायला संपतराव-मालतीबाई आणि एकुलती शितल.