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Dalip Kumar 'Deep'
Shayer tera ©Dalip Kumar 'Deep' ✍🏿😊आज हमार बारी हो जाये🌹🌹💕💕
AD Kiran
ओ हमार करेजा... क्या कभी मछली जल से जुदा हो सकती है ? अगर हो भी गई भूल-बस तो, क्या वह जिंदा रह सकती है? ©AD Kiran ओ हमार करेजा..SabitaVerma
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर । सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।। पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार । खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।। मानव सेवा करने को अब ... देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान । उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।। मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत । पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार । मानव सेवा करने को अब..... सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात । सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।। अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार । अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।। मानव सेवा करने को अब .... सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज । मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।। सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार । हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार । मानव सेवा करने को अब..... मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। २०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,
Supriya Yewale
कधी कधी काय होतं सांगू आपला जास्त चांगुलपणा ना आपल्याला खूप एकटे पाडतो खरंतर आपल्याला जास्त करून त्रास त्याच व्यक्तीचाा होतो ज्याच्यासाठी आपला जीव जळतो पण त्या व्यक्तीला हे नाही समजत पण जन्म समजतो तेव्हा खूप वेळ निघून गेलेलीतेव्हा खूप वेळ निघून गेलेली असते खरंतर नातं जास्त करून याच कारणामुळेे तुटून जाते ©Supriya Yewale #Tulips आपला चांगुल पणा आपल्याला एकटे पडतो.
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सरसी छन्द अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। अबकी होली सुन लो प्रियतम.... ताने देती हैं सब सखियां , कहके विरहन आज । जबकी दिल पे मेरे साजन , बस तेरा ही राज ।। आओ अपने अंग लगा लो , बस इतनी है चाह । अबकी होली सुन लो प्रियतम .... माह जेष्ठ में भू ये जलती , तुम बिन जिया हमार । अबके फागुन में आ जाओ , हो मन का शृंगार ।। बिरहन बनकर कब देखूँ , मैं अब तेरी राह । अब की होली सुन .... आज विरह में तन ये काला , मल दो प्रीत गुलाल । बनकर मीरा दर-दर भटकू, आओ मेरे ग्वाल ।। आज प्रेम की मीरा प्यासी , करे मिलन की चाह । अब की होली सुन लो प्रियतम..। अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। ०७/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। अबकी होली सुन लो प्रियतम.... ताने देती ह