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Ashraf Fani【असर】
White उड़ते-उड़ते थक गया हूँ ज़िन्दगी के बादल में ढूंढता हूँ प्यार-ममता जो था माँ के आँचल में === Udate-Udate thak gaya hu Zindagi ke baadal me Dhundhta hu pyar-mamta jo tha maa ke aanchal me ©Ashraf Fani【असर】 उड़ते-उड़ते थक गया हूँ ज़िन्दगी के बादल में ढूंढता हूँ प्यार-ममता जो था माँ के आँचल में === Udate-Udate thak gaya hu
꧁ARSHU꧂ارشد
अज़ब चिराग़ हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ , मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे .... ©꧁ARSHU꧂ارشد अज़ब चिराग़ हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ , मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे ... sana naaz Anshu writer Manisha Keshav NIKHAT (दर्द मेरे अप
Revashankar Nathani
थक चुके है मेहमान की तरह धर आते जाते बेघर हो गए हम चंद रुपए कमाते कमाते ©Revashankar Nathani थक चुके है
Rakesh Kumar Sah
Ravi Ranjan Kumar Kausik
Sethi Ji
💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 💞 माँ का हाथ , ममता का साथ 💞 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 कभी कभी माँ भी थक जाती हैं अपनी औलाद की फ़िक्र करते-करते सो जाती हैं चाहें हम दुनिया के किसी कोने में चले जाए दोस्तों हमको हर जगह माँ की ममता नज़र आती हैं छोड़ कर मेहबूब का साथ ,थाम लो माँ बाप का हाथ हमारा ख्याल रखते-रखते हमारी माँ की उम्र गुज़र जाती हैं 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©Sethi Ji 🩷💫 ममता का आँचल 💫🩷 मेरी माँ मैं आपकी गोद में सोना चाहता हूँ सब कुछ भुला कर बचपन की यादों में खोना चाहता हूँ ।। थक गया हूँ अकेला चलते - च
Ak.writer_2.0
थक गया हूं मैं तुम पर Line मारते मारते, अब तो हां कर दीजिए मोहतरमा..! ©Ak.writer_2.0 थक गया हूं मैं तुम पर Line मारते मारते, अब तो हां कर दीजिए मोहतरमा..! #hunarbaaz #miss_u Munni शहजादी Dr.Mahira khan sana POONAM GUPTA Neh
Gondwana Sherni 750
"नयन हमारे खूब दुखे हैं अश्क सारे सूख चुके हैं ऊपर वाला भी निरूत्तर है, हम सारे प्रश्न पूछ चुके हैं सजा जो दे रहा उसी के पास, हमारी बेगुनाही के सबूत छुपे हैं मेरी क्या बिसात जो बच निकलूँ, असंख्य प्रेम के दरिया में डूब चुके हैं पढकर आपको मजा आता होगा, हम लिख लिखकर ऊब चुके हैं preeti uikye 750 03/03/24 ©Gondwana Sherni 750 #mobileaddict हम लिख लिखकर थक चूके है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- रूप पल-पल कभी वो बदलते नहीं । साथ दे कर दगा दोस्त करते नहीं ।। नेक इंसान बन दोस्त लगता गले । मैल दिल में रखे लोग मिलते नहीं ।। वो न इंसान है देख संसार में । धूल को जो चंदन समझते नहीं ।। पाँव अपने जमाने अगर हो यहाँ । राह को देख पीछे वो हटते नहीं ।। आसमां की अगर चाहतें जो डगर । बेड़ियों को वो बंधन समझते नहीं ।। चाहतों को हमारी कभी तो समझ । बिन हमारे कभी तुम सँवरते नहीं ।। थक गया है प्रखर राह चलकर तेरी । बात क्या आजकल तुम निकलते नहीं ।। २६/०२/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- रूप पल-पल कभी वो बदलते नहीं । साथ दे कर दगा दोस्त करते नहीं ।।