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Ashraf Fani【असर】

उड़ते-उड़ते थक गया हूँ ज़िन्दगी के बादल में ढूंढता हूँ प्यार-ममता जो था माँ के आँचल में === Udate-Udate thak gaya hu #Hope #शायरी #ashraffani

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꧁ARSHU꧂ارشد

अज़ब चिराग़ हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ , मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे ... sana naaz Anshu writer Manisha Keshav NIKHAT (दर्द मेरे अप #Shayari

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Revashankar Nathani

थक चुके है #જીવન

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थक चुके है  मेहमान की तरह धर आते जाते 
बेघर हो गए हम चंद रुपए कमाते कमाते

©Revashankar Nathani थक चुके है

Rakesh Kumar Sah

#अपनों के दिए ठोकरो से थक कर खुद में ही सिमट सा गया हूं मैं #rishte #apno #thokar #Dar #Yaden #Meherbani #sadpoetrystatus #Poetry #motivational_poetry #sad_shayari_status

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Ravi Ranjan Kumar Kausik

अब थक गया हूं मैं PФФJД ЦDΞSHI वंदना .... Anjuu पथिक.. Sanjana #विचार

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Sethi Ji

🩷💫 ममता का आँचल 💫🩷 मेरी माँ मैं आपकी गोद में सोना चाहता हूँ सब कुछ भुला कर बचपन की यादों में खोना चाहता हूँ ।। थक गया हूँ अकेला चलते - च

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Sanjeev Kumar

#meradil थक गया हूं #कविता

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Ak.writer_2.0

थक गया हूं मैं तुम पर Line मारते मारते, अब तो हां कर दीजिए मोहतरमा..! hunarbaaz miss_u Munni शहजादी Dr.Mahira khan sana POONAM GUPTA Neh

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Gondwana Sherni 750

#mobileaddict हम लिख लिखकर थक चूके है #Poetry

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"नयन हमारे खूब दुखे हैं 
 अश्क सारे सूख चुके हैं 

 ऊपर वाला भी निरूत्तर है, 
 हम सारे प्रश्न पूछ चुके हैं 

 सजा जो दे रहा उसी के पास, 
 हमारी बेगुनाही के सबूत छुपे हैं 

 मेरी क्या बिसात जो बच निकलूँ, 
 असंख्य प्रेम के दरिया में डूब चुके हैं 

 पढकर आपको मजा आता होगा, 
 हम लिख लिखकर ऊब चुके हैं ‌

preeti uikye 750
03/03/24

©Gondwana Sherni 750 #mobileaddict हम लिख लिखकर थक चूके है

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- रूप पल-पल कभी वो बदलते नहीं । साथ दे कर दगा दोस्त करते नहीं ।। #शायरी

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ग़ज़ल :-
रूप पल-पल कभी वो बदलते नहीं ।
साथ दे कर दगा दोस्त करते नहीं ।।

नेक इंसान बन दोस्त लगता गले ।
मैल दिल में रखे लोग मिलते नहीं ।।

वो न इंसान है देख संसार में ।
धूल को जो चंदन समझते नहीं ।।

पाँव अपने जमाने अगर हो यहाँ ।
राह को देख पीछे वो हटते नहीं ।।

आसमां की अगर चाहतें जो डगर ।
बेड़ियों को वो बंधन समझते नहीं ।।

चाहतों को हमारी कभी तो समझ ।
बिन हमारे कभी तुम सँवरते नहीं ।।

थक गया है प्रखर राह चलकर तेरी ।
बात क्या आजकल  तुम निकलते नहीं ।।

२६/०२/२०२४    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


रूप पल-पल कभी वो बदलते नहीं ।

साथ दे कर दगा दोस्त करते नहीं ।।
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