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Ek villain
मध्य-प्रदेश के खरगोन में श्री रामनवमी के जुलूस पर किए गए पथराव एवं घरों में गंगा जी के मामले में हो रहे कार्रवाई में पक्षपात पूर्ण बताने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जोर जाल बुने उसी में उलझ गए हाथ में लाठी तलवार की है लोगों द्वारा एक धार्मिक स्थल पर झंडा लगाने की तस्वीर ट्वीट करते हुए उन्होंने सरकार से सवाल किया था क्या धार्मिक स्थल पर इस तरह झंडा लगाना उचित है या जिनके पत्थर फेंके चाहे किसी भी धर्म के उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जाए शिवराज जी मत भूलिए कि आपने निर्भय होकर सरकार चलाने की कसम खाई है इस ट्वीट के जरिए उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोला तो सरकार भी तस्वीर की ओर छोर तलाशने में जुट गई पता चला कि दिग्विजय ने इस तस्वीर को खरगोन का ट्वीट किया था वह तो मध्यप्रदेश का ही नहीं है उसके कंटेंट संप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाले हैं फिर तो सरकार ने सख्त रुख अपनाने का संकेत दे दिया जब भी दिनों का मोर्चा खुद शिवराज सिंह चौहान ने संभाला उन्होंने ट्वीट किया कि एक युवक द्वारा धार्मिक स्थल पर घटना मध्यप्रदेश की है यह सिद्ध होता है कि देश को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने की साजिश कर रहे हैं मुख्यमंत्री ने की और शुरू हो गई ©Ek villain #अपने ही बुने जाल में उलझे दिग्विजय #baisakhi
Shashi Aswal
बेटी को विदा करते हुए पिता ने बिन माँ की बेटी को कहा प्यार देना सबको समर्पण करती रहना पिता की परवरिश का मान बनाए रखना (Read in caption) बेटी को विदा करते हुए पिता ने बिन माँ की बेटी को कहा प्यार करना सबको समर्पण करती रहना पिता की परवरिश का मान बनाए रखना।।। ये शब्द थे उस पित
Ravendra
Ravendra
Vikas Sharma Shivaaya'
गुरु रामस्वरूप अपने शिष्यों के साथ आश्रम के लिए भिक्षाटन पर निकले थे। वह अपने गुरुकुल में भोजन की व्यवस्था भिक्षा मांग कर ही किया करते थे।जब वह एक कस्बे से दूसरे कस्बे की ओर जा रहे थे, रास्ते में खेत-बधार मिलने लगे। किसी खेत में हरी-भरी फसल खड़ी तो कोई खेत बंजर नजर आ रहा था।ऐसे ही एक बंजर खेत पर किसान कुछ बुवाई करने के लिए खेत को जोत रहा था। वहीं पेड़ के नीचे उसने अपना सारा सामान, पोटली आदि रखा हुआ था। गुरु रामस्वरूप के शिष्यों में एक शिष्य शरारती था, वह शरारती स्वभाव के कारण किसान की रखी हुई पोटली उठा लाया।गुरु रामस्वरूप को जब ज्ञात हुआ कि उसके शिष्य ने कुछ शरारत किया है। गुरु ने शिष्य को समझाया –‘पुत्र इस प्रकार तुम उस गरीब किसान की पोटली चुरा कर उसे कष्ट दे रहे हो! यह कार्य तुम्हें शोभा नहीं देता। तुम उस किसान को दुखी करके अपने ईश्वर को दुखी करोगे। तुम्हें जो पैसे भिक्षा में मिले हैं उसे ले जाकर उसी स्थान पर पोटली सहित रख दो और फिर किसान का भाव देखो।’ शिष्य ने ऐसा ही किया -वह पोटली और पोटली के नीचे भिक्षा में मिले हुए पैसे रख आता है। गरीब किसान काफी दिनों से परेशान था, उसके घर में उसकी माता की तबीयत खराब थी दवाई के लिए कुछ प्रबंध नहीं हो पा रहा था। जब किसान खेत का काम निपटा कर बैठा और उसने अपनी पोटली उठाकर देखी तो उसके नीचे कुछ पैसे थे, उसने इधर-उधर देखा किंतु कोई नजर नहीं आया। किसान पैसे लेकर बहुत खुश हुआ और ऊपर दोनों हाथ करते हुए ईश्वर को धन्यवाद करता रहा। संभवत उसके माता के लिए दवाई का प्रबंध हो गया था। वह खुशी से आंसू बहाता और दोनों हाथ से पोंछता जाता। यह सभी दृश्य गुरु रामस्वरूप और उनके शिष्य छुप कर देख रहे थे। किसी भी व्यक्ति को दुखी करने के बजाए अगर खुश करने की कोशिश की जाए तो यह खुशियां दुगनी हो जाती है। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 658 से 669 नाम 658 वीरः गति आदि से युक्त हैं 659 अनन्तः देश, काल, वस्तु, सर्वात्मा आदि से अपरिच्छिन्न 660 धनञ्जयः अर्जुन के रूप में जिन्होंने दिग्विजय के समय बहुत सा धन जीता था 661 ब्रह्मण्यः जो तप,वेद,ब्राह्मण और ज्ञान के हितकारी हैं 662 ब्रह्मकृत् तपादि के करने वाले हैं 663 ब्रह्मा ब्रह्मरूप से सबकी रचना करने वाले हैं 664 ब्रहम बड़े तथा बढ़ानेवाले हैं 665 ब्रह्मविवर्धनः तपादि को बढ़ाने वाले हैं 666 ब्रह्मविद् वेद तथा वेद के अर्थ को यथावत जानने वाले हैं 667 ब्राह्मणः ब्राह्मण रूप 668 ब्रह्मी ब्रह्म के शेषभूत जिनमे हैं 669 ब्रह्मज्ञः जो अपने आत्मभूत वेदों को जानते हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' गुरु रामस्वरूप अपने शिष्यों के साथ आश्रम के लिए भिक्षाटन पर निकले थे। वह अपने गुरुकुल में भोजन की व्यवस्था भिक्षा मांग कर ही किया करते थे।जब
Narendra Singh Yadav
तीर्थ दर्शन / राजसत्ता सुख दिलाने वाला है मां पीतांबरा सिद्धपीठ, 1935 में हुई थी मातृ शक्ति की आराधना नवरात्र पर्व में देश के विभिन्न मंदिरो