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Harshit Nautiyal / हर्षित नौटियाल
Shabdveni
kumaarkikalamse
उसे ख्वाबों में मुलाकात पसंद है, तन्हाई में, चाँद वाली रात पसंद है। कच्चे धागों में वो बांधती है मोती, उसे नदिया की सुनना, बात पसंद है। वो सुध-बुध खो देती है मीरा की तरह, बांसुरी की धुन पर होने वाली बरसात पसंद है। वो खेलती है फ़ुर्सत में तूफानों से अक्सर, "कुमार" को "मीनाक्षी" के ये खयालात पसंद है। मीनाक्षी जी पहले तो इस गुस्ताखी के लिए क्षमा.. सारी पंक्तिया मैंने आपकी ही ली है अलग अलग पोस्ट से.. हाँ थोड़ा modified किया है इस पेशकश के
Hrishabh Trivedi
😊चाचा विधायक हैं हमारे😊 (अनुशीर्षक में पढ़े) वैसे तो मैंने और आपने ना जाने कितनी ही शादियां देखी होंगी मगर आज हम एक ऐसी शादी के रिसेप्शन में जाने वाले थे जो आजकल लोगों की सोच को देखते ह
AK__Alfaaz..
अप्रतिम अद्वितीय अद्भुत, आभा मईया हरिप्रिया, माँग सुशोभित, सूर्य सम सिंदूर केसरिया, मृगनयनी मीनाक्षी, मधुर कंठ मृदुभाषी, मस्तक सोहे रक्तिम बिंदिया, काया सुवर्ण धात्री, अप्रतिम अद्वितीय अद्भुत, आभा मईया हरिप्रिया, माँग सुशोभित, सूर्य सम सिंदूर केसरिया, मृगनयनी मीनाक्षी, मधुर कंठ मृदुभाषी, मस्तक सोहे
AK__Alfaaz..
जन्मदिवस की उज्जवल कामना लिए, शत् शत् करबद्ध प्रणाम मै करता हूँ, हे दिव्य सुता, हे माँ जानकी सम हरिप्रिया, मै नत् मस्तक कर चरण वंदन करता हूँ अलौकिक दिव्य आभा,मुखमंडल साजे, स्वर्णिम सिंदूरी सूर्य प्रभा तिलक ललाट राजे, माथे सोहे चंचल चंद्रिका सी मनोहर बिंदिया, कंठ पे नाचे मनमोहक मृदुल मनमोहन बाँसुरिया, केश हैं कारे बदरा जैसे,मेघों का जैसे मेघालय, सुंदर सुकोमल रजत वर्ण काया ऐसे चमके, जैसे पूरणमाषि मे चंद्रकांति धरती पे छिटके, निश्छल,निर्मल,मधुर-पीयूष अस्तित्व सुहावन, भूमण्डल पर बिखरे जैसे वर्षा जल मनभावन, जन्मदिवस की उज्जवल कामना लिए, शत् शत् करबद्ध प्रणाम मै करता हूँ, हे दिव्य सुता, हे माँ जानकी सम हरिप्रिया, मै नत् मस्तक कर चरण वंदन करता
नरेश होशियारपुरी
इन मर्गनयनी दो आँखों के जाने कितने दीवाने हैं। कत्ल होते हैं रोज़ लाखों जैसे शमां के परवाने हैं।। दो तीर हैं ये ऐसे तीखे अचूक वार से इनके जो बचते वो किस्मतवाले हैं।। उसपे चेहरे की ये मदमस्त हंसी कर देती घायल है। देखता है ईक बार जो इसे हो जाता कायल है।। मृगनैनी - like eyes of deer मीनाक्षी - eyes like fish कृपाण- sword अधर- lips 🌟Do Collab With This Background With Your Amazing Thoughts
AB
.... प्रिय मीनाक्षी जी ( Shabdveni ) एक बेहतरीन लेखिका ( authour : "विश्वासघात" ) blogger. बहुत ही हर्ष अनुभव हो रहा है सबसे पहले तो बहुत बहुत आ
Anamika Nautiyal
उपन्यास विश्वासघात लेखिका मीनाक्षी शुक्ला उपलब्धता :- योरकोट, प्रतिलिपि बिहार की पृष्ठ भूमि पर लिखा गया यह उपन्यास बिहार से होते हुए आप
Meenakshi Raje
खंड हूँ मैं अखण्ड भी, सौम्य हूँ मैं प्रचंड भी, अंत हूँ आरंभ भी, मैं सृष्टि का प्रारंभ भी, सृजन मैं मृत्यु भी मैं, हूँ पाप की शत्रु भी मैं, मैं ही भव-भय हारिणी, हूँ कालरात्रि विनाशिनी, अपनों की मैं ही ढाल हूँ, दुष्टों का मैं ही काल हूँ, मुझमें समाहित है गगन, मुझसे ही वेग पाते पवन, सब जानते मेरी आकृति, कोई और नहीं मैं हूँ प्रकृति!! -मीनाक्षी ©Meenakshi Raje खंड हूँ मैं अखण्ड भी, सौम्य हूँ मैं प्रचंड भी, अंत हूँ आरंभ भी, मैं सृष्टि का प्रारंभ भी, सृजन मैं मृत्यु भी मैं, हूँ पाप की शत्रु भी मैं,