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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल:- तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं । क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१ थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला । प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं । #शायरी

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White ग़ज़ल:-
तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं ।
क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१
थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला ।
प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।।२
साथ चलना तुम्हारे अलग बात है ।
साथ पर अजनबी का निभाती नहीं ।।३
जिनसे रिश्ता जुड़ा है यहाँ प्यार का ।
देख उनको कभी मैं रुलाती नहीं ।।४
प्रेम उनका करें कैसे जाहिर यहाँ ।
माँग सिंदूर क्या मैं सजाती नहीं ।।५
दौड़ आयेगा वो  एक आवाज़ में ।
पर उसे भी कभी मैं बुलाती नहीं ।।६
प्यार का सोचकर आज अंज़ाम मैं ।
कोई रिश्ता भी देखो बनाती नहीं ।।७
है सड़क पर बहुत आज मजनूं पड़े ।
मैं नज़र यार उनसे मिलाती नहीं ।।८
भूल तुमसे हुई है जताकर वफ़ा ।
जा प्रखर केश तुझ पर लगाती नहीं ।।९


०६/०४/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:-
तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं ।
क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१
थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला ।
प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।

Shaarang Deepak

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (07 & 08) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic #भक्ति #hanumanjayanti #JaiShreeRam #Shorts #hanumanji #hanumanchalisa #hanumantemple #हनुमान_चालीसा #hanumanbhajan

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Astro Yogi

#shrirammandir संस्कृत श्लोक बच्चनं के द्वारा विद्या नाम नरेश स्वरूप मधीकम #भक्ति

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Shaarang Deepak

Shri Ram Chandra kripalu Bhajman (श्रीरामचंद्र कृपालु भजमन) shlok [08 with Hindi meaning जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मं #समाज #Rammandir #JaiShreeRam #jaishriram #Ayodhya #shriramstuti #rammandirayodhya #rammandir2024 #ShriRamChandraKripaluBhajman #श्रीरामचंद्रकृपालुभजमन

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YumRaaj ( MB जटाधारी )

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- बिना घर के भी हम डटकर खड़े हैं कहें किससे कि अब मर कर खड़े हैं ।।१ हमारे सामने गिरधर खड़े हैं । #शायरी

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ग़ज़ल :-
बिना घर के भी हम डटकर खड़े हैं
कहें किससे कि अब मर कर खड़े हैं ।।१
हमारे सामने गिरधर खड़े हैं ।
सकल संसार के रहबर खड़े हैं ।।२
करें कैसे तुम्हारा मान अब हम ।
पलटकर देखिए झुककर खड़े हैं ।३
डरूँ क्यूँ आँधियों को देखकर मैं ।
अभी पीछे मेरे गुरुवर खड़े हैं ।।४
मसीहा जो बताते थे खुदी को ।
वही अब देख बुत बनकर खड़े हैं ।।५
अभी तुम बात मत करना कोई भी ।
हमारे साथ सब सहचर खड़े हैं ।।६
मिली है योग्यता से नौकरी यह ।
तभी तो सामने तन कर खड़े हैं ।।७
पकड़ लो हाथ तुम अब तो किसी का ।
तुम्हारे योग्य इतने वर खड़े हैं ।।८
निभाओ तो प्रखर वादा कभी अब ।
अभी तक देखिए छत पर खड़े हैं ।।
२६/०३/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

बिना घर के भी हम डटकर खड़े हैं

कहें किससे कि अब मर कर खड़े हैं ।।१


हमारे सामने गिरधर खड़े हैं ।

Bharat Bhushan pathak

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Dhanraj Gamare

जागतिक महिला दिनाच्या निमित्ताने गझल काव्य संध्या व बुककट्टा टीम ( पिंपरी चिंचवड) यांच्या संयुक्त विद्यमाने आयोजित दुसरे कवी संमेलन २०२४ #hunarbaaz

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां  करना भी आसानी नहीं है ।।२ #शायरी

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ग़ज़ल :-

यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है ।
बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१

गिरा जो आँख से पानी नहीं है ।
बयां  करना भी आसानी नहीं है ।।२

लगाओ खूब नारे हिंद के अब ।
यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३

जरा सा हौसला करके तो देखो  ।
कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४

तुम्हीं से पूछने आये चले हम ।
हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५

चुनावी खेल चालू हो गये तो ।
दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६

लगे आरोप झूठे सैनिकों पे ।
हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७

अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस ।
प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८

१२/०३ २०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है ।
बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१

गिरा जो आँख से पानी नहीं है ।
बयां  करना भी आसानी नहीं है ।।२
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