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Arshu....
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके, वो चले जा रहे है.. हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े अभी से ये तारे, जिस्म पिघला रहे हैं.. गले से लगा लो, या मुझको मार डालो वसवसे तन्हाइयों के, दिल दहला रहे हैं.. किया ये अहद है, फिर ना होगी मुहब्बत लाचारगी तो देखो, ख़ुद को बहला रहे हैं.. लगाते है वो मोल, उदासियों का मिरी हूँ परेशां बे-मतलब, ये दोहरा रहे हैं.. आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें रहमत ये किस ख़ुशी में, वो बरसा रहे हैं.. इक शराब ही है, ग़म-ए-फुरक़त समझती मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं.. वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की हम भी हैं इंसा, हम भी पछता रहे हैं.. तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं.. दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है.. किनारे लग गए हैं, मिरे ख़्वाब सारे देखकर मिरा हस्र, ये भी घबरा रहे है.. मेरा अज़ीब होना, ही है मेरी जरूरत छोटे मोटे ग़म तो, आने को शरमा रहे है.. ©Arshu.... नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके #Shayari
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चंद रोज़ और मिरी जान फ़क़त चंद ही रोज़ , ज़ुल्म की छाँव में दम लेने पे मजबूर हैं हम ... ©Arshu.... चंद रोज़ और मिरी जान फ़क़त चंद ही रोज़ , ज़ुल्म की छाँव में दम लेने पे मजबूर हैं हम... shiza प्रज्ञा Ritu Tyagi jhanvi Singh Shayra
चंद रोज़ और मिरी जान फ़क़त चंद ही रोज़ , ज़ुल्म की छाँव में दम लेने पे मजबूर हैं हम... shiza प्रज्ञा Ritu Tyagi jhanvi Singh Shayra #SAD
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१ मै गम ए शनास तेरे अदब मे*अज़ीयत सहती रही अब मुझमे तेरी*ताजीम की कोई *नीयत भी नहीं है//२ मुझे दर _बदर करने के तुने कई मन्सुबे घड़ तो लिए, के अब इसमे बची तिरि कुछ हकीकत भी नहीं है//३ तर्के ताल्लुक से मिरी बर्बादी तो तिरे सरपे होगी,तूने हैरान किया इतना,अब मिल्लत की जरूरत भी नहीं है//४ गर चुप रही तेरे तशद्दूद पे तो मुझे मिरि अना मार देगी, अब अदल करने मे रत्तीभर तिरि हिम्मत भी नहीं है//५ मेरे एह्बाब् ने विरसे का करके किस्सा तमाम,अब् मुझे कहते है विरासत मे तिरी कोई शिर्कत भी नहीं है//६ आदत बदल लेगा तु बदसलुकी की,इस आस मे उम्र तमाम की, तुझमे दिखती *हुस्नेसलूक की वो पहली सी झलक भी नहीं है//७ "शमा"साथ रह्ते हुए,जब हो जाए खत्म,एहसासे कुर्बत, तो अब मान ही लो के ऐसी कुर्बत मे उल्फत भी नहीं है//८ #shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #love_shayari तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१*पास मै गम ए शनास तेरे अदब म
#love_shayari तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१*पास मै गम ए शनास तेरे अदब म #shamawritesBebaak
read moreखामोशी और दस्तक
🥀💦 बे-क़रारी सी___ बे-क़रारी है ! वस्ल है और__ फ़िराक़ तारी है !! بے قراری سی__ بے قراری ہے* وصل ہے اور فراق _ طاری ہے** जो गुज़ारी न जा सकी हम से ! हम ने वोह ज़िंदगी __गुज़ारी है !! جو گذاری نہ جا سکی ہم سے* ہم نے وہ زندگی___ گزاری ہے** बिन तुम्हारे कभी __नहीं आई ! क्या मिरी नींद __भी तुम्हारी है !! بن تمہارے کبھی__ نہیں آئی* کیا میری نیند بھی تمہاری ہے** उस से कहियो कि___ दिल की गलियों में ! रात दिन तेरी ___इंतिज़ारी है !! اس سے کہیو___ کے دل کی گلیوں میں* رات دن تیری ___انتظاری ہے** हिज्र हो या विसाल __हो कुछ हो ! हम हैं और उस की यादगारी है!! ہجر ہویا وصال ہو__ کچھ ہو* ہم ہیں اور اس__ کی یادگاری ہے** इक महक ____सम्त-ए-दिल से आई थी ! मैं ये समझा तिरी ___सवारी है !! ایک مہک سمت ___دل سے ائی تھی* میں یہ سمجھا تیری__ سواری ہے** 🥀💦🥀💦🥀 ( Joun Elia) Poet ©खामोशी और दस्तक गम भरी शायरी 🥀💦 बे-क़रारी सी___ बे-क़रारी है ! वस्ल है और__ फ़िराक़ तारी है !! بے قراری سی__ بے قراری ہے* وصل ہے اور فراق _ طاری ہے** जो गु
गम भरी शायरी 🥀💦 बे-क़रारी सी___ बे-क़रारी है ! वस्ल है और__ फ़िराक़ तारी है !! بے قراری سی__ بے قراری ہے* وصل ہے اور فراق _ طاری ہے** जो गु
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