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महेन्द्र सिंह (माही)
"वक्त किसी को देना भी तो बढी कीमती दौलत हे, देना हे उपहार मुझे तो वक्त भेट में दे देना.. ©महेन्द्र सिंह (माही) #samay "वक्त किसी को देना भी तो बढी कीमती दौलत हे, देना हे उपहार मुझे तो वक्त भेट में दे देना
#samay "वक्त किसी को देना भी तो बढी कीमती दौलत हे, देना हे उपहार मुझे तो वक्त भेट में दे देना
read moreSonal Panwar
White हे ईश्वर ……. अगर अंधेरा छा रहा हो जीवन में मेरे , तो रोशनी की एक किरण तुम बन जाना ! अगर अनजान राहों में गुम हो जाऊँ मैं कभी , तो मार्ग की एक दिशा तुम बन जाना ! अगर निराशा की काली परछाई घेर ले मुझे , तो आस का एक दीया तुम बन जाना ! अगर मंज़िल तक न पहुँच पाये मेरे कदम , तो सफलता की एक सीढी तुम बन जाना ! अगर सांसों की माला से बिखरे सब मोती , तो एक ‘नया जीवन’ तुम बन जाना ! ©Sonal Panwar हे ईश्वर.....🌹🌹🙏🏻🙏🏻✨✨ #ishwar #prayer #Poetry #nojotohindi
हे ईश्वर.....🌹🌹🙏🏻🙏🏻✨✨ #ishwar #prayer Poetry #nojotohindi
read moreParasram Arora
White हर मंदिर और मस्जिद की चौखट पर हम एक भिखारी की हैसियत से ज्यादा की हैसियत नहीं रखते क्यों कि मंदिर मस्जिद मे जाने का हमारा उदेश्य अपनी ख्वाहिशों को ईश्वर से पूरा करवाने की प्रार्थना करना ही हैँ ©Parasram Arora मंदिर की चौखट
मंदिर की चौखट
read moreSatish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
read moreSatish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
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