Nojoto: Largest Storytelling Platform

New हिमाद्रि Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about हिमाद्रि from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, हिमाद्रि.

    PopularLatestVideo

पं० हिमांशु तिवारी "अमन"

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से #कविता

read more
mute video

Dr. Manishacharya Yoga Guru Astrologer

वंदे गङ्गे हे! हिमाद्रि वंदे त्वम हे ध्वल तरंगे

read more
mute video

sneha raj

जयशंकर प्रसाद जी की रचना शीर्षक कविता 'हिमाद्रि तुंग श्रृंग से"।

read more
mute video

विष्णुप्रिया

हिमालय....यह....नाम सुनते ही तीव्र अद्यात्मिक ऊर्जा का संचार सा होने लगता है मेरे भीतर । फिर भी आज तक हिमालय दर्शन का सौभाग्य, प्राप्त ना हो #yqdidi #hindistory #ydbaba #आत्मबोध

read more
गृहस्थ और वैराग्य के मध्य
उलझे कुछ विचार,
कुछ भाव,
कुछ मान्यताएं,
और,
उनका उत्तर खोजती मैं...
इसी उधेड़बुन में यह कहनी रच गई...

' हिमाद्रि '

कैप्शन में पढ़े...
 हिमालय....यह....नाम सुनते ही तीव्र अद्यात्मिक ऊर्जा का संचार सा होने लगता है मेरे भीतर । फिर भी आज तक हिमालय दर्शन का सौभाग्य, प्राप्त ना हो

Sunita D Prasad

मितव्ययता--* माँ कहती थी.. मितव्ययी बन, बचाना सीख, जोड़ना सीख..। #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

read more
*मितव्ययता--*

माँ कहती थी..
मितव्ययी बन,
बचाना सीख,
जोड़ना सीख..।

वैसे ही 
जैसे..
आकाश,
बचा लेता है, 
कुछ मेघ..।
नदी,
बचा लेती है, 
थोड़ा जल..। 
और हिमाद्रियाँ.. 
बचा लेती हैं, 
थोड़ी शीतलता..। 

प्रकृति भी कभी
नहीं व्यय करती,
सबकुछ..पूरा-पूरा ..।
बचा लेती है
वह भी..
जल, मृदा, वायु 
और आकाश,
थोड़ा-थोड़ा..।
ताकि बनी रह सके..
सदैव,
इनमें  अनवरतता..।

इसलिए ही अब..
लिखते समय, प्रेम कविताएँ.. 
बचा लेती हूँ, मैं भी ..
कुछ शब्द- कुछ प्रेम..
कोरे-सपाट पृष्ठों पर..। 
ताकि लिख सकूँ पुनः .. 
एक नई कविता कोई..। 
ताकि बनीं रह सकें.. 
कविताओं में मेरी भी
अनवरत प्रेम की 
संभावनाएँ सभी..। 

हाँ,
मैंने भी अब ..
मितव्ययी होना 
सीख लिया है..।।
**** * *** मितव्ययता--*

माँ कहती थी..
मितव्ययी बन,
बचाना सीख,
जोड़ना सीख..।

Sunita D Prasad

#जीवित रहने की शर्त है....सृजन..! जब तक हम रचते रहते हैं तब तक हम बचे रहते हैं जीते जी मरने से..! नदियों ने बसाई सभ्यताएँ, एक के बाद दूस #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

read more

जब तक हम रचते रहते हैं 
तब तक हम बचे रहते हैं जीते जी मरने से..!

नदियों ने बसाई सभ्यताएँ, एक के बाद दूसरी
सभ्यताओं के आरंभ और अंत के मध्य
नदी अनवरत रही बहती 
और गढ़ती रही नित-नई सभ्यताएँ
तभी हर सभ्यता की वह जीवंत साक्षी रही..।

बारिशों ने आग से स्वाहा हुए जंगलों में भी
फूँक दिया जीवन और खिला दी राख में भी कोंपल
विनाश और सृजन के मध्य 
बारिश ने जीवित रखीं जीवन की संभावनाएँ..
और स्वयं भी बनी रही सजीव, संग इनके..।

सागर रहकर भी खारा, बाँटता रहा मीठा
वह बिना रुके रचता रहा मेघ
और उसने स्वयं को जीवित रखा 
बारिशों में, नदियों में 
और हिमाद्रियों में..



 
#जीवित रहने की शर्त है....सृजन..!

जब तक हम रचते रहते हैं 
तब तक हम बचे रहते हैं जीते जी मरने से..!

नदियों ने बसाई सभ्यताएँ, एक के बाद दूस

kavi manish mann

हिमखंडों की वर्षा हो या आए आंँधी तूफ़ान। नाव सी कंपित भूतल हो या आए शत्रु शैतान। हिमाद्रि की चोटी पे पहुंँचकर कर्तव्य निर्वाह करते हैं। शत्

read more
 यहां हजारों शायर हैं जो तख्त बदलने निकलें हैं,
   कुछ मेरे जैसे पागल हैं जो वक्त बदलनें निकलें हैं। हिमखंडों की वर्षा हो या आए आंँधी तूफ़ान।
नाव सी कंपित भूतल हो या आए शत्रु शैतान।

हिमाद्रि की चोटी पे पहुंँचकर कर्तव्य निर्वाह करते हैं।
शत्
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile