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Rohit Thapliyal (Badhai Ho Chutti Ki प्यारी मुक्की 👊😇की 🙏)
सवाल- क्या होती है तन्हाई? जवाब- इसका होना पूछा या इसके बारे में पूछा? खैर जो भी पूछा हो, पर यदि तन्हाई को करना हो Go, तो कुछ झपकी जम्हाई की लो, और कुछ वक्त निंदिया मैया के साथ हो लो! अब समझो तन्हाई की तो हो गई छुट्टी धन्यवाद बधाई हो छुट्टी की by #NojotoQuote सवाल- क्या होती है तन्हाई? जवाब- इसका होना पूछा या इसके बारे में पूछा? खैर जो भी पूछा हो, पर यदि तन्हाई को करना हो Go, तो कुछ झपकी जम्हाई क
Vishal Vaid
एक बार उसने मुझसे कहा था चार बजे वाला सूरज कभी देखा नही। कल सुबह भी शायद जल्दी जगी थी चार बजे ही शायद सुबह का सूरज देखने को । सूरज भी बेचारा हड़बड़ाकर उठा होगा कि आज अचानक इतनी सुबह मैं भी कब निकलता हूँ फिर भी सूरज उसके लिए निकलने ही वाला था । मगर वो फिर से करवट ले सो गई औऱ फिर सूरज ने भी एक जम्हाई लेकर कुछ देर और सोने के लिए बादलों की चादर ओढ़ ली। मैंने भी कहा था उस से चार बजे सूरज नहीं निकलता पगली !!! #yqdidi #besyqthindiquote #सूरज #नज्म #love एक बार उसने मुझसे कहा था चार बजे वाला सूरज कभी देखा नही। कल सुबह भी शायद जल्दी जगी थी चार
Azad
⚠️कहानी सत्य घटना पर बिलकुल भी आधारित नही है। गोपनीयता बनाये रखने के लिये नाम और जगह बदलने की जरूरत नही पडी, क्योकि सभी पात्र काल्पनिक है। शीषर्क : हाय! पड़ोसन 😰 मेरा घर मानो किसी शमशान में था गिने चुने थे दो चार ही है, मकान और बाकी तो दुनिया थी ही वीरान नुक्कड़ पर थी एक किरान
Vijay Tyagi
अलसाई मालकिन ने जैसे ही ली जम्हाई किचन से नौकरानी की कर्कश आवाज आई "मालकिन टोस्टर में ब्रेड जल गई है रोटियां फ्रिज में पड़े-पड़े ही गल गई हैं" मालकिन-जरा देख पप्पू के डैडी नहा चुके हैं अभी भूखे हैं या कुछ खा चुके हैं "मालिक ने तो सुबहई नाश्ता कर लिया था, आज फिर कुत्ते के बिस्किट से पेट भर लिया था" अगर ऐसा है तो इन सब को फेंक दें और मेरे लिए ताजी-ताजी ब्रेड को सेंक दे "ओ पप्पू के डैडी.... पिछले संडे भी तुमने कुत्ते का नाश्ता हड़पा था बेचारा टॉमी पूरे 3 दिनों तक तड़पा था तुमने तो लाज शर्म को ही बेच खाया है ये कैसे भूल गए टॉमी तो मेरे दहेज में आया है टॉमी का अपमान मुझसे सहन ना होगा उसके गले की जंजीर-पट्टा अब तुम्हें पहनना होगा विजय त्यागी अलसाई मालकिन ने जैसे ही ली जम्हाई किचन से नौकरानी की कर्कश आवाज आई "मालकिन टोस्टर में ब्रेड जल गई है रोटियां फ्रिज में पड़े-पड़े ही गल ग
Sanjeev_mrigtrishna Kashyap
सजा धजा के लेखकों ने मिठाईयां सजाई है चापलूसी की स्याही जबसे बाज़ार में आई है जी ज़नाब वाह ज़नाब मोलभाव बढ़ा रहे है मीठी ज़ुबाँ ने कीमतें ही मक्
Sunita D Prasad
कुनकुनाती सी मैें, ज्यों ही करवट बदलती हूँ स्वयं को माँ,,तेरी ही गोद में पाती हूँ वो अहसास,वो छुअन तेरी उँगलियों की मुझे अपनेपन से सराबोर कर जाती है। सच में माँ तू कितनी प्यारी है बस,अहसास तेरा पाते ही जैसे ही मेरी आँखें खुलती हैं वैसे ही मैं अपनी गोद में, अपने ही अंश को पाती हूँ वह नन्हीं-नन्हीं आंखों से मेरा मुख ताक रहा है हल्की सी मुस्कुराहट और सुरक्षा भाव लिए जम्हाई ले रहा है अभी-अभी मैंने जो महसूस किया था तेरा वो स्नहिल'स्पर्श' अब वो महसूस कर रहा है। मेरे लाल!,धन्यवाद तेरा , मेरे जीवन में आने के लिए,,क्योंकि.. तूने ही मुझे इस 'माँ 'शब्द का अर्थ है समझाया मुझमें ममता का अहसास जगाया.. माँ क्या होती है,,?तूने ही ये सिखलाया.. तेरा स्वागत है मेरे जीवन में ओ मेरे लाल! अपनी मुस्कुराहट से भर दे मेरी ममता की बगिया को खिलखिलाता रहे सदा तू यूँ ही बस यही कामना है अब तो इस माँ के,,ममतामयी ह्रदय की..।। #yqdidi #yqpowrim #yqpowrimo # मायें कुनकुनाती सी मैें, ज्यों ही करवट बदलती हूँ स्वयं को माँ,,तेरी ही गोद में पाती हूँ वो अहसास,वो छुअन ते
Shikha Mishra
(Read full poem in caption 👇🏻) #yqbaba #yqdidi #yopowrimo #लिखूं #लिखने #लिखना #बोलो_क्या_लिखूँ जब भी मैं कुछ लिखने बैठती हूँ तो खून खौल जाता है मेरा, सोचती हूँ, क्
Darshan Blon
"और कब तक सोना है बेटा?" कहते हुए माई जगाई मुझे, "आधा दिन निकल चुका है अब तो" कहते हुए वो उठाई मुझे, आंखें मलते, जम्हाई लेते, दोनों बाहों को तानते हुए उठा मैं भी बिस्तर से, दौड़ाया नज़र जो मोबाइल पर तो "दस मिस्डकॉल" आ चुका था दफ्तर से, देखा घड़ी तो बजा था नौ पर मेरा बारह बज गया , झटसे दंत मंज़न और स्नान करके फटसे दफ्तर की और निकल पड़ा l पूरा किस्सा कैप्शन में पढ़ें..... सुप्रभात। सुबह हो चुकी है। मन को जगाइए। #कबतक #collab #yqdidi #हास्यकविता #funnypoem #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Divyanshu Pathak
कोरोना और जीवन- 02 विश्वभर में कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है। हमारे देश में भी सबसे ज़्यादा मार ग़रीब ने झेली। गंदगी अशिक्षा और अभाव पहले से ही उनके दुश्मन बने बैठे थे रही सही कसर कोरोना ने निकाल ली। बात ये है कि आज़ादी के सात दशकों से हम देश की ग़रीबी और अशिक्षा को दूर नही कर पाए। क्या कारण रहे होंगे?हमारे देश की आज़ादी के बाद स्वतंत्र हुए कई देश बेहतर कर पाए कैसे? #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा के कारण देश में पहले से ही हालात स्थिर नही थे। जो भी कारण रहे न तो देश की जनता इन्हें समझना चाहती और न
Deepak Kumar