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Mohan Somalkar
शैलेशला वाढदिवसानिमित्त शुभेच्छा जीवन जगता जगता धावपळीतून वेळ काढावे जीवनाच्या शर्यतीत रोजच का धावत रहावे.! म्हणूनच प्रत्येक क्षण तु धुंद होऊन जगत असतो! जीवनात किती छंद तु जोपासत बसतो..! दुर अंतरी मित्रांपासून राहुन मैत्रीचा धागा तु घट्ट ठेवला! प्रत्येक मित्राला हृदयी ठेऊन ऋणानुबंध मैत्रीचा सदैव जपला! सारे मित्र करतो तुला सलाम जरी आहे तु आमच्यापासून लांब! आरोग्य सदा सुदृढ राहो आम्हासाठी तु पृथ्वीवर शंभर वर्ष थांब! प्रिय मित्र शैलेश तुला इंदिरा गांधी हायस्कूल 1990 बॅच करुन शुभेच्छा मोहन सोमलकर नागपुर ©Mohan Somalkar #-कविता
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
Anand Kumar Ashodhiya
अशोक तंवर : चुनावी रागनी दोचश्मी औरत : श्री अशोक तंवर जी नै, पिया इब जितवावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : 36 जातों का प्यारा, यो सबके हक दिलवा रहया पुरुष : सिरसा डिस्ट्रिक्ट तै, यो न्या का झण्डा ठा रहया पुरुष : मनै कसम तेरी खाली, इबकै हँगा लावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : बेरोजगारी भत्ता, यो दस हजार मिलेगा पुरुष : हो घर घर एक नौकरी, भाई कोशिश यो करेगा पुरुष : बुर्जुग महिला पैंशन, पाच हजार दिवावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : राशन, गैस कनेक्शन, बिजली पाणी दे रहया पुरुष : शिक्षा मुफ्त चिकित्सा, किसान मानधन दे रहया पुरुष : एन पी एस के जरिए सबकी, पेंशन बंधवावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : कहै आनन्द शाहपुरिया, करो वोटा का जरिया पुरुष : करे हाथ जोड़ विनति, जितवादो इस बरिया पुरुष : गरीब किसान पिछड़ों की, आवाज उठावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ Anand Kumar Ashodhiya©2024 ©Anand Kumar Ashodhiya #कविता
संदीप
*मीरा का विश्वास* मीरा संग जब हो 'विश्वास' तो क्यों करे वो देखो किसी से आस रिश्तों के अटूट बंधन में बंधकर, निभाए वो जीवन भर का साथ। पत्नी धर्म को निभाए हँसी-खुशी से फिर क्यों करे वो किसी पर विश्वास बिन मीरा संग विश्वास लगे अधुरा लगता है मन देखो जग में बेकार बिन मीरा के हर संयोग है अधुरा- विश्वास बेगैर होए ना सपना कोई पूरा अपने घर-आँगन को वा प्यार से सजाए दामन खुशियों का भर मन वा छा जाए हर सुख-दुःख में मीरा साथ निभाए फिर क्यों करे वो किसी से आस *संदीप कुमार'विश्वास'* ©संदीप कविता
"Hare Krishna "(कवि/गीतकार)
गिर गिर कर उठने कोशिश करते रहना है । चलना ही जीवन है प्यारे चलते रहना है ।। ©"Hare Krishna "(कवि/गीतकार) कविता
Rudra Pratap Singh
मुझे घर बनाने; घर से दूर निकलना पड़ा, और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। हारा हिम्मत; टूटा हौसला कई बार, बेशक! “कुछ दूर और!” कह कर बस चलना पड़ा। थक कर चूर; जब सोया कभी इत्मीनान से, नींद आई नहीं पूरी रात; बस करवट बदलना पड़ा। याद आती रही मां, बाप से दूर होना खलता रहा, मत पूछो, अपनों से दूर हो कितना मचलना पड़ा। और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। ©Rudra Pratap Singh मुझे घर बनाने घर से दूर निकालना पड़ा #घर #होली #Festival #holi
Shahid0007
Autumn गुलों के रास्ते में, कांटे तो आयेंगे ही, चुभेंगे पावों में,और दिल को दहलाएंगे भी, हो सकता है डर भी लगे,और मन कहे घर लौटने को मगर, ये कांटे ही गुलों तक पहुंचाएंगे भी 🙂 ©Shahid0007 #कविता