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samandar Speaks
Unsplash चलो फिर से वही लौटे, जहां खुशियां थी, रौनक थी, बड़ी तंगी, गरीबी थी, मगर दिलों में चाहत थी। जहां पहली किरण आकर,मुंडेरों पे बैठ गाती थी महकती रागिनी संग संग दिलो को पास लाती थी जहां पनघट पर ठिठोली थी, चौपालों पर दीवाने थे छोटे घर से निकल के सब वही महफिल सजाते थे वहीं सावन के रिमझिम थी,वही झूले थे नग़्मे थे जहां मिट्टी कि खुशबु में सभी के दिल संवरते थे तालाबों में जमा पानी,रजत सा खूब चमकता था भागे बैलों के पीछे दिन,जरा सा भी न थकता था जहां त्यौहार कि खुश्बू सभी घर से निकलती थी जिसे मर्जी जहां खाए, नहीं दूरी झलकती थी कभी यारो के घर सोना,उन्हीं के घर ही खा लेना अम्मा कि रसोई में पहुंच हर बात कह देना ये सब खूब होता था , वहां बेखौफ रहते थे कोई बैरी नहीं होता ,सभी अपने हीं होते थे चलो फिर से वही लौटे, जहां रिश्ते न टूटे थे, जहां दौलत के पीछे भागते सपने न झूठे थे। चलो फिर से उसे जिएं, जहां क़ुदरत की बाहें थी, जहां सुकून थी हरसु मगर थोड़ी भी न आहें थी राजीव ©samandar Speaks #camping Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Mukesh Poonia Sandeep L Guru Poonam bagadia "punit"
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White अब घर घर में ये आग फैलाई जाएगी चुनावी,साल है,अदावत,सबसे निभाई जायेंगी सबको जमातों कौमों फिरको में बाटकर आग लगा कर घरों में आग से बुझाई जायेगी वतन के रहनुमाओं को मोहरों कि शकल देकर झूठी हमदर्दी से मुहब्बत दिखाई जायेगी मुफ़्त कि रोटियां बंटेगी घर गिरवी रख कर इस कदर हमारे कल कि बोली लगाई जायेगी झंडो तले बंटेगी नवजवानों कि जवानी फिर से पैर तोड़ कर आसमानों की अदा सिखाई जाएगी अब घर घर में ये आग फैलाई जाएगी चुनावी,साल है अदावत सबसे निभाई जायेंगी राजीव ©samandar Speaks #diwali_wishes अंजान Satyaprem Upadhyay मनीष शर्मा Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru
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White ये आसमां ज़मीं पर उतर क्यों नहीं जाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता ये रुकता तो,बच्चे भी बच्चे रहते,हम भी हम रहते न वो दूर कहीं जाते,ना हम घर के बाहर ठहरते बदलते वक्त के हालात पर ये तरश क्यों नहीं खाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता झोपड़ियां सहमी है दुबकी हैं फट्टे शॉल में लिपटी है बकरियां फट्टे बोरे में,टूटी खाट पे हुई जा खड़ी हैं इस बेबसी में नए साल का फितूर उतर क्यों नहीं जाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता बाप कि जवानी लेकर बेटे बड़े हो रहे हैं इन्हें जवान करते बाप अधमरे हो रहे हैं रैन बसेरों का डर अब निकल क्यों नहीं जाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता राजीव ©samandar Speaks #love_shayari मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay अंजान S
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