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Shreyansh Gaurav
White इस मुहब्बत क़े ज़ज़्बे कभी भी, ज़माने में कम नहीं होंगे बस वक़्त बीतनें दो, यहीं लोग इंसान बदलते मिलेंगे..! यहाँ लोंगो को देखता हूँ आजकल, बहुत हसीं आती है कहते है तुमबिन मर जायेंगे, अगले पल ही बदल जायेंगे..! आज की तारीख में देखो,कसमों वादों का कोई मतलब है जो जितनी अधिक कसमें खाये, वहीं झूठ बोलते मिलेंगे..! मुहब्बत अब नहीं रहीं लोंगो क़े दरमियाँ, वो पहले जैसी इक़ पल मिलते है,साथ साथ है,अलग अलग निकलेंगे.! मुहब्बत में इंसान कभी इक़ दूजे से अलग ही नहीं होते इसमें इक़ अनजानी अनदेखी डोर से हमेशा बधे मिलेंगे..! मुहब्बत कोई ज़िस्मो की जरूरत नहीं है,अब क्या समझें दूर दूर हो हमसफ़र, फ़िर भी लगेगा हम साथ साथ मरेंगे..! मुहब्बत में वादों की गुंजाइश नहीं, निभाना होता है इसे ईमानदारी से मौके जाया करके, हमेशा यें साथ साथ रहेंगे..!! ©Shreyansh Gaurav #आओ मुहब्बत सिखाता हूँ #आओ मुहब्बत दिखाता हूँ #Thinking
gaTTubaba
words...... लगा था उसको खोकर आया हूँ तबसे खुदको भी खोकर आया हूँ आइना तोड़कर आया हूँ या आँखें छोड़कर आया हूँ कागज़ कमाकर लाया हूँ या जेब गँवाकर आया हूँ मोती लेकर आया हूँ या समंदर देकर आया हूँ ©gaTTubaba words...... लगा था उसको खोकर आया हूँ तबसे खुदको भी खोकर आया हूँ आइना तोड़कर आया हूँ या आँखें छोड़कर आया हूँ
words...... लगा था उसको खोकर आया हूँ तबसे खुदको भी खोकर आया हूँ आइना तोड़कर आया हूँ या आँखें छोड़कर आया हूँ
read moreAnukaran
White बदला नहीं हूँ, बस थोड़ा सहम गया हूँ, रुका नहीं हूँ, बस थोड़ा थक गया हूँ। continue... ©Anukaran #Thinking बदला नहीं हूँ, बस थोड़ा सहम गया हूँ, रुका नहीं हूँ, बस थोड़ा थक गया हूँ। continue...
#Thinking बदला नहीं हूँ, बस थोड़ा सहम गया हूँ, रुका नहीं हूँ, बस थोड़ा थक गया हूँ। continue...
read moreF M POETRY
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset बड़ी गर्दिश में हैं मेरे सितारे.. खड़ा हूँ आज मैं दरिया किनारे.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #खड़ा हूँ आज...
#खड़ा हूँ आज...
read moreBhupendra Rawat
White बोलने से पहले अक़्सर सोचता हूँ, मैं नाजाने क्यों ख़ुद को इतना खरोंचता हूँ, मैं हर्फ़ों पर साधकर चुप्पी अपने अश्रु ख़ुद के स्वयं पोछता हूँ, मैं ©Bhupendra Rawat #love_shayari बोलने से पहले अक़्सर सोचता हूँ, मैं नाजाने क्यों ख़ुद को इतना खरोंचता हूँ, मैं हर्फ़ों पर साधकर चुप्पी अपने अश्रु ख़ुद के स्वयं प
#love_shayari बोलने से पहले अक़्सर सोचता हूँ, मैं नाजाने क्यों ख़ुद को इतना खरोंचता हूँ, मैं हर्फ़ों पर साधकर चुप्पी अपने अश्रु ख़ुद के स्वयं प
read moreSanjeev0834
कभी सोचता हूँ के मुज्य सोचती होगी वो फिर सोचता हूँ ये किया सोचता हूँ में Sometimes I think that she must be thinking about me Then I think what am I thinking ©Sanjeev0834 कभी #सोचता हूँ के #मुज्य सोचती होगी वो #फिर सोचता हूँ ये किया सोचता हूँ में #beingsanjeev0834🦅 #nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari #
कभी #सोचता हूँ के #मुज्य सोचती होगी वो #फिर सोचता हूँ ये किया सोचता हूँ में beingsanjeev0834🦅 nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari #
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White वफ़ा की उम्मीद किससे है, इश्क़-मोहब्बत किससे है। हर क़दम पर रंग-भेद, तो फिर ये चाहत किससे है। दिल लगाते हैं, मगर डरते हैं, सच कहें तो सभी छलते हैं। वफ़ा की क़ीमत नहीं इस दौर में, फिर भी ये उम्मीद किससे है। हर चहरे पर मुखौटे हैं, हर रिश्ता जैसे सौदे हैं। जिनसे प्यार था, वही पराये, फिर ये मोहब्बत किससे है। सफर में कांटे बिछे हर जगह, साये तक साथ छोड़ देते हैं। जिनसे वफ़ा की आस लगाई, उनसे शिकवा फिर किससे है। सोचता हूँ ये सवाल हर रोज़, क्या जवाब है कोई मेरे पास। शायद दिल ही गलत करता है, वफ़ा की उम्मीद भी किससे है। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Moon वफ़ा की उम्मीद किससे है, इश्क़-मोहब्बत किससे है। हर क़दम पर रंग-भेद, तो फिर ये चाहत किससे है। दिल लगाते हैं, मगर डरते हैं,
#Moon वफ़ा की उम्मीद किससे है, इश्क़-मोहब्बत किससे है। हर क़दम पर रंग-भेद, तो फिर ये चाहत किससे है। दिल लगाते हैं, मगर डरते हैं,
read moreShivkumar barman
मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ ©Shivkumar barman मैं जब जब तुम्हे #सोचता हूँ हर लम्हे से मै ये #पूछता हूँ की क्यूँ मैं तुम्हे इतना सोचता हूँ लम्हे मुस्कराते हैं और #खामोसी बन जाते हैं फ
मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ हर लम्हे से मै ये पूछता हूँ की क्यूँ मैं तुम्हे इतना सोचता हूँ लम्हे मुस्कराते हैं और खामोसी बन जाते हैं फ
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस्कान, खिला नहीं कोई गुलाब भी कब से। सवालों का पिटारा है मेरे दिल में, पर पूछने की इजाजत नहीं उससे। नज़रों से सवाल कर जाती है, अब नज़र मिलती नहीं मेरी उससे। देखकर मेरे बगल से गुजर जाती है, सोचता हूँ, सजा दूँ बालों में गजरे। कैसी बेताबी है, उसे क्या ख़बर, देख ले इश्क़, जो मिल जाए नज़रे। किस कदर सब्र का चोला पहना, इसी हाल में जी रहा 'अभय' कब से। ©theABHAYSINGH_BIPIN किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस
किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White सोचता हूँ कभी कभी क्या तुम मेरा इश्क़ थीं या, यूँ ही बस एक इंसानी फ़ितरत पसन्द करना किसी को मोहब्बत के ख्याली पुलाव पकाना ग़र ये, महज़ एक आकर्षण था तेरे मुँह मोड़ने पर भी बाकी क्यूँ है तो क्या है जो अब भी बाकी है मुझ में एक शोर सा, मेरी सांसों की डोर सा क्यों होता है ऐसा… हर बार बेवफ़ा समझ कर सोचता हूँ तुम से दूर जाने को तेरा अक्स मेरी आँखों में उतर आता है मुस्कुरा कर जैसे पूछ रहा हो कैसे हो तुम, जो कहा करते थे आख़िरी साँस तक चाहोगे मुझे तब शर्त कहाँ थी उतना ही चाहोगी तुम मुस्कुराहट तुम्हारी शोर बन कर गूंजने लगती है मेरे भीतर धड़कनें इस क़दर बढ़ जाती है मानो दिल फटने को हो हँसी में घुले सवाल गूंजने लगते हैं मेरे कानों में एक शोर, जो डराने लगता है मुझे हर बार, हर रात मुझे जाग जाता हूँ मैं, भूल कर सारे शिकवे एक और सुबह होती है मुझे याद दिलाने को इश्क़ है मुझे तुम से, रहेगा भी आख़िरी साँस तक इस जन्म, उस जन्म, हर जन्म ©हिमांशु Kulshreshtha सोचता हूँ कभी कभी....
सोचता हूँ कभी कभी....
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