Find the Latest Status about सोचता हूँ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सोचता हूँ.
rj_vishwa
White जा-ब-जा भटकने की ख़ातिर ज़र्फ हर्फ़ एहतियात सबात सब छोड़ के बैठा हूँ एक तेरे दीदार की ख़ातिर कसमें रस्मे वादे इरादे सब तोड़ के बैठा हूं ©rj_vishwa बैठा हूँ #SAD #alone
Shashi Bhushan Mishra
अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे, मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, फूल कलियों से चमन में ताज़गी है, दुआओं के इत्र से आबाद हूँ अब, चाँदनी उतरी है दिल के दरीचे में, लग रहा जैसे कोई महताब हूँ अब, जलने वाले इस क़दर हैरानगी से, देखते जैसे कोई तेजाब हूँ अब, झुकाते हैं शीश दरवाजे पे आकर, नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब, ख़त्म दौर-ए-जहाँ का करके गुंजन, ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #आजाद हूँ अब#
ranjit Kumar rathour
बस आज तक हा आज ही तक कल कही औऱ किसी और संग सब खुश है मैं भी उसी में हु लेकिन ये सब कुछ इतना आसान है क्या सोच कर डर जाती हूँ लेकिन यही सच है सब ने मां लिया है और मुझे मानना ही है सदियो से होता आया है सबके साथ इसलिए मुझे भी जाना होगा कितना कुछ छूट जाएगा किसी को क्या मेरे दोस्त मेरे छोटे प्यारे अब कभी कभी आना होगा अतिथियों की तरह मुझ पर मेरा बस नही होगा किसी और कि अमानत कहलाऊंगी मैं बेटी हु न पराई हु न हा पराई हूँ ©ranjit Kumar rathour पराई हूँ न
DR. LAVKESH GANDHI
White LAVKESH GANDHI ©DR. LAVKESH GANDHI #Buraee # #मैं बुरा हूँ #
Shashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh ठहरा हूँ सैलाब देखकर, दरिया का फैलाव देखकर, रंजिश इतनी रखता है वो, लगा भीड़ में ताव देखकर, बँटवारे का खेल खेलता, बुरा लगा अलगाव देखकर, गौरव गाथा के परिसर में, फक्र हुआ मेहराब देखकर, दाल नहीं गल पाया शायद, लगा यही बिखराव देखकर, असमंजस में बैठी जनता, डरते लोग तनाव देखकर, सच की नाव चलाए सेवक, बैठ शज़र की छाँव देखकर, मंज़िल अभी दूर है 'गुंजन', चलो न बाबू ख़्वाब देखकर, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #ठहरा हूँ सैलाब देखकर#
DR. LAVKESH GANDHI
जिंदगी मैं अपनी ही जिंदगी में मैं अपने हाथों से खुद आग लगा बैठा हूँ फिर क्यों आज रोता हूँ,बिलखता हूँ फिर क्यों दुनियाँ के सामने मैं नादान बनता हूँ छोड़ कर दूर वापस भाग आया हूँ मैं फिर आज इस संसार में ढूंँढता हूँ इधर-उधर क्यों कोई विकल्प नहीं है दूसरा कोई जान कर भी अपनी जिंदगी में आग लगा बैठा हूँ ©DR. LAVKESH GANDHI #Mankadahan # #नासमझ हूँ मैं #
Sethi Ji
Meri Mati Mera Desh 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 💗 माँ की खुशबू , माँ की आरज़ू 💗 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 मेरी मिट्टी की खुशबू मुझे बुला रही हैं मुझ में कुर्बानी का जज़्बा जग रही हैं नींद नहीं आती मुझे अक्सर रातों में मेरी माँ की गरीबी मुझे सता रही हैं मैं भी कुछ करना चाहता हूँ अपनी माँ के आँचल में सोना चाहता हूँ ऐ मेरे माँ आज गले से लगा मुझे तेरी ममता के आंसू मुझे अंदर से जला रही हैं एक दिन कुछ ऐसा कर जाऊंगा जिससे गर्व होगा आपको मुझपर हर बच्चा जीना सिखता अपनी माँ से मेरी माँ मुझे बिल्कुल अपने जैसा बना रही हैं ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 ©Sethi Ji 🩷💫 किस्मत की अमीरी 💫🩷 🩷💫 किस्मत की फ़कीरी 💫🩷 किस्मत का लकीरों से क्या लेना देना दोस्तों नसीब तो उनके भी होते हैं , जिनके हाथ नहीं होते हैं
Kiran Chaudhary
BeHappy तुझको देखा तो फिर किसी को नहीं देखा, चाँद भी कहता रह गया, मैं चाँद हूँ, मैं चाँद हूँ।। ©Kiran Chaudhary मैं चाँद हूँ।। #beHappy
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- अब उसे आफताब कैसे दें । प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।। जिनको इतना पसंद करता हूँ । उनको बासी गुलाब कैसे दें ।। हुस्न की आज मल्लिका वह है । सोचता हूँ ख़िताब कैसे दें ।। चंद कतरे मिलें हमें खत में । तू बता दे जवाब कैसे दें ।। गीत जिनके लिए लिखे हम थे । हम उन्हें वो किताब कैसे दें ।। प्यार उम्र भर जवान रहता है । तू बता फिर ख़िज़ाब कैसे दें ।। हसरतें दीद की लिए दिल में । अब प्रखर ये नक़ाब कैसे दें ।। १३/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- अब उसे आफताब कैसे दें । प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।। जिनको इतना पसंद करता हूँ । उनको बासी गुलाब कैसे दें ।। हुस्न की आज मल्लिका वह