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Poet Kuldeep Singh Ruhela
White बड़ी खामोशी से देख रहा था समंदर में यारो एक हवा का झोका सब कुछ बहा कर ले गया मेरा न मोका मिला संभलने का मुझको में देखता रहा अपनी कश्ती को साहिल पर डूबते हुए गुमनाम शायर poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Free बड़ी खामोशी से देख रहा था समंदर में यारो एक हवा का झोका सब कुछ बहा कर ले गया मेरा न मोका मिला संभलने का मुझको में देखता रहा अपनी कश्त
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White ये गुमनाम जंगल भी घने पेड़ों से घिरे हैं बदलो के बीच में चांद तारे भी छिपे हैं गुम हो गई हैं सारी काईनात भी यहां देखो यह शहरों में भी केसे किस्से मिले हैं poet of saharanpur गुमनाम शायर ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #lonely_quotes ये गुमनाम जंगल भी घने पेड़ों से घिरे हैं बदलो के बीच में चांद तारे भी छिपे हैं गुम हो गई हैं सारी काईनात भी यहां देखो यह श
Poet Kuldeep Singh Ruhela
बहुत खूबसूरत लगते है तराने तुम्हारे सारे बैठे हैं ईश्क के दीवाने तुम्हारे ज़रा चेहरे को नकाब से ढक कर रखना बैठे हैं बीमार महफिल आज सारे! poet of saharanpur गुमनाम शायर ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #aaina बहुत खूबसूरत लगते है तराने तुम्हारे सारे बैठे हैं ईश्क के दीवाने तुम्हारे ज़रा चेहरे को नकाब से ढक कर रखना बैठे हैं बीमार महफिल आज
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White इस जलती हुई आग में हमको भी स्वाह हो जाना है कोई गरीब हो या अमीर सबको ही राख हो जाना है गुमनाम शायर poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #nightthoughts इस जलती हुई आग में हमको भी स्वाह हो जाना है कोई गरीब हो या अमीर सबको ही राख हो जाना है गुमनाम शायर poet of saharanpur
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White बड़ी खामोश हैं ये रात भी आज शायद इसको भी किसी ने बहुत तड़पाया है गम के बादल भी आज बरसने को बैठे है शायद आज इनको भी किसी ने रुलाया है गुमनाम शायर poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #SAD बड़ी खामोश हैं ये रात भी आज शायद इसको भी किसी ने बहुत तड़पाया है गम के बादल भी आज बरसने को बैठे है शायद आज इनको भी किसी ने रुलाया है
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White #करो कोई काम तुम भी खुद्दारी का मिले तुमको भी कोई मुकाम हिस्सेदारी का लोग जलते बहुत है तुमको देखकर ऐ साकी कोई जवाब दो उनको अपनी वफादारी का ! poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Hope #करो कोई काम तुम भी खुद्दारी का मिले तुमको भी कोई मुकाम हिस्सेदारी का लोग जलते बहुत है तुमको देखकर ऐ साकी कोई जवाब दो उनको अपनी वफ
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White #करो कोई काम तुम भी खुद्दारी का मिले तुमको भी कोई मुकाम हिस्सेदारी का लोग जलते बहुत है तुमको देखकर ऐ साकी कोई जवाब दो उनको अपनी वफादारी का ! poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #election_2024 #करो कोई काम तुम भी खुद्दारी का मिले तुमको भी कोई मुकाम हिस्सेदारी का लोग जलते बहुत है तुमको देखकर ऐ साकी कोई जवाब दो उनक
NIKHAT (दर्द मेरे अपने है )
ये बदनसीबी नहीं तो और क्या है सफर अकेले तै किया हमसफर के होते हुई ये बेबसी नहीं तो और क्या है मंज़िल करीब था और रास्ता तवील होता चला गया ये तपिश नहीं तो और क्या है वो नज़रो के करीब है मगर महफ़िलो मे खोता चला गया तविल यानी लम्बा ©NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) Mahi Neel Riti sonkar J P Lodhi. RAVINANDAN Tiwari Arshad Siddiqui डॉ.वाय.एस.राठौड़ (.मीत.) ग्वालियर Lalit Saxena Ek Alfaaz Shayri Faraz Kh
NIKHAT (दर्द मेरे अपने है )
तोड़ दूँ मै कलम एक बात लिख कर है कुछ अर्ज़ी वो खास लिख कर आँखों की खाता थी या धड़कन की बेचैनी गुस्ताखी तो हुई है इस दिल से क्या दे दूँ उन्हें एक गुलाब🌹 प्यार लिख कर ©NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) #प्यार R Ojha Mahi Shiv Narayan Saxena Adhuri Hayat shashi kala mahto Arshad Siddiqui अज्ञात Mili Saha Nikhat Adil Ali Saharanpuri