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Lovelorn Vinit
Raushan Kumar
बच्चों के साथ बच्चा बन पापा खेल लेते हैं कभी कांधे पर, कभी पीठ पर बिठा ठेल लेते हैं पैसे न होने पर भी जो बोलो वो सब दिलाते कभी गुब्बारे,लट्टू, कभी बैटरी वाले रेल लेते हैं ! एक तरफ से माँ थामे रखती है परिवार को एक तरफ पापा हर मुसीबत खुद पर झेल लेते हैं ! Raushan Kumar ©Raushan Kumar बच्चों के साथ बच्चा बन पापा खेल लेते हैं कभी कांधे पर, कभी पीठ पर बिठा ठेल लेते हैं पैसे न होने पर भी जो बोलो वो सब दिलाते कभी गुब्बारे,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्ड़लिया छन्द :- बोलो तुम क्यों दे रहे , हमको यहाँ तलाक । क्या अब चलती है नही , मुझ पर तेरी धाक मुझ पर तेरी धाक , नही अब देखो होगी । ज्यादा उछले आज , बता दूँगी मैं योगी ।। चुप रहे भाग्यवान , राज मत ऐसे खोलो । पकडूँ मैं अब कान , अगर अब तुम जो बोलो ।। २८/०७/२०२३ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्ड़लिया छन्द :- बोलो तुम क्यों दे रहे , हमको यहाँ तलाक । क्या अब चलती है नही , मुझ पर तेरी धाक मुझ पर तेरी धाक , नही अब देखो होगी । ज्याद
Mohammad Arif (WordsOfArif)
नफ़रत का जहर घोल कर पिलाया गया है तभी तो सच बोलने वालों को झूठ बताया गया है किस नादानी में बैठे हो ऐ मुसाफिर बताओं इस मुल्क में देखों ज़रा तुम्हें हमें गद्दार बताया गया है झूठ की दीवारें चारों तरफ ऐसे तैयार हो गई है अगर सच कहोगे तो तुम्हें यहां देशद्रोही बताया गया है अपनी कुर्सी को जागीर समझते है यहां पर खिलाफ बोलोगे तो तुम्हें आतंकवादी बताया गया है देखो सच का इतिहास मिटा रहे है धीरे-धीरे जो बोलोगे तो तुम्हारी बातों को ग़लत बताया गया है सच का साथ दो भले सर कलम हो जाए आरिफ वरना जीते जी ऐसे लोगों को किताबों में मुर्दा बताया गया है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) नफ़रत का जहर घोल कर पिलाया गया है तभी तो सच बोलने वालों को झूठ बताया गया है किस नादानी में बैठे हो ऐ मुसाफिर बताओं इस मुल्क में देखों ज़रा
रजनीश "स्वच्छंद"
क्या लिखूं और कब लिखूं। मैं अब लिखूं की तब लिखूं, तुम ही बोलो कब लिखूं। मैं जप लिखूं की तप लिखूं, तुम जो बोलो सब लिखूं। मैं शब्द हूँ और प्राण हूँ, तम का कवच भेदता बाण हूँ। उदबोधन हूँ मैं ज्ञान हूँ, बन सबल निर्बलों का मान हूँ। मैं ढाल भी मैं प्रहार हूँ, कुरान भी और गीता सार हूँ। जीवन भी और संहार हूँ, वाणी की तीक्ष्ण मैं धार हूँ। बिन पांव भी मैं चल रहा, कभी छू क्षितिज ढल रहा। जेहन में सबके पल रहा, मन मे दीया बन जल रहा। मैं राह तेरी गढ़ रहा, बिन बोले ही सब मैं पढ़ रहा। हो नत हूँ पर्वत चढ़ रहा, अकम्पित आगे बढ़ रहा। विष पिये मैं नीलकंठ, सुंदर ग्रीवा और मोर पंख। लेख कविता और छंद, मैं ही मज़हब जाति पंथ। मैं शब्द अविरल बह रहा, कानों में सबके कह रहा। हो वज्र सब मैं सह रहा, ग़म में खुशी की तह रहा। मैं तपी हूँ मैं हूँ ज्ञानी, बिन रंग चढ़ा मैं तो हूँ पानी। सबने मेरी बात मानी, चलो फिर कभी बाकी कहानी। ©रजनीश "स्वछंद" क्या लिखूं और कब लिखूं। मैं अब लिखूं की तब लिखूं, तुम ही बोलो कब लिखूं। मैं जप लिखूं की तप लिखूं, तुम जो बोलो सब लिखूं। मैं शब्द हूँ और प्
रजनीश "स्वच्छंद"
मैं ही हिंदुस्तान हूँ।। मैं सच बोलूंगा और मैं ही सच की पुकार हूँ, कुछ जयचंदी जुबानों की मैं ही तो दुत्कार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ।। तुमने लूटा, तुमने नोचा, मैं खामोश रहा देखता, तुम हो गिनती के और बहुमत को स्वीकार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ। तेरे पुरखे मेरे पुरखे सब इस माटी के बेटे थे। फिर क्यूँ मैं तिलक और ताज़िये का तलवार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ। तेरी कहानी सालों की मैं सदियों का द्योतक हूँ, मैं तो सिंधु से लेकर हिन्दू तक कि ललकार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ। तुम क्या, किसके वंसज, कैसा है रिश्ता अपना, मेरी संताने सजग खड़ी और मैं उनका हुंकार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ। गर है मज़हब अज़ीज़ तुम्हे, तुम मेरे हो पूत नहीं, हर मज़हब हर धर्म मेरा और मैं ही उनका सार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ। मेरा बीज पड़ा तुममे, गज़नी गौरी कब बोलो तेरे थे, मैं भगत हूँ, मैं महात्मा, मैं ही अशफ़ाक़ का प्यार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ।। लड़कपन छोड़ जरा अपनी अकल पर जोर करो, मैं ही ताज, केदार नाथ, और मैं ही कुतुब मीनार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ।। मेरे टुकड़े का नारा जो बोलो मेरे ही बेटे बुलंद करें, तुझसे और खुद से, मैं दोनों से हुआ बड़ा लाचार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ।। जिसने तुमको जना यहां, उसको गाली क्या जायज़ है, फिर भी तुमको है माफ किया एक ऐसा मैं परिवार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ।। मेरे टुकड़े जो कर दोगे, कहो जमीं कहाँ तुम पाओगे, स्वर्ग हूँ मैं, जन्नत मैं ही, और मैं ही तो तेरा संसार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ।। ©रजनीश "स्वछंद" मैं ही हिंदुस्तान हूँ।। मैं सच बोलूंगा और मैं ही सच की पुकार हूँ, कुछ जयचंदी जुबानों की मैं ही तो दुत्कार हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ।। तुम