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Anjuu

#दर्द अजीब_सा 😭😭 मेरी तकदीर में रास्ते हैं या शायद तकदीर ही रास्तें हैं। मैं किसी की मंजिल नहीं। दुआ करूंगी तू जिसके लिए तड़पता है दिन_रात

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White कितना अजीब है न सबकुछ 
वो मुझको  देखता तो है मगर मुझे नहीं देखता
तलाशता किसी और को है 
मैं भी उसको आंख भर के देख तो लेती हूं
मगर तब भी बेचैन हूं 
उसमें मुझे तेरी सूरत जो नज़र नहीं आती
आज फिर वही हुआ
वो मुझे देखते देखते ही अचानक रो पड़ा 
फिर मैं भी रो पड़ी 
मगर अफसोस कि उसके आंसू मेरे लिए न थे
मेरे आंसू में उसका नाम न था
मोहब्बत मोहब्बत कह के
दोनों मोहब्बत से रिश्ता निभाएं जाते हैं बस 
मगर एक हमदर्दी के सिवा
उससे ज्यादा  हमारा रिश्ता है कुछ भी नहीं

©Anjuu 
#दर्द अजीब_सा 😭😭

मेरी तकदीर में रास्ते हैं या शायद तकदीर ही रास्तें हैं।
मैं किसी की मंजिल नहीं।
दुआ करूंगी तू जिसके लिए तड़पता है दिन_रात

K R SHAYER

कर दिया इश्क तक कुर्बान जिसके लिए writer KR Shayer Roshan Baitha Mukesh Poonia rasmi VIMALESHYADAV Khushi yadav #शायरी

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल जिसकी खातिर मैं यहाँ फूलों का लेकर हार बैठा । वो छुपाए हाथ में अब देख लो तलवार बैठा ।।१ #शायरी

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White ग़ज़ल
जिसकी खातिर मैं यहाँ फूलों का लेकर हार बैठा ।
वो छुपाए हाथ में अब देख लो तलवार बैठा ।।१
प्यार में जिसके लिए मैं जान तक ये वार बैठा  ।
वो हमें ही देखकर अब देख लो फुफकार बैठा ।।२
फर्ज हमने बाप का कुछ इस तरह से है निभाया ।
कह रही औलाद मेरी वो मेरा सरकार बैठा ।।३
मत हँसों संसार पे रघुनाथ की जयकार बोलो  ।
देखता है वो सभी को जो लगा दरबार बैठा ।।४
जन्म देकर जो हमे संसार के काबिल बनाया ।
मैं उसे ही इस तरह दहलीज से दुत्कार बैठा ।।५
पूछ लो गुरुदेव से वो ही बतायेंगे तुम्हें सच ।
माँ पिता की गोद में तो यह सारा संसार बैठा ।।६
कौन सा वो फर्ज है संतान का तूने निभाया ।
जो प्रखर तू माँगने अब आज है अधिकार बैठा ।।७

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल


जिसकी खातिर मैं यहाँ फूलों का लेकर हार बैठा ।

वो छुपाए हाथ में अब देख लो तलवार बैठा ।।१

ANSARI ANSARI

जिसके वगैर। #विचार

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INDIA CORE NEWS

रिपोर्ट - शारिक खान, कानपुर। 3 दोस्तो ने मिलकर दुकानदार के उपर किया चाकू से हमला, पुलिस जाँच मे जुटी। कानपुर पुलिस की गस्त और पेट्रोलिंग #post #Videos #L♥️ve #vral #viarl #vrialvideo

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omni motivationalTv

जिसके लिए सब कुछ कुर्बान करते हैं उसमें पराएपन की बदबू आती है और पराए में थोड़ा सा अपनापन की खुशबू आती दिखाई देती है #विचार

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । म #शायरी

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Blue Moon ग़ज़ल
किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं ।
वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१

बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक ।
मगर मजबूर हूँ उनका ठिकाना आज भी हूँ मैं।।२

मिलेंगे वो गली में तो बदल मैं  रास्ता दूँगा ।
खबर ही थी नहीं ये की निशाना आज भी हूँ मैं ।।३

न जाने क्यूँ कदम मेरे खिचें यूँ ही चले जाते ।
कोई बतला  मुझे ये दे मिटा क्या आज भी हूँ मैं ।।४

जुदा होकर भी उनसे क्या कहूँ दिल की तमन्ना को 
 दिया सा राह में ये दिल जलाता आज भी हूँ मैं ।।५

खिलौना वह समझकर जिस तरह मुझ से यहाँ खेलें ।
उन्हीं से यार अब रिश्ता निभाता आज भी हूँ मैं ।।६

सुना दो तुम प्रखर अब तो खबर उस बेवफ़ा की कुछ ।
यहाँ जिसके लिए आसूँ बहाता आज भी हूँ मैं ।।७
१६/०३/२०२४       -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल
किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं ।
वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१

बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक ।
म

Prabodh Prateek

#achievement एक वक्त पर जाकर ये महसूस होता है, बेहतर होता अगर हम उस एक से मिले ही न होते...जिसके लिए सब कुछ भुला दिया उसे अपनी दुनियां मान क

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एक वक्त पर जाकर ये महसूस होता है, बेहतर होता अगर हम उस एक से मिले ही न होते...जिसके लिए सब कुछ भुला दिया उसे अपनी दुनियां मान कर......!!!!

©Prabodh Prateek #achievement एक वक्त पर जाकर ये महसूस होता है, बेहतर होता अगर हम उस एक से मिले ही न होते...जिसके लिए सब कुछ भुला दिया उसे अपनी दुनियां मान क

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल आज बीमार दिल की दवा ही नहीं । क्या लबों पे किसी के दुआ ही नहीं ।। #शायरी

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ग़ज़ल
आज बीमार दिल की दवा ही नहीं ।
क्या लबों पे किसी के दुआ ही नहीं ।।

एक अफसोस है तुम कहो तो कहूँ ।
ज़िन्दगी बिन तुम्हारे जिया ही नहीं

बन गये आज वहसी इंसान सब ।
क्या कहूँ आज उनमें खुदा ही नहीं ।।

खत लिखे प्रेम के लाख जिसके लिए ।
बाद उसमें सुना फिर वफ़ा ही नहीं ।।

बात मेरी सदा याद रखना यहाँ ।
एक रघुनाथ जिसमें खता ही नहीं ।।

आ गये चाय पर आज घर वो मेरे ।
बात दिल की कहें तो बुरा ही नहीं ।।

तोड़कर आज दिल वो गये मयकदे ।
कह रहे ज़ाम हमने छुआ ही नहीं ।।

ढूंढ लेंगे सितारे हमें एक दिन ।
वक्त होता सदा बेवफ़ा ही नहीं ।।

आज कैसे करे प्रेम दूजा प्रखर ।
दिल किसी के लिए ये बचा ही नहीं ।।
२४/०२/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल


आज बीमार दिल की दवा ही नहीं ।

क्या लबों पे किसी के दुआ ही नहीं ।।

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

My_💓_line होता है ना ऐसा कि दिल में जिसके लिए प्यार हो... हमें उसका चेहरा बार बार नजर आता है ❤️ तुझे चाहा , तुझे दिल में बसाया तेरी ही हो #Quotes

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