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TeacherShailesh
White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप । एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥ हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात् संक्षेप से कहा है॥ ©TeacherShailesh श्रीमदभागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 40
श्रीमदभागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 40
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