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Parasram Arora
ये नर्क का एक वातानुकूलित सजा हुआ कमरा था जहाँ सभी सुविधाये थीं किन्तु बाहर जाने क़े सभी रास्ते बंद है. यहां वो यंत्रना देने वाले परम्परागत पुराने. डंग भी नहीं दिखाई दिए यहां सबकुछ सुख सुविधा. पूर्ण है किन्तु बाहर जाने का रास्ता सब तरफ से बंद है मैं खोलना चाहता हूँ दर दरवाज़े पर खुलते नहीं हैँ मैं अपना हाथ हिलाना चाहता हूं पर वो भी हिलता नहीं है..... बस सुंदर मखमली सोफे पर मैं स्थिर बैठा सबकुछ चुप चाप देख रहा हूं और नर्क मे यन्त्रन्ना देने वाली इस नई शैली को स्वीकार करने क़े लिए स्वयं को तैयार कर रहा हूँ ©Parasram Arora यन्त्रणा.... और नर्क
Bhupender Singh Dhiman
🔻#क्यों_डरते_हैं_लोग_तंत्र_के_नाम_से.....🔻 समाज में तांत्रिक या तंत्र का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक डरावना, वीभत्स विचार उठता है उनके मन में एक दाढ़ी-मूछें बढाए, काले अथवा लाल कपडे पहने, डरावने क्रिया कलाप करता, लाल लाल आंखे, नशे आदि में लिप्त, झूमता, बड़बडाता, उद्दंड, क्रोधी व्यक्ति की आकृति अघोरी रूप में उभरती है... कभी उनके मन में खोपड़ी रखने, हड्डियों का प्रयोग करने, श्मशान पूजने वाले, गंदे क्रिया कर्म करने वाले, अहित करने वाले, गाली गलौच करने वाले व्यक्ति का काल्पनिक चित्र उभरता है जो डरावना है... तंत्र का नाम सुनकर भय उत्पन्न होता है की यह मात्र अहित या नुक्सान करने का जरिया है और इसको जानने वाले बुरे होते हैं.... #पर_क्या_यह_सच_है...... ? क्या वास्तव में तंत्र ऐसा ही है....? क्या तंत्र को जानने वाला जिसे तांत्रिक कहा जाता है ऐसा ही होता है..... ? क्रमशः ©Bhupender Singh Dhiman यन्त्र तन्त्र
Bhupender Singh Dhiman
क्या वास्तव में तंत्र ऐसा ही है....? क्या तंत्र को जानने वाला जिसे तांत्रिक कहा जाता है ऐसा ही होता है..... ? #नहीं यह सच नहीं है यद्यपि लोगों की उपरोक्त कल्पना भी गलत नहीं है, क्योंकि उनके सामने कुछ ऐसे उदाहरण और अनुभव पूर्व में रहे हैं जो उन्होंने लोगों से सुने हैं किस्से कहानियों में भी काल्पनिक भय दिखाया गया है और अतिशयोक्ति से भी उन्हें भरा गया है किस्से कहानियों में जादू , टोने, तंत्र -मंत्र, तांत्रिक -मान्त्रिक को विशेष पहनावे वाला, विशेष क्रिया करने वाला, समाज से अलग, चमत्कारी शक्तियों का स्वामी और अक्सर डरावने काम करने वाला, भूतों -प्रेतों से जुड़ा रहने वाला दिखाया गया होता है, समाज में पूर्व के छोटे अनुभव भी कल्पनाओं के मिलते जाने पर विस्तार ले बड़े हो जाते हैं, मूल शास्त्रों को छोड़ दें तो अधिकतर किताबें भी तंत्र और तांत्रिकों के बारे में केवल वही लिखती रहीं हैं जो उनकी रोजमर्रा की दिनचर्या से जुडी हों... तंत्र के मात्र एक भाग पर ही अधिकतर किताबों का जोर रहा है जिसमे वशीकरण, मारण, मोहन जैसे षट्कर्म रहते हैं, टोटकों, टोनों, उपायों पर ही अधिकतर किताबें लिखी जाती हैं... मूल तंत्र पर, मूल ज्ञान पर कम लोग लिखते हैं... क्योकि यह गंभीर विषय है और इन्हें कम लोग पढ़ते हैं, जिससे कम व्यवसाय होता है अधिकतर लेखक खुद तो साधक होते नहीं... वह यहाँ वहां से टुकड़े जोड़कर, कुछ अपनी कल्पना जोड़कर, कुछ किस्से कहानियों की काल्पनिक बाते जोडकर एक किताब लिख देते हैं.... .जो बिके और उन्हें आय हो साधक के पास न इतना समय होता है, न उसे रूचि होती है की वह किताबें लिखे और उससे आय करे... तंत्र की गोपनीयता का सिद्धांत भी वास्तविक साधक को यह नहीं करने देता ©Bhupender Singh Dhiman यन्त्र और तन्त्र
प्रशान्त कुमार"पी.के."
*गजल* *बहर:- 1222 1222 1222 1222* *मजदूर या मजबूर* पसीने की कमाई से वो अपना घर बनाता है। धनी कोई न जाने क्यों हंसी उसकी उड़ाता है। हथौड़े, फाबड़े, से यन्त्रों का उससे अजब रिश्ता, वो रातोदिन सदा जगकर पसीना खूँ बहाता है।। सँजोता दिल में अरमाँ वो सुबह से शाम तक लगकर, मकां खुद का न बना पाए मगर सबका बनाता है।। करे औलाद की खातिर कठिन श्रम जाँ लगाकर वो, ठिठुरता स्वयं पर उनको रजाई में सुलाता है।। रुलाती जिंदगी की कशमकश "पी.के." उसे हर पल । स्वजन की खुशियों की खातिर वो निज आँसू छिपाता है।। प्रशान्त कुमार"पी.के." साहित्य वीर अलंकृत आशुकवि पाली - हरदोई 8948892433 *गजल* *बहर:- 1222 1222 1222 1222* *मजदूर या मजबूर* पसीने की कमाई से वो अपना घर बनाता है। धनी कोई न जाने क्यों हंसी उसकी उड़ाता है।
Divyanshu Pathak
भोर की किरण निकलते ही उम्मीद हो जाती है। शोर उठता हुआ कह दे कि जीवन अभी बाक़ी है। दुनिया में तकनीकियों का परचम लहरा रहा है। यन्त्रवत एहसासों का इन्सान होना अभी बाक़ी है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और नौच डालो उन्हें। ऐसी हैवानियत का ,इंतज़ाम होना अभी बाक़ी है। अँधेरे में ख़्वाहिश जुगनुओं सी उड़ी और गुम गई। अनचाहे इन बादलों का छंटना तो अभी बाक़ी है। हिम्मत-ए-मर्दा - मदद-ए-ख़ुदा क्या कहते हो तुम! सुनो! स्त्री की हिम्मत को,दाद देना अभी बाक़ी है। तमाम बन्दिशों के बावजूद जो हिम्मत नहीं हारते। 'पंछी' के उन हौसलों की उड़ान अभी बाक़ी है। भोर की किरण निकलते ही उम्मीद हो जाती है। शोर उठता हुआ कह दे कि जीवन अभी बाक़ी है। दुनिया में तकनीकियों का परचम लहरा रहा है। यन्त्रवत एहसासों
@nil J@in R@J
साँसों की सीडियों से उतर आई जिंदगी बुझते हुए दिए की तरह, जल रहे हैं हम उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सुखा गयी हैं हम भी आफताब, मगर ढल रहे हैं हम #NojotoQuote ज़िन्दगी एक सूखी नदी बन गयी प्रीत के स्रोत सारे कहीं खो गये । वो मचलती , उमड़ती , उमंगों भरी चाल भूली , कदम दर्द से सो गये।। आज किसको पुकार
Vikas Sharma Shivaaya'
SHUBBH NUMBERS. "होली -सुरक्षा कवच " 2 Days Workshop What is Holi History of Holi Holashtak Holika Dahan Holi & Colours Poornima special Rituals What to do on Holi What not to do on Holi Remedies & Totka's on Holi for : -Evil Eye protection -Black Magic protection -Business Growth & Development -Debt Amount Recovery -Family overall abundance -Planets /Navgrah Shanti -How to get sucess in Exams -Vastu Remedy -How to get Job -Money Attraction -Remove Financial insecurity -Delay in Marriage,Don't worry -Overall solutions of your life -& many more होली -रंगों का त्यौहार ,प्रेम मोहब्बत का पर्व ,दुश्मनी भुलाने का मौका ,रंग बिरंगे हो जाने का त्यौहार ,पूजा -पाठ ,आर्थिक समृद्धि ,नौकरी व्यापार की सफलता ,तंत्र मंत्र यन्त्र और भी बहुत कुछ जो आपके बंद रास्तों को खोलेगा .. Date:5th March,2023,Sunday (3.15pm) Date:6th March,2023,Monday, (9.15pm) E.E.:777 Recording & PDF provide. 9346638984 gpay no Enroll Fast to get happiness & colours in your life...key of sucess workshop ©Vikas Sharma Shivaaya' SHUBBH NUMBERS. "होली -सुरक्षा कवच " 2 Days Workshop What is Holi History of Holi Holashtak Holika Dahan Ho