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Santosh Jangam
White "मतदान - लोकशाहीचा दीप" मतदान, लोकशाहीचा सन्मान, जागृत नागरिक, देशाची शान। बजावा, मतदानाचा अधिकार, करा संविधानाचा, सण साकार॥ असंख्य समस्यांस, एक उत्तर, बोटचं ठेवा, आपल्या हक्कावर। विकास पथ हा, करू या सुदृढ, विकसित देश, इच्छा मनी दृढ॥ भ्रष्टाचारास हा, जोरात फटका, मार्ग प्रगतीचा, शोधू या नेटका। आधुनिक शिक्षण नि तंत्रज्ञान, संस्कृतीचा ही, जपू या स्वाभिमान॥ बळीराजास देऊ, दिन सुखाचे, हेच खरे, शिल्पकार भारताचे। योजनांचा आधार, देऊ त्यांना, मुक्त करुनीया, विश्व बाजारांना॥ स्त्री-पुरुष समान, घ्यावा हा वसा, सहभाग घेतं, उमटावा ठसा। जात-धर्म विसरा, द्या मूठमाती, मतदान हक्कचं, आपुल्या हाती॥ आवाज आपला, बुलंद करावा, लोकशाहीचाचं, आग्रह धरावा। माझा देशचं, हा माझा अभिमान, मतदान करू, बनवू महान॥ प्रत्येक मतास, असते महत्व, हेचं ते परिपक्व, देशाचं सत्व। पूरी करू, आपण जबाबदारी, लोकशाहीत, जनता अधिकारी॥ निर्भय होऊन, करा मतदान, सुवर्णमय भविष्य, मागू दान। देशसेवेसाठी, हा एकच मंत्र, मतदान करा, मिळूनी सर्वत्र॥ देशसेवा ही, आपली खरी पूजा, भारतीयता सदा, जपते प्रजा। लोकशाहीचा हा, दीप उजळावा, मतदानानेच, देश घडवावा॥ ©Santosh Jangam #election लोकशाहीत मतदान हा नागरिकांचा महत्त्वपूर्ण हक्क आहे. प्रत्येकाने निर्भयपणे व जबाबदारीने मतदान करावे, कारण याच माध्यमातून देशाचा विक
#election लोकशाहीत मतदान हा नागरिकांचा महत्त्वपूर्ण हक्क आहे. प्रत्येकाने निर्भयपणे व जबाबदारीने मतदान करावे, कारण याच माध्यमातून देशाचा विक #मराठीकविता
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White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्। अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} (श्रीमद्भा० ७।५।२३) जय श्री राधे कृष्ण जी...... 'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है? ©N S Yadav GoldMine #good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म
#good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म #भक्ति
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White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्। अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} (श्रीमद्भा० ७।५।२३) जय श्री राधे कृष्ण जी...... 'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है? ©N S Yadav GoldMine #good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म
#good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म #भक्ति
read moreDevanand Jadhav
.......... ©Devanand Jadhav #MahavirJayanti अहिंसा परमो धर्म: ...जगाला शांती, अहिंसा व सत्य यांचा मार्ग दाखविणारे भगवान महावीर हे जैन धर्माचे 24 वे तिर्थकार आहेत...त्य
#MahavirJayanti अहिंसा परमो धर्म: ...जगाला शांती, अहिंसा व सत्य यांचा मार्ग दाखविणारे भगवान महावीर हे जैन धर्माचे 24 वे तिर्थकार आहेत...त्य #मराठीपौराणिक
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