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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White बेधड़क इल्जाम लगाया गया मूझपर,सबूत कुछ न थे फिर भी अभियोग लगाया गया मुझपर//१ मैं बा वकार ताउम्र रहा बा इज्जत बरी,बेसबब विद्रोही का फिर भी ढोंग लगाया गया मुझपर//२ बीच दो पाट के पिसता रहा उम्रभर,राहत न मिली, वक्त ए दौरा का उपयोग लगाया गया मुझपर//३ मैं ताज्जुब में हूं इंसानी तक़सीम देखकर,किसके लिए था,और किस वास्ते उपभोग लगाया गया मुझपर//४ बताया गया कलम और सूखन आज़ाद है,जब कलम लिखने लगी सुखन,तो लिखने का दुरुपयोग लगाया गया मुझपर//५ जो थे थैली के चट्टे बट्टे उन्हें सरताज बनाया गया,कुदरती मैं बेबाक रहा,तो मुखालिफत का सोग मनाया गया मुझपर/६ "शमा"को बेगुनाह शुमार कर तो लिया गया,मगर पशेमा न उना थे स पाप के,जिसका अभियोग लगाया गया मुझपर/७ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Dosti #Nojoto बेधड़क इल्जाम लगाया गया मूझपर, सबूत कुछ न थे फिर भी *अभियोग लगाया गया मुझपर//१*दंडनीय कानून मैं *बावकार ताउम्र रहा बा इज्जत
#Dosti बेधड़क इल्जाम लगाया गया मूझपर, सबूत कुछ न थे फिर भी *अभियोग लगाया गया मुझपर//१*दंडनीय कानून मैं *बावकार ताउम्र रहा बा इज्जत #Live #Like #writersofindia #poetsofindia #shamawritesBebaak
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । #कविता
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