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N S Yadav GoldMine
White अस प्रभु हृदयँ अछत अबिकारी। सकल जीव जग दीन दुखारी॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} नाम निरूपन नाम जतन तें। सोउ प्रगटत जिमि मोल रतन तें॥(४) भावार्थ:- समस्त विकारों से मुक्त भगवान सभी के हृदय में रहते हैं फिर भी संसार के सभी जीव दीनहीन और दुःखी हैं। नाम के यथार्थ स्वरूप, महिमा, रहस्य और प्रभाव को जानकर श्रद्धा-पूर्वक नाम जपने से ब्रह्म उसी प्रकार प्रकट हो जाता है, जिस प्रकार रत्न की जानकारी होने से उसका मूल्य प्रकट हो जाता है। जय श्रीसीताराम जी!! जय श्री राधेकृष्ण जी!! N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine #Thinking अस प्रभु हृदयँ अछत अबिकारी। सकल जीव जग दीन दुखारी॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} नाम निरूपन नाम जतन तें। सोउ प्रगटत जिमि मोल रतन तें॥(
#Thinking अस प्रभु हृदयँ अछत अबिकारी। सकल जीव जग दीन दुखारी॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} नाम निरूपन नाम जतन तें। सोउ प्रगटत जिमि मोल रतन तें॥(
read moreanmol khede
say saheb ji ©anmol khede फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवि
फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवि
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White श्रीगीताजी का माहात्म्य:-इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन । न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} भावार्थ :-तुझे यह गीत रूप रहस्यमय उपदेश किसी भी काल में न तो तपरहित मनुष्य से कहना चाहिए, न भक्ति-(वेद, शास्त्र और परमेश्वर तथा महात्मा और गुरुजनों में श्रद्धा, प्रेम और पूज्य भाव का नाम भक्ति है।)-रहित से और न बिना सुनने की इच्छा वाले से ही कहना चाहिए तथा जो मुझमें दोषदृष्टि रखता है, उससे तो कभी भी नहीं कहना चाहिए ॥67॥ ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes श्रीगीताजी का माहात्म्य:-इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन । न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} भा
#sad_quotes श्रीगीताजी का माहात्म्य:-इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन । न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} भा
read moreनवनीत ठाकुर
"शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद, माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष। कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल, महादेव हैं सृष्टि के आदि और अंत का आधार। अर्धनरेश्वर रूप, जहां शक्ति संग विराज, गले में सर्प, हाथों में त्रिशूल का राज। वृत्रासुर संहारी, करुणा के सागर, शिव की महिमा में जग गाता है जैकार।" ©नवनीत ठाकुर #शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद, माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष। कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल, महादेव
#शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद, माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष। कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल, महादेव
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