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"Kumar शायर"

#मनुष्य की बोली भाषा...?

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Devang shukla

इबारत= बोली भाषा इबादत= प्रार्थना नज़ाफ़त= शुद्धता नफ़्स= आत्मा जियारत= तीर्थ स्थान पर जाना

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इबारत मायने नहीं रखती इबादत में।
नफ़्स में नज़ाफ़त होनी चाहिए।
बेहतर बुढ़ापे के खातिर, नौजवानी में जियारत हो ये जरूरी नहीं।
कोशिश रहे मां बाप की सेवा होनी चाहिए। इबारत= बोली भाषा
इबादत= प्रार्थना 
नज़ाफ़त= शुद्धता
 नफ़्स= आत्मा 
जियारत= तीर्थ स्थान पर जाना

Divyanshu Pathak

#preeti dadhich #deepali suyal #Ragini jha अपनी बोली अपनी भाषाओं से मातृ प्रेम की सुगंध आती है।आप भी अपनी बोली भाषाओं के colab बनाकर yq पे म

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तुम मीठी बृज भाषा जैसी
मैं खड़ी गांव की बोली हूँ । #preeti dadhich #Deepali suyal
#ragini jha
अपनी बोली अपनी भाषाओं से मातृ प्रेम की सुगंध आती है।आप भी अपनी बोली भाषाओं के colab बनाकर yq पे म

एक इबादत

# स्वीकार Shayra Kom Ankita Patel vikram barnwal Deepak Raj Patalwansi #भले ही बोलियों और भाषाओं में दूर का नाता है लेकिन जिस प्रकार सभी

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कलयुग में खून का रिश्ता भी अब मजबूत नही,सात फेरों -दिल के बंधन भी नाजुक हो उठे चले है,

शुक्र है हम साहित्य वालों का....बोली ,भाषा से जोड़ नाता,एक अनोखा परिवार का निर्माण कियें है...!! # स्वीकार 
Shayra Kom 
Ankita Patel 
vikram barnwal 
Deepak Raj Patalwansi
#भले ही बोलियों और भाषाओं में दूर का नाता है लेकिन जिस प्रकार सभी

Chandrashekhar Trishul

#नारे नाटक तख़्ती बैनर जमा बाग में बड़ा तमाशा आस्तीन के सर्प माँगते अधिकारों का दूध बताशा दशकों बाद सही फेंका दिल्ली ने भी अपना पासा राष्ट्रद् #कविता

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नारे नाटक तख़्ती बैनर जमा बाग में बड़ा तमाशा
आस्तीन के सर्प माँगते अधिकारों का दूध बताशा
दशकों बाद सही फेंका दिल्ली ने भी अपना पासा
राष्ट्रद्रोहियों को समझा दी राष्ट्रप्रेम की बोली भाषा #नारे नाटक तख़्ती बैनर जमा बाग में बड़ा तमाशा
आस्तीन के सर्प माँगते अधिकारों का दूध बताशा
दशकों बाद सही फेंका दिल्ली ने भी अपना पासा
राष्ट्रद्

Divyanshu Pathak

#preeti dadhich #deepali suyal #Ragini jhaसंस्कृतमारवाड़ी अपनी बोली अपनी भाषाओं से मातृ प्रेम की सुगंध आती है।आप भी अपनी बोली भाषाओं के co #YourQuoteAndMine

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तुम राजस्थानी रंग भरी
मैं बागड़ बाली बोली हूँ । #preeti dadhich #Deepali suyal
#ragini jha#संस्कृत#मारवाड़ी
अपनी बोली अपनी भाषाओं से मातृ प्रेम की सुगंध आती है।आप भी अपनी बोली भाषाओं के co

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा    कुण्ड़लिया विषय   पहचान बनकर पशु है घूमता , देखो अब इंसान । खोता जाता आज है , निज अपनी पहचान ।। #कविता

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बनकर पशु है घूमता , देखो अब इंसान ।

खोता जाता आज है , निज अपनी पहचान ।।

निज अपनी पहचान , छुपाये पहनावें से  ।

बोली भाषा ज्ञान , लगे सब दिखलावे से ।।

रखता ऊँची शान , मकानों में वह रहकर ।

लेकिन उसके कर्म , दिए परिचय पशु बनकर ।।
०१/०९/२०२३   -महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा    कुण्ड़लिया

विषय   पहचान


बनकर पशु है घूमता , देखो अब इंसान ।

खोता जाता आज है , निज अपनी पहचान ।।

Divyanshu Pathak

#preeti dadhich #deepali suyal #Ragini jhaसंस्कृतमारवाड़ी अपनी बोली अपनी भाषाओं से मातृ प्रेम की सुगंध आती है।आप भी अपनी बोली भाषाओं के co #YourQuoteAndMine

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तुम बुंदेली का बनी ठाट
मैं कानपुरी सा भोला हूँ। #preeti dadhich #Deepali suyal
#ragini jha#संस्कृत#मारवाड़ी
अपनी बोली अपनी भाषाओं से मातृ प्रेम की सुगंध आती है।आप भी अपनी बोली भाषाओं के co

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सरसी छन्द :-  विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी मेरा प्यारा  उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम । कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।। प #कविता

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सरसी छन्द :-  
विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी

मेरा प्यारा  उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम ।
कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।।
पारिजात का पेड़ यहीं पर , बाराबंकी ओर ।
जो कहीं नहीं देख धरा पर ,  भटको मत हर छोर ।।

नीमसार की पावन धरती ,  सुन लो इसी प्रदेश ।
जन-जन का कल्याण करो तुम , आता है संदेश ।।
संगम विंध्याचल काशी है , कितने पावन धाम ।
मथुरा अपने कान्हा जन्में , अवध बसे श्री राम ।।

लक्ष्मण नगरी आज बनी है , सुन प्रदेश की शान ।
है प्रसिद्ध यहाँ की रेवड़ी , दिलवाती सम्मान ।।
काशी भोले की है नगरी , चौरासी है घाट ।
सबकी अपनी अलग महत्ता , सबके अपने ठाट ।।

वीरों की ऐसी धरती का , करते कवि गुणगान ।
जो सत्य अहिंसा की खातिर , किए निछावर प्रान ।।
फल के राजा का भी होता , सुनो बहुत ही नाम ।
मलहियाबाद भंडार भरा , खट्टे मीठे आम ।।

२४/०१/२०२४   /   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द :-  विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी


मेरा प्यारा  उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम ।

कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।।

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