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Shayar_shaswat_singh_pawar(Aman)
हर1 मोड़ पर खुदा को धमकाने वाले लोग एक रात को छोटे से तूफ़ान में मर गए।। शायर शास्वत सिंह पवार "अमन" खुदा को धमकाने वाले #poetry #sad #saadness #urdupoetry #khudapoetry #shayar_shaswat_singh_pawar
writerneha
मोहित कुमार
Mohammad Arif (WordsOfArif)
बदलना है तो अब हालात बदलो ऐसे नाम बदलने से क्या होता है देना है तो युवाओं को रोजगार दो सबको बेरोजगार करने से क्या होता है दिल को छोड़ा बड़ा करके देखो लोगों को मारने से क्या होता है कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी छोड़ दो बात बात में डराने से क्या होता है अपनी हुकमरानी पर तुम्हें गुरुर है लोगों को डराने धमकाने से क्या होता है वक्त का पहिया अभी विराम है आरिफ अपनों पर जुल्म करने से क्या होता है बदलना है तो अब हालात बदलो ऐसे नाम बदलने से क्या होता है देना है तो युवाओं को रोजगार दो सबको बेरोजगार करने से क्या होता है दिल को छोड़ा बड़
Devesh Dixit
कुत्तों का शौचालय एक बार कुत्तों ने अपनी सभा बुलाई, हर कुत्ते ने अपनी उसमें अर्जी लगाई। कहने में संकोच हो रहा है, पर कहना तो पड़ रहा है। काश हम कुत्तों का शौचालय भी होता, सरकार का ध्यान हमारी ओर भी होता। शौचालय में हम भी जाते, इधर उधर न धक्के खाते। इंसानों ने तो बनवा लिए शौचालय, हम सब के लिए केवल औषधालय। वो भी केवल उन पालतू के लिए, हम सब तो फालतू हैं उनके लिए। बीमारी दुखारी जो कुछ भी है, वो सब उन पालतू के लिए है। कुछ भी तकलीफ हो अगर उन्हें, तुरंत औषधालय ले जाते उन्हें। हम कुत्ते सड़क पर रहने वाले, हमारे लिए तो सब जगह ताले। हमारी कौन खबर रखने वाला, यहां हर कोई हमें धमकाने वाला। जख्मी हो जाएं कभी अगर हम तो, कौन ले जाए औषधालय हम को। तड़प - तड़प कर रह जाते हैं, क्या करें हम सब सह जाते हैं। कुछ तो ख्याल हमारा रखा होता, शौचालय ही बनवा दिया होता। तो गंदगी न होती चारों तरफ, सफाई ही होती तब हर तरफ। बाद में एक कुत्ता बोला, उसने अपना मुंह खोला। अरे हमारी तो छोड़ो, अब उधर को देखो। वो पालतू भी यहीं को चला आ रहा है, हमारी तरह सड़क को गंदा कर रहा है। क्या इनके लिए भी नहीं है शौचालय, तो क्या ही बनेगा हमारे लिए शौचालय। चलो इससे हम सब पूछते हैं, इसकी समस्या को हम बूझते हैं। क्यों आया यह यहां हमारे बीच, पर मालिक रहा है उसको खींच। उसकी समस्या को देख चौंकने लगे, जानने के लिए उस पर भौंकने लगे। पालतू कुत्ता उन पर गुर्राने लगा, उन सबको अब धमकाने लगा। मुझे नहीं कोई भी कमी यहां, मालिक ऐसा मिलेगा कहां। बहुत खुश हूं मैं वहां पर, मेरा मालिक है जहां पर। फिर एक कुत्ता बोला उनमें से, कमी नहीं तो क्यों बंधा पट्टे से। हमारे इलाके में भटक रहा है, मार्ग को भी गंदा कर रहा है। क्या शौचालय नहीं तुम्हारा भी, जैसे नहीं बना कभी हमारा भी। तब वह कुछ कह नहीं पाया, उनका ही समर्थन वह कर पाया। कुत्तों को समझ में आ चुका था, व्यथा को सबकी जान चुका था। जो नहीं बनने वाला उनकी खातिर, फिर बुद्धि क्यों लगाएं अपनी शातिर। यूं हीं मार्ग को गंदा करते रहते हैं, ढूंढ कर खाना खाते हैं फिर सो जाते हैं। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कुत्तों_का_शौचालय कुत्तों का शौचालय एक बार कुत्तों ने अपनी सभा बुलाई, हर कुत्ते ने अपनी उसमें अर्जी लगाई। कहने में संकोच हो रहा है, पर कह
Vandna Sood Topa
#खोटी लड़की #KL अब हर रात वो एक लाश बनकर दो- दो मर्दो के जिस्म की भूख मिटाती। उसके पति के दोस्त ने उसके पति को पैसा दे देकर अपने और भी दोस
Nisheeth pandey
◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆ __________ घर के किसी एकांत शांत कोने में , अखबार ले कर बैठ गया आज अखबार की रंगरूप पर नज़रें टिकी , मन ने कहा देखो निशीथ पूरे देश दुनिया का खबर तुम्हारे घर तक पहुंचाने वाला अखवार के पन्ने देखो मटमैला सा खुद सहारे की भीख मांगता सा पीलिया का बीमार सा पीलापन लिये कितना बीमार सा लगता है .... मटमैला सा पीलापन पीड़ित सा अखबार... अख़बार में कल का घटनाक्रम आज काली श्याही में घुल गई , प्रथम पन्ने पर चेतावनी , कोरोना के कब्जे में देशवासी, मानवता की विचित्र सार, बुद्धिजीवीयो के बोलबच्चन हज़ार, फिर भी मानसिक रूप से बीमार... बूढ़े माँ-बाप अपने ही घर से बेघर, 3साल 6 साल की मासूम बच्ची का बलात्कार.... पन्ने पलटते हैं अब, एक मौलवी का एलान , अपराध का संरक्षण ही सबसे बड़ा मजहब की दुहाई देश को डराने धमकाने का बोल बचन.. थोड़ी ठंडी थोड़ी गर्म चाय की चुस्की के साथ पन्ने पलटते रहे.. विदेशी घुसपैठ, रोहिंग्या का विभिन्न जगहों पर कब्जा , खाने पर बढ़ता वैट, रोज धराशायी होते जेट, अभी आधा अखबार ही पलटा था.. सारा देश भ्रस्टाचार में , पानी मे चीनी की तरह घुल रहा था, कोयला भी काला धन उगल रहा था... देशद्रोही देश के खिलाफ आग उगल रहा था , प्रधानमंत्री को अपशब्द बोल रहा था .... सडको पर मौत बाँटते तब्लीगी , फल सब्जी वाले और रईसजादे... आधे गैर मुल्क वाले तो आधे अपने देश वाले.. क्रिकेट के शोर, फुटबॉल के उभरते गोल, अभिनेताओ के बदलते रोल.. बच्चे नशे में धुत .... मंगल और चांद पर जिंदगी तलासते वैज्ञानीक, धरती पर सुखता पानी.. आज के अखबार के पन्नों का ताज़े थे खबरें पर समझ में आ गया था क्यों पीली पड़ चुकी थी पन्ने .. मेरे चेहरे पर बदलते तेवर थे , मन व्याकुल हो रहा था अब ... क्या बताऊँ हमने पढ़ ली क्या अखबार ..... अब जल रहा सारा शहर है आखों में ...... 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey ◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆ __________ घर के किसी एकांत शांत कोने में , अखबार ले कर बैठ गया
kumaarkikalamse
औरत हर रूप में महान है (पूरी कहानी Caption में) #YQBaba #Kumaarsthought #YQDidi वास्तविक घटना :औरत हर रूप में महान है यह घटना एक वास्तविक घटना है। मैं जयपुर राजस्थान का रह
Poetry with Avdhesh Kanojia
वो सपना #कहानी #stories #story #कहानीमें #लेखक #writer #writersofinstagram वो सपना ------------- राहुल और उसकी पत्नी शैलजा बहुत उदास हैं। उनके जी
Raveena
ऐसे ही एक दिन... यह उस दिन की बात है जब जीनी @कमलेश भैय्या के पास सलाह मांगने जाता है। इससे पहले कि जीनी कुछ बोले, भैय्या उसे चार बात सुनने को कहकर एक बात बत