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Darlo the king 🦁🐯
इन शब्द वाणों को तुम रोकलो जो उगलती है पल पल जहर उस जीभा को तुम टोकलो मत कहो मुझे बार बार तुम बुरा मेरा कोई कसूर तो बता ? प्राया धन समझके तेरे हवाले किया मेरे मां बाप ने मुझे क्या यही है गलती मेरी इसके अलावा कुछ और हो वजह तो जरा मुझे भी समझा। .......✍️ साधु बाबा शब्द वाण
Darlo the king 🦁🐯
हे कलयुग के रामो अब मुझे ना प्रहार करो है थोड़ा सा भी उस राम का अंस अगर तुम में तो अब्लाओ पर जो अत्याचार करे अब उनका तुम संघार करो। में तो ज्ञानी था अभिमानी था मैने नी सीता पे कोई अत्याचार किया हा की गलती मैने जो हरन किया पर ना कोई प्रहार किया। कैसे बचोगे इन रामो से अब की नारी को इनसे तो में अच्छा था ना मैने कोई पाप किया हा हरन किया मैने ओर फिर मरण सैया पर पश्चाताप किया। अब इनको भी तुम दिख लादो इनको भी तुम सिखलादो अब बन्द करो करो तुम सहना तुम भी सूर्यवंशी हो अब इनपे भी प्रहार करो इनका भी संघार करो । ...........✍️ साधु बाबा रावण वाण
Anup kumar Gopal
व्यंग वाण शब्दों के व्यंग वाण धनुष से निकला वाण से अधिक चुभते हैं। क्योंकि धनुष से निकले वाण एक बार ही चुभते हैं । परन्तु व्यंग वाण के शब्द बार बार हृदय में चुभते हैं। एक उदाहरण- महाभारत के प्रसंग से जब दुवोधन इन्द्रप्रथ देखने के लिए जा रहा था तो वो एक नाला में गिर पड़ा । उसी समय झरोखे से द्रोपदी ने व्यंग वाण रूपी शब्द बोली - 'अंधे का पुत्र अंधा ही होता है।' विनाश काले विपरीत बुद्धि दुवोधन को बहुत बडा आघात लगा । और द्रोपदी के उस व्यंग वाण को भूल नहीं पाया । अनंतः चीर हरण जैसा घृणीत कुकृत दुःशासन के हाथों भरी सभा में नारी सम्मान का अपमान किया गया । जो आगे चलकर बहुत बड़ा महायुद्ध का रूप लिया । महाभारत युद्ध हुआ जो इतिहास के पन्नों में अंकित हो गया। भाई भाई के खून के प्यासे हो गए । अंत बहुत दुःखद हुआ । कौरवो की हार हुई । पांडवो की जीत हुई । सत्य की जीत । असत्य की हार हुई । - अनुप कुमार ' गोपाल' ©Anup kumar Gopal व्यंग वाण #happydussehra
Vivek Vistar
जो भाग्य में लिखा है मिलकर वही रहेगा, जलधार है जहां को दरिया वहीं बहेगा । कहते हैं ये वही जिनमें प्राण अब नहीं हैं, संधान साधने को तय वाण अब नहीं हैं । ©Vivek Vistar जो भाग्य में लिखा है मिलकर वही रहेगा, जलधार है जहां को दरिया वहीं बहेगा । कहते हैं ये वही जिनमें प्राण अब नहीं हैं, संधान साधने को तय वा
Harshit kashyap
जिसे देखो, वो परेशान है। यहाँ जीना भी, कहाँ आसान है। मिली तो सबको ही, एक ही जुबान है। पर सब पे, कहाँ मुस्कान है। किसी के, मीठे से वाण है। तो किसी के, शिकायतों पर ही कुर्बान है। तीर तो सबके अपने है, पर रखनी इनको दूसरों पर ही कमान है। खुद का घोड़ा भले ही, बेलगाम है। पर दुनियाँ, बगल वाले में ही परेशान है। मानो तो अपने-पराये, सब ही एक समान है। और ना मानो तो, हर घर ही श्मसान है। जिसे देखो, वो परेशान है। यहाँ जीना भी, कहाँ आसान है। मिली तो सबको ही, एक ही जुबान है। पर सब पे , कहाँ मुस्कान है।
Harshit kashyap
वो परेशान है। ~~◆~~ (अनुशीर्षक पढें) ~~◆~~ जिसे देखो, वो परेशान है। यहाँ जीना भी, कहाँ आसान है। मिली तो सबको ही, एक ही जुबान है। पर सब पे , कहाँ मुस्कान है।
Farukh Maniyar
तो उध्वस्त व्याकुळ जीव म्हणाला १० ला दोन . मी म्हंटलं, नाही, १० ला एकच ... द्या .. !! हा चेहरा नीट निरखून बघा... त्याचा अवतार बघा... त्याचा उन्हातान्हात रापलेला चेहरा बघा... चेहऱ्यावरील रेषा बघा... आणि डोळ्यांतील ते करुण भावही बघा.... आपोआप त्याची दशा लक्षात येईल... सकाळी, फक्त ५ रूपयांच्या ताज्या, करकरीत, देशी वाण असलेल्या तांदूळश्याच्या पेंडीचे मी मुद्दाम १० रूपये देवू केल्यानंतर आनंद, दुःख, यातना, कौतुक आणि आश्चर्य असे मिश्र भाव त्याला लपवता आलेच नाहीत... आणि डोळ्यांत सुध्दा हलकेच पाणी तरळलं... रात्रंदिवस काबाडकष्ट उपसणारे ते हात..! तेच हात जोडले कुणीतरी काहीतरी करायला हवेय या हातांसाठी... जास्त देवू नकात, त्याला नकोच आहे जास्त काही... पण भावही करू नकात... भाव पाडून मागू नकात... एवढेच सांगणे आहे...❤️ ©Farukh Maniyar तो उध्वस्त व्याकुळ जीव म्हणाला १० ला दोन . मी म्हंटलं, नाही, १० ला एकच ... द्या .. !! हा चेहरा नीट निरखून बघा... त्याचा अवतार बघा... त्याचा