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Dev Rishi
सब जमाने को दोष , और अपनी पाक ए जमानत कह रहे हैं लिबास औ लफ्ज़ कुछ और हैं फिर भी इंसानियत दिखा रहे हैं ©Dev Rishi #ज़मानत...कह रहे हैं
Anuj Ray
White इक वक्त के बिछड़े दिलों की दास्तान के पन्ने, न जाने कब से बर्फ की परत में ढके थे। बह बह के आंसुओं का जम गया था समंदर, खुली हवा में, आहिस्ता आहिस्ता पिघल रहे हैं। टूटा है पहाड़ गलत फहमी का, मुद्दत के बाद आज फिर से, पुरानी यादों के अलाव जल रहे हैं। ©Anuj Ray # यादों के अलाव जल रहे हैं"
Ganesh Din Pal
गरीब आदमी इस आशा में जिंदा रहता है कि एक न एक दिन उसके दिन भी जरूर बहुरेंगे, पर अमीर आदमी इस खौफ में मरता रहता है कि कहीं बुरा वक्त ना आ जाए। ©Ganesh Din Pal #सब बस जिए जा रहे हैं
AwadheshPSRathore_7773
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. यार भी राह की दीवार समझते हैं, मैं तो सदैव यह समझता था की मेरे यार अच्छे से समझते हैं मुझे। नेक लोगों में मुझे नेक समझा जाता है, गुनाहगार लोग गुनाहगार समझते हैं मुझे मैं तो यूँ चुप हूं की अंदर से बहुत खाली हूं और यह लोग पुर असरार समझते हैं मुझे रोशनी देश में नहीं बल्कि सरहदों के पार भी पहुंचाना मेरे वहां बसे हमवतन लोगों के लिए और यह देश वाले है की गद्दार समझते हैं मुझे लगता है की रोशनी से भरी इस दुनिया में क्यूँ सिर्फ मेरे घर में ही अँधियारा व्याप्त है क्योंकि कुछ मेरे अपनों ने ही बुझाया दिया उजियारे का जब मेरे घर में रोशनी बहुत थी। "दोस्तों खूब मनाओ होली/दीपावली/दशहरे की खुशियां मगर ईन खुशियो में कुछ दिल भी जल रहे हैं। .👍Happy Holi & धुलेंडी👍 ©AwadheshPSRathore_7773 #holi2024"होली के दिन दिल खिल जाते हैं रंगों मैं रंग मिल जाते हैं"..................👍🌈👍से👍🌈👍....होरी खेले रघुबीरा अवध में होली खेले रघुबिरा
Himanshu Prajapati
Village Life कागज सी सफेद है जिंदगी कोई अपना कलम चलाए जा रहा है, हम निभा रहे हैं रिश्ते कोई अपनापन ठुकराए जा रहा है..! ©Himanshu Prajapati #villagelife कागज सी सफेद है जिंदगी कोई अपना कलम चलाए जा रहा है, हम निभा रहे हैं रिश्ते कोई अपनापन ठुकराए जा रहा है..!
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी उड़ानें अब ना उड़ पाये शायद अपने मन की पँख सफलता के कुतरे जा रहे है शिक्षा और संस्कार से दूर कर पेपर लीक,और रदद् किये जा रहे है रणनीति किया है सत्ता और सियासतों की गुलाम बनाकर उन्माद फैला रहे है पाँच किलो अनाज के दायरे में रखकर प्रतिभा और भविष्य युवा और भारत का मिट्टी में मिला रहे है गारन्टी के नाम पर,पंगु सब व्यवस्था बना रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #thepredator पँख सफलता के कुतरे जा रहे है #nojotohindi
SumitGaurav2005
Anjali Singhal