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Prakash Shukla
फैलेगा यश यदि कल्पनाओं को पंख लगे कुन्दित भावनाओं मे कवियों ने शान धरी शब्दों को रूप दिया कल्पना को साकार दिमाग ने कविता रची हृदय ने स्वीकार साहस ने बल दिया और मन ने इकरार धैर्य ने बाँधा समाँ हर इच्छा शिरोधार यदि कल्पना के पंख लगे विचारों ने उड़ान भरी दिल ने दस्तख़त किए आत्मा ने जान भरी प्रकाश प्रकाश
Prakash Shukla
अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम क्योंकि अपेक्षा रूपी तरकश मे स्वेक्षा रूपी बाण से नखरे रूपी धनुष का प्रयोग एक मँझे शिकारी के रूप मे करने वाली तुम और उपेक्षा रूपी पतेले मे चाकू रूपी आकाँक्षाओं की धार मे रहकर जल रूपी मीठी चासनी मे भीगकर शान्त रहने वाले शिकार हम अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम सबसे बड़ी बीमारी तुम उससे पड़े बीमार हम ओ जाल़िम अब तो कहर कम कर रहम कर क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी जुगाड़ी तुम सबसे बड़े जुगाड़ हम प्रकाश प्रकाश
Prakash Singh
क्या लिखूं जो आपसे प्यार हो जाए।। ताकि जब भी मिलू तो दीदार हो जाए।। प्रकाश##
Prakash Singh
एक बेटी जब ब्याह के उपरांत अपने पीया के घर जाती हैं..तो उस दरम्यान माँ और बेटी के बीच आँखो ही आँखो क्या बाते होतीं हैं ...ज़रा गौर फरमाइयेगा...दोस्तों....मेरी चंद पंक्तियाँ पे...... ब्याह हो जब बेटी पिया के घर चली... , अपनी ममता की छाव वो छोड़ चली.. माँ की ममता में पली... वो नन्ही सी कली... ब्याह हो अपनी पिया के घर चली... ये घर आँगन सब बेंरंग हो चली... . तू पिया के संग हो चली... . हाथों में तेरी मेंहदी हैं रची.... लाल जोड़े में तू हैं सजी.... ओ मेरी नन्ही सी कली... तू अपने पिया के घड़ी चली... . जब घड़ी आयी जुदायी की.. माँ की ममता विभोर हो चली... छलक के आँखो से आँसू... ग़मजदा हो चली.... मेरी नन्ही सी कली... अपने पिया की घर चली.... बिटिया जब माँ के गले लगी.... माँ की कलेजा बेजान हो चली.. सिसकीयां से मौसम ग़मगीन हो चली मेरी लाडो में पली... मेरी नन्ही सी कली... अपने पिया के घर चली... थमी क़दम आगे अब बढ़ती नहीं... बिटिया की... आँखो से आँसू रुकती नहीं..... बिटिया की.... माँ की ममता विभोर हो चली.. पालकी में बैठ.... बेटी अपने पिया के घर चली.... प्रकाश ##
Prakash Shukla
#OpenPoetry गैहान फलक दो जहान तलक इम्तेहान इश्क़ दो म्यान तलक तलवार धार है इश्क़ यार इबादते इश्क़ ईमान तलक तलवार इश्क़ इजहार इश्क़ इकरार इश़्क हाँ प्यार इश़्क खंजर खामोश इश्क़ बेरहम का जायज कुबूल नाकाम इश्क तासीर ताबिश़ इब्तिसाम तलक इश्क़ आक़िबत अहज़ान तलक इश्क़े खुर्शीद गुमनाम तलक इश्क़ मोहब्बत पशेमान तलक गैहान फलक दो जहान तलक......... प्रकाश प्रकाश
Prakash Shukla
प्यारा सा गुलिस्तां था मेरा खुशबू आती उसमे छनकर मै जुदा हुआ पलकों से तेरी आँसू बनकर आँसू बनकर इस बार तरसती आँखों के सपने होंगे सच सब मेरे खुशियाँ आँगन मे बरसेगी दुःख दूर हुए बस अब मेरे कोई याद रहे न अब बाकी तेरी ठोकर को अपनाऊंगा सहकर तेरे वो जुल्म सितम तेरी यादों को दफनाऊँगा जिस दिन तेरी मूरत फिर से मेरे दिल मे जगह बनाएगी उस दिन मेरा दिल तेरे सामने खड़ा रहेगा बस तनकर प्यारा सा गुलिस्तां था मेरा.................... दिल रोता तड़पता रहा मेरा पर तू मगरूर बनी रही मैने पास तेरे आना चाहा पर तू गुरूर मे तनी रही तुझ मगरूर की पगदन्डी मे मै एक तमाशा बना रहा सच्चे प्यार की जीत ही होगी इस आशा मे थमा रहा अब तेरे प्यार को समझ सका तू न मेरी बन पाएगी बीती बातों को भूल चुका खुशियाँ ढूँढ़ूगा अब जमकर प्यारा सा गुलिस्तां था मेरा................... प्रकाश प्रकाश
Prakash Shukla
तेरी यादों ने मुझे सोने ना दिया दिन रात तड़पते रह गए हम तेरे वादों ने मुझे रोने ना दिया खुशियाँ मिटी बस रह गए हम तू जब मेरे पलकों मे आती थी,रोज सुनहरे सपनों को सजाती थी कसकती है कहीं तेरी भी कमी,तू रोज गुल को गुलिस्तां बनाती थी तू अब भी मेरी यादों मे है बसी कैसे तू रूठो को मनाती थी तूने बीज बैर के बोने ना दिया तेरी यादों मे है मेरी आँखे नम तेरी यादों ने मुझे सोने ना दिया दिन रात तड़पते रह गए हम तेरे वादों ने मुझे रोने ना दिया खुशियाँ मिटी बस रह गए हम तूने फूल झोली मे मेरे जो रखा,खुशबू देता है वो हर जगह पूछता है वो तेरा ही पता,तूने जीने की मुझको दी है वजह तेरा प्यार इसकी आँखों मे है दिखा,जो देता है बस तेरी ही सदा इसने पलकें मेरी भिगोने न दिया,इसकी प्रेम धारा मे बह गए हम तेरी यादों ने मुझे सोने ना दिया दिन रात तड़पते रह गए हम तेरे वादों ने मुझे रोने ना दिया खुशियाँ मिटी बस रह गए हम प्रकाश प्रकाश
Prakash Shukla
गोरिए तेरे दिल मे,तीर नजरें ये कातिल से प्यार के मन मन्दिर मे,ज्योत जलाना है तेरी धड़कन को दिल से,प्यार वाली मंजिल से मोतियों को साहिल से चुरा के लाना है चाल है नागिन जैसी,जैसे अधजल गगरी छलकानी जुल्फे घटा से बादल,तेरी चढ़ती ये जवानी सावन ऋतु सी झूमे,तू लागे मुझको मस्तानी मेरा प्यार तेरे दिल मे,तेरा प्यार मेरे दिल मे मेरे प्यार को तेरे दिल मे जगह बनाना है गोरिए तेरे दिल मे,तीर नजरें ये कातिल से प्यार के मन मन्दिर मे,ज्योत जलाना है तेरी धड़कन को दिल से,प्यार वाली मंजिल से मोतियों को साहिल से चुरा के लाना है तेरी ना मे भी है हाँ,ओंठ से बोले ना ना देखता है ये जमाना,आज का मौसम सुहाना हाय ये तेरे नखरे,इनको तू अपने पास लख ले प्यार का रस तू आज चख ले,थोड़ा हमसे प्यार कर ले छोरी ये छोड़ बहाने,तेरे ये किस्से पुराने गोरिए आज तेरी जिद को मुझे छुड़ाना है गोरिए तेरे दिल मे,तीर नजरें ये कातिल से प्यार के मन मन्दिर मे,ज्योत जलाना है तेरी धड़कन को दिल से,प्यार वाली मंजिल से मोतियों को साहिल से चुरा के लाना है प्रकाश #प्रकाश
Prakash Shukla
2 Years of Nojoto अरे...................... किस्मत की लकीरें मेंटने वालों जाकर किस्मत निर्माण करो कुछ अपने अपने कर्मों को बदलो या दीन दुखियों का परित्राण करो किस्मत की लकीरें मेंटने वालों तुम लगे रहो मजधारों में क्या पश्चिम कोई सूर्य निकलता या पागल बिकते बाजारों मे या चन्द्र कभी पूरब मे उगकर ढलता जाकर पश्चिम मे या सागर की लहरें उत्तर मे उठकर जा कर गिरती दक्षिण में सागर मे मोती सा बनकर देखो कहीं शीप न बन जाओ तुम या छोड़ दो सारी पीड़ाओं को या आप विदित हो जाओ तुम अरे .............................किस्मत की लकीरें मेंटने वालों जाकर किस्मत निर्माण करो कुछ अपने अपने कर्मों को बदलो या दीन दुखियों का परित्राण करो ताप की तपिश मे तपकर लोहा सुन्दर सुयश सुडौल बना सरस जल पीने हेतु धरती मे अद्भूत उत्कृष्ट भूगोल बना जलते अंगारों ने भी जगह बनाई उपजे धरती माँ की कोख से तुम भी कुछ ऐसे कदम बढ़ाओ सब दुःखों को जाओ सोख से अरे किस्मत की लकीरे मेंटने वालों जाकर जीवन मे प्राण भरो अपने जीवन मे प्राण भरो या दीन दुखियों का कल्याण करो अरे ............................किस्मत की लकीरें मेंटने वालों जाकर किस्मत निर्माण करो कुछ अपने अपने कर्मों को बदलो या दीन दुखियों का परित्राण करो प्रकाश प्रकाश
Prakash Shukla
2 Years of Nojoto है अखंड भारत प्रचण्ड भारत ,है अखंड भारत प्रचण्ड भारत मनुष्यता मे विशाल बनकर विरासतों की मिशाल बनकर हो मनुज ,पशु या वृक्ष ,प्रकृति रखी धरोहर त्रिकाल बनकर चराचरों मे गुरू स्थान है धरा में अपना घमण्ड भारत है अखंड भारत प्रचण्ड भारत ,है अखंड भारत प्रचण्ड भारत एकता का बल विविधताओं मे समता निःस्छल जन कथाओं मे हिन्दू मुस्लिम या सिख ईसाई विविध फूल इन सम लताओं मे पार-अलौकिक जन्मस्थली धरा का ऐसा भूखण्ड भारत है अखंड भारत प्रचण्ड भारत ,है अखंड भारत प्रचण्ड भारत हैं विविध बोलियां विविध भारती हेतु सुमंगल विविध आरती विविध क्षेत्र मे विविध कलाएँ है पुण्य भूमि सबको निहारती हे माँ भारती माँ भारती है सर्व जगत मे प्रकाण्ड भारत है अखंड भारत प्रचण्ड भारत ,है अखंड भारत प्रचण्ड भारत प्रकाश प्रकाश