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Ravikar Patel
इश्क़ का मोहब्बत का प्यार का। सब के लिए बस एक नाम अवंतिका।।
Slumdog Entertainment
JALAJ KUMAR RATHOUR
पार्ट-14 प्रेम हार नही मानता और उठ जाता है। किसी और ह्रदय में और ललकारता है। जातियों और समाज को फिर से, और एक लड़की पाती है वही प्रेम फिर से अपने पिता से , भाई से, मित्र से और अपने जीवन साथी से, इन्ही में से एक प्रेम था। जो अर्नेब और अवंतिका के बीच एक सेतु का कार्य कर रहा था। अर्नेब ने मोबाइल पर बोला "हेल्लो हाँ बताओ" " हैपी बर्थडे अर्नेब "अवंतिका ने कहा।, " थैंक्स अब्बू " अर्नेब ने कहा, "कल सुबह मिलना है तुमसे टाईम है " अवंतिका ने कहा, "अब्बू अब तू भी टाईम मांगेगी" अर्नेब ने कहा, और बोला "कल मिलते है, एंड थैंक्स फॉर विशिंग , गुड नाईट" अब्बू हाँ प्यार से अवंतिका को अर्नेब अब्बू ही बुलाता था। वो बोलता था की अवंतिका ने बचपन से मेरी हर विश पूरी की है जैसे अब्बू करते है। अर्नेब की माँ मुस्लिम और पापा हिंदू तहै इस लिए वो अम्मी को मम्मी और पापा को अब्बू बोलता था। अर्नेब खुश था। वो ही मुस्कान फिर थी। उसके चेहरे पर, वैसे लड़कियां भी भगवान सी होती है। कभी भी किसी को खुशी और आँसू देने की योग्यता रखती है, चाहे वो किसी की होठो की मुस्कराहट बन कर हो या फिर उस मुस्कराहट को आँसुओं मे बदल कर, हम सब लोग अपने अपने रूम मे आ गये थे। मैंने अपनी रजाई को ओढा ही था ,तभी मेरे मोबाइल पर मेसेज की आवाज आयी , मैंने चेक किया तो अवनी ने 😘 कि इमोजी भेजी थी। मेरा सुलझा हुआ दिमाग फिर से प्रश्न करने लगा जो जायज थे "आखिर क्यों लड़कियां इतना हक जताने के बाद फिर कहती है, तुम कौन से हक से ये बात कर रहे हों" ...... #जलज कुमार प्रेम हार नही मानता और उठ जाता है। किसी और ह्रदय में और ललकारता है। जातियों और समाज को फिर से, और एक लड़की पाती है वही प्रेम फिर से अपने पि
Nidhi''नन्ही क़लम''
जय शिव शंकर ''जय महाकाल'', तीनो लोक को करे निहाल । इनकी शरण जो आ गया, नसीब तो उनका छा गया । ''भस्म आरती'' से हुए रूबरू, तांडव रूप दिखे हूबहू । ''निधि'' आए जब ''महाकाल'' का बुलावा, बाकी सब लगे है छलावा । ( Read In Caption ) #mahakal जय शिव शंकर ''जय महाकाल'', तीनो लोक को करे निहाल । इनकी शरण जो आ गया, नसीब तो उनका छा गया । ''हरसिद्धि'' की जय जय
Ravendra
JALAJ KUMAR RATHOUR
पार्ट-13 अर्नेब ने कॉल उठाया और हम लोग बात सुनने उसके पीछे चले गए। आज ये पहली बार था जब अर्नेब ने हमें मना नही किया था। या हमे गाली देकर भगाया नही था। रिश्ते भी काँच या मिट्टी के बर्तनो के समान होते है। जब तक टूटते नही तब तक हम उनको सबसे बचाकर रखते है। और जब एक बार टूट जाते है। या उनमे हल्की दरार आ जाती है। तो हम उनके प्रति लापरवाह हो जाते है। अर्नेब भी कोशिश करता था। उसे भुलाने कि पर अर्नेब के लिए उसको भूलना शायद अपने जिंदगी के इन 20 सालों के भूलने के समान था। क्युकी वो उसके बचपन की दोस्त थी। उसी ने तो सिखाया था अर्नेब को क्लास में आगे बैठना । यहाँ तक की उसे अर्नेब की पसंद और ना पसंद सब पता था। अर्नेब के बचपन से लेकर इस इंजीनियरिंग में आने तक के हर संघर्ष और सफलता में अवंतिका उसके साथ थी। पता नही क्यों लड़कियां नही तलाशपाती अपने बेस्ट फ्रेंड मे वो शक्स जो उनकी जिंदगी में रंग भरता है। क्यों वो अपना लेती हैं। ऐसे शक्स को जो उन्हे प्रेम से कोसो दूर रखता है। और यातनाएं देता है। जिसे ना उसकी पसंद का ख्याल रहता ही ना उसका, मैं यह नही कह सकता की हर लड़की के साथ ऐसा होता है। या हर लड़का ऐसा करता है। पर जो भी करता है आखिर वो क्यों करता है क्यों दब जाते है? धर्म और जाति के नीचे दो प्रेम करने वाले, क्यों जातियाँ इंसानियत से उपर हो जाती है। क्यों एक पिता सामाजिक मजबूरी में आकर बचपन मे जिस बेटी के सपनो को पूरा करने की सौगंध खाता एक उस बेटी और उसके सपनो की हत्या कर देता है । क्यों नही समझते माँ बाप कि समाज से जरूरी उनके पुत्र पुत्री और उनके सपने है। और क्यों नही समझते वो बच्चे भी जो आकर्षण को प्रेम की परिभाषा दे देते हैं क्यों नही समझते ये बच्चे कि किसी की मांग भर उसके साथ सात फेरे लेना ही शादी नही होती ,शादी होती है उन सात फेरों के वक्त लिए सात वचनो को निभाना, पर होता क्या है? प्रेम और जाति, समाज के युद्ध मे प्रेम हर जाता है। प्रेम हर जाता है तलाक के समय, किसी बच्चे के द्वारा माँ बाप को घर से निकालते समय, जीतता है समाज और इसकी जातियाँ..... .... #जलज कुमार अर्नेब ने कॉल उठाया और हम लोग बात सुनने उसके पीछे चले गए। आज ये पहली बार था जब अर्नेब ने हमें मना नही किया था। या हमे गाली देकर भगाया नही था
Mohit Mudita Dwivedi
वो डरतें हैं, कायर हैं इसलिए रोकतें हैं तुझे तू डरना मत ख़ुद पर यकीन करना और लड़ना, गिरना, उठना, बढ़ना, हारना बस विवश मत होना । ये इक्वलिटी
Jaydeep Yadav
कृपया पुरा पढें 🕯🕯 #अधूरा_ज्ञान_खतरनाक_होता_है। 33 करोड़ नहीं 33 कोटि देवी देवता हैं हिंदू धर्म में ; कोटि = प्रकार । देवभाषा संस्कृत में