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Parasram Arora
White वे भी क्या दिन थे ज़ब मै ठहाके मार कर हँसा करता था बिना शिकायत के जिंदगी बसर करता था छोटे छोटे खबाब देख कर जिंदगी के दिन काट लिया करता था रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया और बचपन पीछे छुटता गया और मै जवान होता गया ©Parasram Arora भी क्या दिन थे
भी क्या दिन थे
read moreusFAUJI
Google हजारों जवाबों से अच्छी हैं मेरी ख़ामोशी न जाने कितने सवालों की आबरू रखीं डॉ मनमोहन सिंह -------------------------- १९३२-२०२४ ©usFAUJI एक महान् शख्सियत जों मौन रहकर भी सब-कुछ ब्यां कर देते थे। #RIP #Manmohan_Singh_Dies #Life
एक महान् शख्सियत जों मौन रहकर भी सब-कुछ ब्यां कर देते थे। #RIP #Manmohan_Singh_Dies Life
read moreHimanshu Prajapati
Two Types Of People In this world एक वादे के लिए पुरी जिन्दगी गंवा देना, एक जिंदगी के लिए पुरे वादे गंवा देना..! ©Himanshu Prajapati #lovetaj Two Types Of People In this world एक वादे के लिए पुरी जिन्दगी गंवा देना, एक जिंदगी के लिए पुरे वादे गंवा देना..! #36gyan #hps
Srinivas
एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है। ©Srinivas एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।
एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।
read moreShashi Bhushan Mishra
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
#आस्तीन के सांप बहुत थे#
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