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हिंदीवाले

रहिमन बिद्या बुद्धि नहिं, नहीं धरम, जस, दान। भू पर जनम वृथा धरै, पसु बिनु पूँछ बिषान ~रहीम #विचार

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रहिमन बिद्या बुद्धि नहिं, नहीं धरम, जस, दान।
 भू पर जनम वृथा धरै, पसु बिनु पूँछ बिषान
~रहीम

©हिंदीवाले रहिमन बिद्या बुद्धि नहिं, नहीं धरम, जस, दान। भू पर जनम वृथा धरै, पसु बिनु पूँछ बिषान
~रहीम

chandraveer singh rajput

मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृंदावन की रेनु। नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु॥ मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन। चलत कहां मन बस प #nojotophoto #कला

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 मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृंदावन की रेनु। नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु॥ मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन। चलत कहां मन बस प

Vikas Sharma Shivaaya'

मान बड़ाई देखि कर-भक्ति करै संसार। जब देखैं कछु हीनता,-अवगुन धरै गंवार। संत कबीरदास जी कहते हैं कि दूसरों की देखादेखी कुछ लोग सम्मान पाने के #समाज

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मान बड़ाई देखि कर-भक्ति करै संसार।
जब देखैं कछु हीनता,-अवगुन धरै गंवार। 
संत कबीरदास जी कहते हैं कि दूसरों की देखादेखी कुछ लोग सम्मान पाने के लिये परमात्मा की भक्ति करने लगते हैं पर जब वह नहीं मिलता वह मूर्खों की तरह इस संसार में ही दोष निकालने लगते हैं।
🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' मान बड़ाई देखि कर-भक्ति करै संसार।
जब देखैं कछु हीनता,-अवगुन धरै गंवार। 
संत कबीरदास जी कहते हैं कि दूसरों की देखादेखी कुछ लोग सम्मान पाने के

Vikas Sharma Shivaaya'

शनिदेव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।' हनुमानजी के दर्शन सुलभ होते हैं, #समाज

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शनिदेव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः 


ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।' हनुमानजी के दर्शन सुलभ होते हैं, 


 “ गुरू बिनु ऐसी कौन करै-माला-तिलक मनोहर बाना,लै सिर छत्र धरै। भवसागर तै बूडत राखै, दीपक हाथ धरै-सूर स्याम गुरू ऐसौ समरथ, छिन मैं ले उधरे। 


“ सूरदास जी कहते हैं कि चेलों पर गुरू के बिना ऐसी कृपा कौन कर सकता है कि वे गले में हार और मस्तक में तिलक धारण करते हैं। शीर्ष पर छत्र लगा होने से उनका रूप अत्यंतन्त मनमोहक हो जाता है। संसार -साबर में डूबने से बचाने के लिए वे अपने छात्र के हाथ में ज्ञान रूपी दीपक देते हैं। ऐसे गुरू पर बलिहारी जाते हुए सूरदास जी कहते हैं कि हमारे गुरू श्रीकृष्ण के इतने समर्थ हैं कि उन्होंने एक ही पल में मुझे इस संसार-सागर से पार कर दिया। 


🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शनिदेव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः 



ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।' हनुमानजी के दर्शन सुलभ होते हैं,

Vikas Sharma Shivaaya'

शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्। असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय #समाज

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शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।



असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।'

 

“मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृंदावन की रेनु-नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु॥

मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन-चलत कहां मन बस पुरातन जहां कछु लेन न देनु॥

इहां रहहु जहं जूठन पावहु ब्रज बासिनि के ऐनु-सूरदास ह्यां की सरवरि नहिं कल्पबृच्छ सुरधेनु॥ “



सूरदास जी कहते हैं कि ब्रज की भूमि सौभाग्यशाली हो गई है क्योंकि नंद पुत्र श्री कृष्ण अपनी गायों को यहां लाकर चढ़ाई करते हैं। वे बांसुरी बजाते हैं। मनमोहन, श्री कृष्ण का ध्यान करने से मन को परम शांति मिलती है। वे अपने मन से ब्रज में रहने के लिए कहते हैं। सभी को यहां सुख और शांति मिले। यहां हर कोई अपनी धुन में रचा-बसा है। किसी को किसी से कोई लेना-देना नहीं है। वे कहते हैं कि ब्रज में रहकर उन्हें ब्रजवासियों के झूठे बर्तन से कुछ भोजन मिलता है, जिससे वे संतुष्ट रहते हैं।

“

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।


असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय

Vikas Sharma Shivaaya'

शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्। असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय #समाज

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शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।


असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।'

 

“मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृंदावन की रेनु-नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु॥

मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन-चलत कहां मन बस पुरातन जहां कछु लेन न देनु॥

इहां रहहु जहं जूठन पावहु ब्रज बासिनि के ऐनु-सूरदास ह्यां की सरवरि नहिं कल्पबृच्छ सुरधेनु॥ “


सूरदास जी कहते हैं कि ब्रज की भूमि सौभाग्यशाली हो गई है क्योंकि नंद पुत्र श्री कृष्ण अपनी गायों को यहां लाकर चढ़ाई करते हैं। वे बांसुरी बजाते हैं। मनमोहन, श्री कृष्ण का ध्यान करने से मन को परम शांति मिलती है। वे अपने मन से ब्रज में रहने के लिए कहते हैं। सभी को यहां सुख और शांति मिले। यहां हर कोई अपनी धुन में रचा-बसा है। किसी को किसी से कोई लेना-देना नहीं है। वे कहते हैं कि ब्रज में रहकर उन्हें ब्रजवासियों के झूठे बर्तन से कुछ भोजन मिलता है, जिससे वे संतुष्ट रहते हैं।

“

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।


असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय
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