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Nirankar Trivedi
सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ, जहाँ हर कदम पर बसी हैं अनजानी निशानियाँ। इनकी धूल में छुपे हैं सपनों के टुकड़े, जो हर गुजरते मुसाफ़िर से कहें कुछ किस्से। यहाँ की हवा में बसती है सफर की महक, हर मोड़ पर झलकता है जीवन का एक नयापन। टूटे हुए दिलों की गवाह हैं ये सड़कें, जो हर दिन सजाती हैं अपनी नई तकदीरें। कभी ये सुनसान होती हैं, कभी चहल-पहल, हर गुजरता वक़्त इन्हें देता है नया अक्स। इन सड़कों पर चलते हैं कई अरमान, जो हर रात ढूंढते हैं अपने मंज़िल के निशान। यहाँ की चुप्पी में भी है एक गहरी बात, सड़कें सिखाती हैं हमें हर दिन नया साथ। इन पर बिछड़े और मिले हैं कई लोग, सड़कें हैं जीवन का अनमोल संजोग। ©Nirankar Trivedi #sadak सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता
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read moreGhumnam Gautam
White ठीक सोलहवें साल आया है तुमपे यौवन कमाल आया है उफ़! ये रस से भरे कुँआरे होठ रंग जिनपर कि लाल आया है ©Ghumnam Gautam #यौवन #सोलह #रस #रंग #ghumnamgautam
श्यामजी शयमजी
White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में ©श्यामजी शयमजी #cg_forest कविता कविता
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read moreGhumnam Gautam
White हमें लगता था यारो आज तो उम्दा परोसेंगे ख़बर कब थी सयाने लोग भी चरबा परोसेंगे परोसीं हैं लबों से आपने तो रस भरी बातें बता दीजे सजल नैनों से अपने क्या परोसेंगे? ©Ghumnam Gautam #sad_quotes #नयन #चरबा #बातें #रस #ghumnamgautam
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read moreGurudeen Verma
White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #कविता
कविता
read moreRajnish Shrivastava
याद है मुझे वो शायद अमावस की स्याह रात थी । सितारे थे गगन में दिल में अरमानों की बारात थी । धड़क रहा था दिल काबू में न हमारे जज्बात थे । जिसे चाहते थे उसकी मां हमारे घर मेहमान थी । ©Rajnish Shrivastava #हास्य