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BANDHETIYA OFFICIAL
White वो परम पुरुष जिसकी बनावट से परे, परित: कुछ भी नहीं है, वह स्वयं भी उससे बाहर नहीं है, अंदर,बाहर कहके कुछ नहीं है, पूरा ब्रह्मांड उसी में है,वही है, वसन,वासन के नाम पर भी कुछ नहीं है, जैसे हमारी आपादमस्तक नग्न काया, बस उसी के प्रतिरूप हम, हम उसी को स्वयं को समर्पित मानते हैं, ये लौ जब मिट्टी ढहाके निकलेगी, तब स्वयं को सोचता हूं, आंत्र,मल, मूत्र से विसर्जित मैं, उसके कोमल हृदय स्पंदन में जा बसूं, जहां से फिर जठराग्नि में पड़कर, मल, पित्त,कफ,स्वेद बनना न पड़े, हे परमात्मा परम पुरुष! ©BANDHETIYA OFFICIAL #परम पुरुष का हृदय स्पंदन बनूं।
Bharat Bhushan pathak
अस्त होते सूर्य दिखे, नयन सबके टिके, सृष्टि प्रकाशित करें, नमन आदित्य है। ©Bharat Bhushan pathak #SunSet#अस्ताचलगामी_सूर्य#sunGod#nojotohindi#nojotopoetry अस्त होते सूर्य दिखे, नयन सबके टिके, सृष्टि प्रकाशित करें, नमन आदित्य है।
Bhanu Priya
हृदय जब भटका तो वह एक शख्स पर अटका जैसे बरसों से था वह इसके लिए भटका खुद को तो निकलती लेकिन कैसे इस हृदय को मैं संभालती मैं रहने दिया उसे बहने दिया उसे उसकी राहों पर छोड़ दिया उसे एक नया मोड़ दिया वह अकेला नहीं मैं उसके लिए हर क्षण यहीं वह थमे न प्रेम बिखेरे प्रेमियों सा वह महके वह चमके वह तो सब जानता है फिर भी मुझे मानता है । ©Bhanu Priya #हृदय R. Ojha Andy Mann Sethi Ji 0 Ak.writer_2.0
Health Is Wealth DK
परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं,लेकिन अंहकार बर्फ की सतह आवरण बनकर खड़ा है,इस आवरण के भंग होते ही पता चलता हैं कि मैं और परमात्मा कभी दो न थे कभी अलग न थे। ©Health Is Wealth DK ##परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं####
Rajendra singh
Nîkîtã Guptā
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