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Rupesh
White दर्द का दवा और दवा का दुआ से जो नाता होता है वही नाता तुम्हारा हमसे और हमसे तुम्हारा है ©Rupesh #नाता हमारा तुम्हारा
MAHI
Ankur tiwari
Black कुछ जज्ज़ लिखें जज्बात लिखें हमने कुछ अपने हालत लिखें जो लिखा नही वो बस यह था ना तुमको अपने साथ लिखें डर था कि डर ना जाओ तुम बिन बात के न कुछ कर जाओ तुम एक बात से ही तुम रूठ गए इस बात से मर ना जाओ तुम इसलिए तो हमने छोड़ दिया हर रिश्ता नाता तोड़ दिया जीवन की जो मंज़िल तुम थे उस मंज़िल को ही छोड़ दिया जाओ अब जी लो खुल के तुम कुछ नए स्वप्न भी लेना बुन पर अबकी जिससे भी जुड़ना हो केवल दिल से ही जुड़ना तुम ©Ankur tiwari #Morning कुछ जज्ज़ लिखें जज्बात लिखें हमने कुछ अपने हालत लिखें जो लिखा नही वो बस यह था ना तुमको अपने साथ लिखें डर था कि डर ना जाओ तुम बि
Sethi Ji
White 🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷 🩷 शायर का अफ़साना , शायर का ठिकाना 🩷 🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷 दीदार उनका करके जीने के बहाने मिल जाते हैं चाँद को देख कर लिखने के अफ़साने मिल जाते हैं असली मज़ा तब आता हैं ज़िन्दगी का दोस्तों जब चाँदनी रात में दोस्त पुराने मिल जाते हैं हम आज भी करते हैं उनका इंतज़ार पलके बिछाए उनके आने से दो दिल दीवाने मिल जाते हैं ज़माने लग जाते हैं मोहब्बत भुलाने में ऐ मेरे ख़ुदा हमको उनकी यादों में रहने के ठिकाने मिल जाते हैं ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 ©Sethi Ji 💝💝 दिल से दिल तक 💝💝 दिल से दिल का नाता होता हैं हर शायर का अंदाज़ निराला होता हैं ।। सुना हैं जो हॅसते हॅसते जाते इस दुनिया से
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो सब मिलकर, करो मतदान को । ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं पहचानते है हम , छुपे शैतान को । मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे, रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१ वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से । मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे, आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से । घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय, देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से। घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया , पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२ टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती , रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे । नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई , पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे । मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान , कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे । और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई, जब तेरी याद आई , सुन लो बीमार थे ।।३ २८/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो