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Jyoti

#leafbook # प्रकृति🌿🍃

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Unsplash  जब आप प्रकृति🌿🍃से सच्चा करते हैं, 
तो आप को दुनिया की
हर जगह खुबसूरत लगेगी।

©Jyoti #leafbook # प्रकृति🌿🍃

नवनीत ठाकुर

White दरख्त काट के हमने शहर बसाए,
अब हर सांस को तरसने का वक्त बना रखा है।

दरिया रो रहे हैं, पहाड़ टूट रहे हैं,
हमने तरक्की के नाम पर ज़हर बना रखा है।

जंगल जलाकर हमने इमारतें खड़ी कीं,
फिर भी छांव को तरसने का दौर बना रखा है।

 हवा, पानी, धरती का हाल पूछो ज़रा,
हमने कुदरत को अपने बाप की जागीर बना रखा है।

©नवनीत ठाकुर #प्रकृति

Sonu

and देशभक्ति कविताएँ देशभक्ति कविता

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@mahi

#सर्द #Winter #december #viral Poetry प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ

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White शाम रात बिन कंबल बिन
नींद कहां से लीजे 
जो हवा चली है,एकतरफा
तो पर्दा कहां से कीजे 
ये बर्बरता है ठंड की
जो जमा जाएगा एकदम से
ये तो  नवंबर है "माही"
अभी दिसंबर से क्या लीजे

©@mahi #सर्द #Winter #december #viral #Poetry #Nojoto  प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ

Giridhar Rai

#happy_diwali देशभक्ति कविताएँ

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White नोटबंदी तो कर दिए,कुछ और भी करिए बंद
तब मानेंगे आपको  हम  बड़का अक्लमंद

©Giridhar Rai #happy_diwali  देशभक्ति कविताएँ

Writer Mamta Ambedkar

#Sad_Status देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविताएं प्यार पर कविता हिंदी कविता

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White दिल के राजा बनो 

किसी के इश्क में फकीर बनने से अच्छा है
 अपने दिल के राजा बनो जमाना पलकों पर बिठा कर रखेगा 
इश्क में फकीर बनने से अच्छा,
अपने दिल के राजा बनो,
फूलों से सजाओ हर ख्वाब को,
अपने आप को खुद की दुआ बनो।

रातों की नींद और चैन न खोओ,
किसी के इंतजार में यूं तड़पो न,
खुद को समझो, खुद को अपनाओ,
अपने ही दिल के शहंशाह बनो।

तन्हाई भी साथी बनेगी तुम्हारी,
जब खुद से प्यार करना सीखोगे,
पलकों पर जमाना सजाएगा तुम्हें,
जब अपने पैरों पर चलना सीखोगे।

किसी के इश्क में फकीर न बनो,
अपनी हिम्मत का वो चिराग बनो,
कि रोशनी खुद-ब-खुद फैले तुम्हारी,
हर रास्ता तुम्हारा गुलज़ार बनो।






इश्क अगर खुद से करोगे पहले,
दुनिया की भी महफिल तुम्हारी होगी,
तुम्हारे अपने दिल के राजा बनने पर,
जमाने की भी ताजपोशी तुम्हारी होगी।

©Writer Mamta Ambedkar #Sad_Status  देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविताएं प्यार पर कविता हिंदी कविता

Writer Mamta Ambedkar

#chaandsifarish प्रेरणादायी कविता हिंदी प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ प्यार पर कविता हिंदी कविता

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स्त्री जीवन

एक पर्ची पर लिखा था
"अस्तित्व"
मैंने मां को लिख दिया..!

दूसरी पर्ची पर लिखा था
"व्यक्तित्व"
मैंने पिता को लिखा दिया..!

तीसरी पर्ची पर लिखा था
"कीमत"
मैंने घर को लिख दिया..!

चौथी पर्ची कुछ द्वंद्व से भरी थी
"संघर्ष"
मैंने आईना लिख दिया..!

आखिरी पर्ची पर लिखा था
"फ़ैसला"
मैंने स्त्री लिख दिया..!

©Writer Mamta Ambedkar #chaandsifarish  प्रेरणादायी कविता हिंदी प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ प्यार पर कविता हिंदी कविता

arpana dubey

#Sad_Status देशभक्ति कविताएँ कविता कविता कोश कविताएं

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White गुड़िया रानी गुड़िया रानी
तू है मेरी प्यारी रानी
हरदम तेरे संग खेलू
मेरे दिल की तू है रानी

काले काले तेरे बाल
लाल गुलाबी तेरे गाल
सुंदर प्यारे छोटे हाथ
सदा रहे तू मेरे साथ

हर बच्चों को प्यारी लगती
सब रंगों में खूब जचती
तुझे सवारूँ हर पल मैं
साँझ सवेरे पास मैं रखती

गुड़िया रानी बिटिया रानी
एक राजा सा गुड्डा लाऊं
तेरी शादी में जी भरकर
सब संग खेलू नाचूँ गाऊं

तू जादू की पुड़िया है
सबसे न्यारी गुड़िया है
भूल न जाना प्रीत हमारी
दुश्मन हो चाहे दुनिया सारी....!!!!

अर्पणा दुबे अनूपपुर।

©arpana dubey #Sad_Status  देशभक्ति कविताएँ कविता कविता कोश कविताएं

Ghanshyam Ratre

प्रकृति की सुंदरता

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नवनीत ठाकुर

#प्रकृति का विलाप कविता

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जमीन पर आधिपत्य इंसान का,
पशुओं को आसपास से दूर भगाए।
हर जीव पर उसने डाला है बंधन,
ये कैसी है जिद्द, ये किसका  अधिकार है।।

जहां पेड़ों की छांव थी कभी,
अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी।
मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया,
ये कैसी रचना का निर्माण है।।

नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने,
पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है।
प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र,
बस खुद की चाहत का संसार है।
क्या सच में यही मानव का आविष्कार है?

फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है,
सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है।
बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है,
उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है।
 हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है,
किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है,
इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।।

हरियाली छूटी, जीवन रूठा,
सुख की खोज में सब कुछ छूटा।
जो संतुलन से भरी थी कभी,
बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।।
बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, 
विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है।
हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, 
ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है?
ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है?
क्या यही मानवता का सच्चा आकार है?

©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता
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